नई दिल्ली: कश्मीर में मोस्ट वांटेड आतंकवादी रियाज़ नायकू जो कि आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का ऑपरेशनल कमांडर था, बुधवार को घाटी के पुलवामा जिले में हुए सैन्य ऑपरेशन में मारा गया है. इसे भारतीय सुरक्षा कर्मियों की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. नायकू के साथ एक ओर आतंकवादी मारा गया है.
Breaking: HM commander #RiyazNaikoo shot dead. One more terrorist shot dead too. Possibility of a third. @ThePrintIndia https://t.co/GctpdPbGtA
— Snehesh Alex Philip (@sneheshphilip) May 6, 2020
सुरक्षा तंत्र के सूत्रों ने नायकू की मौत की पुष्टि की है. यह मुठभेड़ करीब दो दिन बाद हुई जब सेना ने विश्वसनीय इनपुट्स के आधार पर नायकू के पुलवामा स्थित गांव बेगपोरा को घेरा और तलाशी अभियान शुरू की.
तहरीक-ए-हुर्रियत के अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ सेहराई के बेटे जुनैद के साथ मुठभेड़ स्थल पर हिजबुल के डिप्टी कमांडर सैफुल्लाह के भी मौजूद होने का संदेह था.
पिछले साल कश्मीर में मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची में सबसे ऊपर रहने वाली ए ++ श्रेणी (चार में से सबसे ज्यादा) के आतंकवादी नायकू के सिर पर 12 लाख रुपये का इनाम था. वह 2018 में सुरक्षा बलों द्वारा तैयार की गई एक हिट लिस्ट में भी शामिल था.
समूह के कमांडर बुरहान वानी के उत्तराधिकारी जाकिर मूसा के बाद उसने 2017 में हिजबुल प्रमुख के रूप में पदभार संभाला. मूसा ने अपना खुद का आतंकी समूह अंसार गजवत-उल-हिंद बनाया, जो अल-कायदा से संबंध रखता है.
सोमवार को सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस की कई टीमों ने बेगपोरा को घेर लिया. सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन शुरू करने के बाद, सुरंगों और भूमिगत ठिकाने की संभावना के मद्देनजर नायकू के घर और रेलवे ट्रैक के आसपास के खेतों को खोद दिया गया.
बुधवार तड़के मुठभेड़ शुरू हुई जब सुरक्षा बलों के जवान घरों की तलाशी ले रहे थे.
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दिप्रिंट से बात करते हुए एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने कहा, ‘वह कश्मीर में मोस्ट वांटेड आतंकवादी रहा है और पहले कई अभियानों में बचकर निकल गया था.’
इसी साल जनवरी में कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने कहा था, ‘अगर हम रियाज़ नायकू को मारने में कामयाब होते हैं तो दक्षिण कश्मीर से लगभग हिजबुल मिट जाएगा.’
कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में नायकू की भूमिका
1985 के अप्रैल में जन्मे रियाज़ नायकू गणिक का शिक्षक था. कश्मीर में शुरू हुए एक आंदोलन में सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच हुई झड़प में एक नागरिक की मौत हो गई थी. नायकू उस हिंसा में शामिल कुछ युवकों में से एक था जिसे गिरफ्तार किया गया था.
उसे 2012 में रिहा कर दिया गया जिसके बाद वो अंडर-ग्राउंड हो गया और आखिर में वो हिजबुल मुजाहिद्दीन का शीर्ष आतंकी बनकर सामने आया.
सुरक्षा हलकों में नायकू को योजना बनाने और भारतीय सेना पर हमले करने वाले के तौर पर जाना जाता था.
सूत्रों ने कहा कि उसने यह सुनिश्चित किया हुआ था कि वह हिजबुल कैडर के साथ नियमित संपर्क में रहेगा और यहां तक कि कई आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में भी वो हिस्सा लेता था. वह इन जुलूसों में लड़ाकू पाउच पहने और एके-47 लिए हुए दिखाई देता था, जिसे वह हवा में फायर करता था.
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जब जाकिर मूसा ने अपना खुद का आतंकी समूह शुरू किया, तो नायकू ने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि हिजबुल कैडर, मूसा के समूह में बड़ी संख्या में शामिल न हो.
2018 के सितंबर में पुलिस अधिकारियों के 11 रिश्तेदारों को अगवा करने के पीछे भी नायकू का ही दिमाग था. नायकू के पिता को हिरासत से रिहा करने के बाद परिवार को आखिरकार छोड़ दिया गया. इसे आतंकी समूह के लिए एक बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत के रूप में देखा गया था.
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