scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमदेशरिताशा सोबती, सेरेब्रल पाल्सी को पछाड़ पास की सिविल सेवा परीक्षा, अब कर रही हैं UPSC के फैसले का इंतजार

रिताशा सोबती, सेरेब्रल पाल्सी को पछाड़ पास की सिविल सेवा परीक्षा, अब कर रही हैं UPSC के फैसले का इंतजार

अपनी मेडिकल कंडीशन पर UPSC के फैसले का इंतजार कर रही रिताशा, पहले ही सिविल सेवा प्रीलिम्स 2023 और बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर परीक्षा पास कर चुकी है. उन्हें एफसीआई से नौकरी का ऑफर भी आया है.

Text Size:

चंडीगढ़: दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से चुनौतियों को पार करना 25 वर्षीय रिताशा सोबती के जीवन की आधारशिला रही है. जन्म से ही सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है – एक तंत्रिका संबंधी विकार जो शरीर के सामान्य कामकाज और समन्वय को कई तरह से प्रभावित करता है. रिताशा का कहना हैं कि यह सब उनके आत्मविश्वास को कम नहीं कर सकता.

अपने धैर्य और दृढ़ता के प्रमाण में, रिताशा ने 2022 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित देश की सबसे कठिन प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में से एक, भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की. उन्होंने ऑल इंडिया जनरल मेरिट लिस्ट – जिसकी घोषणा इस साल जून में की गई थी, उसमें 920वीं रैंक हासिल की थी.

हरियाणा की रहने वाली और कुरुक्षेत्र में एनआईटी से बीटेक की डिग्री वाली रिताशा अब यूपीएससी से अपनी मेडिकल स्थिति पर फैसले का इंतजार कर रही है और मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में प्रशिक्षण के लिए अपने बैचमेट्स के साथ जुड़ने की उम्मीद कर रही है.

रिताशा के पिता राकेश सोबती ने दिप्रिंट को बताया, “ट्रेनिंग जुलाई में शुरू हुई लेकिन रिताशा अपनी मेडिकल स्थिति के बारे में यूपीएससी के फैसले का इंतजार कर रही है.”

उन्होंने कहा, “चूंकि सेरेब्रल पाल्सी उम्मीदवार और केवल लोकोमोटर सीमाओं वाले उम्मीदवार के बीच अंतर होता है, इसलिए रैंकिंग बदल जाती है. एक बार जब वह विशिष्टता प्राप्त हो जाती है, तो रिताशा को एक नई रैंकिंग (विशेष रूप से विकलांगों के लिए कोटा के आधार पर) मिलेगी, जिसके बाद वह एक विशेष सिविल सेवा में शामिल हो जाएगी.”

Ritasha with her parents | Praveen Jain | ThePrint
रिताशा सोबती अपने माता-पिता के साथ | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

रिताशा अपने माता-पिता के साथ | प्रवीण जैन | दिप्रिंटहालांकि, रिताशा को समय बर्बाद करना बिल्कुल भी पसंद नहीं है और उन्होंने पहले ही सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा, 2023 पास कर ली है. उनके पिता ने कहा कि अगर उसकी प्रतीक्षा अवधि बढ़ जाती है, तो वह सितंबर में मुख्य परीक्षा में भाग लेंगी.

उन्होंने कहा, “सिविल सेवाओं के अलावा, उन्होंने बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर परीक्षा भी पास कर ली है और उन्हें भारतीय खाद्य निगम में नौकरी का प्रस्ताव मिला है.”

अपनी बेटी की उपलब्धियों पर गर्व करते हुए, उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि रिताशा एक बहुत ही होनहार छात्रा थी, जो स्कूल और कॉलेज में हमेशा अपनी कक्षा में टॉप पर रहती थी.

उन्होंने कहा, जब वह स्कूल में थी तभी उसने सिविल सेवा परीक्षा पास करना अपना अटूट लक्ष्य बना लिया था.

उन्होंने कहा, “अपनी कॉलेज की पढ़ाई के आखिरी साल में, उसने नौकरी छोड़ने का फैसला किया. वह घर आकर सिविल सेवा परीक्षा के लिए पढ़ाई करना चाहती थी. हमने कोचिंग कक्षाओं के लिए अपने गृहनगर कालका से जीरकपुर (पंजाब), जो चंडीगढ़ के करीब है, स्थानांतरित करके उसका समर्थन किया. वह देर रात तक पढ़ाई करती थी. ऑनलाइन कोचिंग कक्षाओं से मदद मिली और उसने चंडीगढ़ और पंचकुला के कोचिंग संस्थानों से मॉक टेस्ट भी दिए.”


यह भी पढ़ें: ‘यातना, भूख, मौत, इस्लामी प्रार्थनाएं’ – पंजाब और हरियाणा के 18 लोग लीबिया में किस नरक से गुज़रे


‘हर समस्या को चुनौती के रूप में लिया’

रिताशा के जन्म के बारे में बोलते हुए, उनके पिता ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी पत्नी, एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका थी, और उनकी नाॅरमल डिलीवरी होने वाली थी. “लेकिन उस दिन सब कुछ अचानक खराब हो गया.”

उन्होंने याद किया, “डिलीवरी कालका सिविल अस्पताल में होनी थी, लेकिन उस दिन ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर की लापरवाही के कारण यह योजना के अनुसार नहीं हुआ. जब तक एक वरिष्ठ डॉक्टर परवाणू (हिमाचल प्रदेश में) से अस्पताल पहुंचे, तब तक नवजात के मस्तिष्क को क्षति हो चुकी थी.”

जैसे-जैसे साल बीतते गए, दंपति ने रिताशा को इस तरह से बड़ा किया कि वह अपने सभी सहपाठियों की तरह आत्मविश्वासी महसूस करने लगी. रिताशा के पिता ने कहा, “रिताशा का जज्बा बेजोड़ है. उसने हर समस्या को एक चुनौती के रूप में लिया और चाहे कुछ भी हो जाए, हनेशा इससे उबरने का फैसला किया.”

Ritasha Sobti cracked UPSC, securing All India Rank 920 | Praveen Jain | ThePrint
रिताशा सोबती अपने घर पर | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, उसकी आवाज़ प्रभावित होने और उसके ऊपरी और निचले अंगों का उपयोग सीमित होने के बावजूद, उसने सब कुछ अपने आप करने की कोशिश की. जब उसे कुरुक्षेत्र के एनआईटी में कंप्यूटर में बीटेक पाठ्यक्रम में प्रवेश मिला, तो वह चार साल तक स्वतंत्र रूप से छात्रावास में रही.”

पिता ने कहा कि रिताशा का उनके छोटे भाई पर भी काफी प्रभाव रहा है. उन्होंने कहा, “वह बेहद खुश है कि उसका भाई भारतीय वायु सेना में होने के अपने सपने को पूरा करने में सक्षम हो गया है. वह अब एक फ्लाइंग ऑफिसर हैं.”

उन्होंने कहा कि दोनों भाई-बहन ने हमेशा एक-दूसरे का समर्थन किया है. निस्संदेह, रिताशा न केवल अपने भाई के लिए बल्कि लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा, एक आदर्श रही है. वह कहती है कि ‘अगर मैं यह कर सकती हूं तो आप क्यों नहीं?’

(संपादन: अलमिना खातून)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: कैमरा, चॉकलेट और समझौता- मुजफ्फरनगर का मुस्लिम बच्चा अपनी कहानी बार-बार दोहराने को मजबूर


share & View comments