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Monday, 23 December, 2024
होमदेशबढ़ते कोविड मामलों से भरे वेंटिलेटर बेड्स, जानिए क्यों डॉक्टर्स कह रहे हैं कि दिल्ली को अभी चिंता की जरूरत नहीं

बढ़ते कोविड मामलों से भरे वेंटिलेटर बेड्स, जानिए क्यों डॉक्टर्स कह रहे हैं कि दिल्ली को अभी चिंता की जरूरत नहीं

दिल्ली के 79 निजी अस्पतालों में, 59 में या तो सभी वेंटिलेटर बेड्स भरे हुए हैं, या लगभग भरे हैं. लेकिन दिल्ली सरकार ज़्यादा चिंतित नहीं है, सरकारी अस्पतालों में ज़्यादातर बेड्स अभी भी उपलब्ध हैं.

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नई दिल्ली: इधर दिल्ली कोविड-19 के बढ़ते मामलों से जूझ रही है उधर सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग आधे वेंटिलेटर बेड्स भरे हुए हैं और ख़ासकर निजी अस्पतालों में वो ख़त्म हो रहे हैं.

दिल्ली सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार वेंटिलेटर सपोर्ट वाले दिल्ली के 79 निजी अस्पतालों में से 59 या तो पूरी क्षमता को पहुंच चुके हैं या पहुंचने वाले हैं.

राष्ट्रीय राजधानी में कुल 1,216 वेंटिलेटर बेड्स उपलब्ध हैं- इनमें से 702 सरकारी अस्पतालों (केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों) में हैं और 514 निजी अस्पतालों में हैं.

कोविड अपडेट्स के लिए सरकार की अधिकारिक मोबाइल एप्लीकेशन, ‘दिल्ली कोरोना एप’ पर दिए गए ताज़ा आंकड़ों के अनुसार निजी अस्पतालों के 514 में से 462 भरे हुए हैं.’

दिप्रिंट ने शहर के कई डॉक्टरों से बात की जिन्होंने कहा कि वेंटिलेटर बेड्स का भरा होना, राजधानी में बढ़ते मामलों को दर्शाता है. लेकिन स्थिति नियंत्रण में है क्योंकि हेल्थकेयर सिस्टम इस चुनौती से निपटने में सक्षम है.

निजी अस्पतालों में डॉक्टरों ने ये भी कहा कि अधिकतर बेड्स पर राज्य से बाहर के मरीज़ भर्ती हैं. दिल्ली के नहीं.

सरोज सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, डॉ धीरज मलिक ने कहा, ‘हमारे वेंटिलेटर बेड्स पूरे भरे हैं, लेकिन उनमें से 70 प्रतिशत मरीज़ दूसरे राज्यों से हैं. दिल्ली की सीमाएं पूरी तरह खुली हैं. इसलिए पड़ोसी राज्यों- उत्तर प्रदेश, हरियाणा, यहां तक कि मध्यप्रदेश तक से लोग इलाज के लिए आ रहे हैं.’

दिल्ली सरकार भी इस घटनाक्रम से बहुत ज़्यादा चिंतित नहीं है, चूंकि कई सरकारी अस्पतालों में बेड्स अभी भी उपलब्ध हैं और मौतें भी बढ़ीं नहीं हैं.

दिल्ली सरकार की सामान्य स्वास्थ्य सेवा निदेशक, डॉ नूतन मुंडेजा ने दिप्रिंट से कहा, ‘मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, और निजी अस्पतालों में अधिकांश बेड्स भरे हुए हैं, लेकिन फिर भी दिल्ली में मौतें नहीं बढ़ रही हैं, जो उत्साहजनक है.’

पिछले हफ्ते में राष्ट्रीय राजधानी में मामलों में उछाल दर्ज आया, जब दैनिक मामले बढ़कर, शुक्रवार को 2,914 पहुंच गए- जो दो महीने से अधिक में सबसे ज़्यादा थे.

अभी तक दिल्ली में कोरोनावायरस के कुल 1,85,220 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें 4,513 मौतें हैं और 1,61,865 ठीक हो चुके हैं.

निजी अस्पताल भरे हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर बेड्स ख़ाली

दिल्ली में 93 अस्पतालों में वेंटिलेटर सुविधा है, और इनमें से 79 अस्पताल निजी हैं, 9 केंद्र सरकार द्वारा संचालित हैं, जबकि बाक़ी पांच दिल्ली सरकार के आधीन हैं.

दिल्ली सरकार के एप के मुताबिक़, मैक्स स्मार्ट साकेत, मैक्स अस्पताल पटपड़ गंज, इंद्रप्रस्थ अपोलो, और सरोज सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल जैसे 24×7 निजी अस्पतालों में कोई वेंटिलेटर बेड्स उपलब्ध नहीं हैं.


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इस बीच, 27 निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर सपोर्ट लगभग अपनी पूरी क्षमता पर है. इन अस्पतालों में मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल साकेत और सर गंगाराम कोल्मेट अस्पताल शामिल हैं.

डॉ मलिक के अनुसार पिछले दो हफ्तों में कोविड इलाज के लिए आने वाले कुल मरीज़ों में कम से कम 20-25 प्रतिशत को वेंटिलेटर सपोर्ट की ज़रूरत पड़ी है.

लेकिन, सरकारी अस्पताल अपनी आधी क्षमता पर भी नहीं पहुंचे हैं. इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि मामलों में फिर से उछाल की सूरत में पर्याप्त बेड्स उपलब्ध हैं.

दिल्ली सरकार द्वारा संचालित राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के डायरेक्टर, डॉ बीके शेरवाल ने कहा, ‘मरीज़ भर्तियां बढ़ गई हैं, क्योंकि जुलाई की अपेक्षा अब मामले ज़्यादा हैं, लेकिन हमारे पास पर्याप्त बेड्स हैं और हम चुनौती के लिए तैयार हैं.’

कुछ डॉक्टरों ने ये भी कहा कि वेंटिलेटर बेड्स इसलिए भी बढ़ गए हैं कि अब केवल गंभीर मरीज़ ही अस्पतालों में आ रहे हैं.

सर गंगाराम अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्रमुख, डॉ एसपी ब्योत्रा ने कहा, ‘वेंटिलेटर बेड्स का भरना स्वाभाविक है, क्योंकि दिल्ली में मामले बढ़ रहे हैं. लेकिन वेंटिलेटर्स के बढ़े इस्तेमाल ये भी पता चलता है कि केवल गंभीर मामले ही अस्पतालों में आ रहे हैं, वो मामले जिनमें सांस की परेशानी और दूसरी बीमारियां हैं. अधिकतर मामले हल्के हैं, और उन्हें होम आईसोलेशन की सलाह दी जा रही है.’

मामलों में उछाल

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले ख़बर दी थी एक महीने की कमी के बाद, दिल्ली में रोज़ाना के मामलों में, फिर इज़ाफा देखने को मिल रहा है.

राजधानी में रोज़ाना के मामले शनिवार को, दो महीने में सबसे अधिक बढ़कर 2,914 पहुंच गए. पिछली बार ये आंकड़ा 27 जुलाई को, 2,900 के पार हुआ था, जब 2,948 मामले दर्ज हुए थे.

अगस्त के आख़िरी हफ्ते में, दिल्ली में हर रोज़ 1,061 (24 अगस्त),1,544 (25 अगस्त), 1,693 (26 अगस्त), 1,840 (27 अगस्त), 1,808 (28 अगस्त), 1954 (29 अगस्त), 2024 (30 अगस्त) 1,358 (31 अगस्त) मामले दर्ज किए गए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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