चंडीगढ़: पंजाब के लिए 2022 का साल कानून-व्यवस्था के लिहाज से थोड़ा खराब ही बीता. राज्य में गैंगस्टर्स का दुस्साहस बढ़ता नजर आया तो आतंकी हमले और हाई प्रोफाइल हत्या की घटनाएं भी दहलाती रहीं. यही वो साल रहा जब राजनीतिक स्तर पर भी एक ऐतिहासिक बदलाव दिखा और अचानक ही उभरी आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत के साथ राज्य की सत्ता संभाली.
यद्यपि, आप सरकार का दावा है कि इस साल राज्य में हत्याओं और अन्य गंभीर अपराधों में काफी कमी आई है. लेकिन आंकड़े सत्तासीन पार्टी को बहुत ज्यादा राहत नहीं देते हैं और उसे कानून-व्यवस्था पर कड़ा नियंत्रण बनाए रखने में नाकाम माना जा रहा है.
मुख्यमंत्री भगवंत मान को पद संभालने के बाद से ही एक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य में स्थिति को पूरी गंभीरता और दृढ़ता से संभाल पाने में नाकाम रहने को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. विपक्ष तो यहां तक आरोप लगा चुका है कि आप के शासनकाल में पंजाब एक बार फिर खालिस्तानी उग्रवाद के सिर उठाने के कगार पर पहुंच गया है.
पिछले हफ्ते लोकसभा में अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने शराब पीकर सदन में आने को लेकर मान पर निशाना साधा और उन्हें ‘डमी सीएम’ तक करार दिया जिन्हें आप के दिल्ली नेतृत्व की तरफ से नियंत्रित किया जाता है.
इस वर्ष पंजाब ने सीमा पार से कम से कम तीन आतंकी हमले झेले, जब रॉकेट चालित ग्रेनेड (आरपीजी) दागे गए और एक आईईडी विस्फोट भी हुआ. इन सबका निशाना पुलिस भवन रहे. पंजाबी गायक सिद्धू मूसे वाला, दक्षिणपंथी हिंदू नेता सुधीर सूरी और बेअदबी मामले में आरोपी प्रदीप कुमार की निर्मम हत्याओं ने राज्य को दहलाकर ही रख दिया. वहीं, राज्य में बढ़ते कट्टरपंथ के बीच हिंदू-सिख संघर्ष की घटना भी सामने आई.
पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुखचैन सिंह गिल ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सीमा पार से नार्को-टेरर गतिविधियां—जिसमें हथियार और ड्रग्स पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करना शामिल है—और गैंगस्टरवाद बढ़ने के बावजूद पुलिस ने अपने स्तर पर काफी सफलता हासिल की है. पुलिस राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति संभालने और प्रमुख आपराधिक गतिविधियों पर नकेल कसने में सक्षम रही.
पंजाब में साल 2021 का समापन दिसंबर में लुधियाना सिविल कोर्ट में एक शक्तिशाली बम विस्फोट की घटना साथ हुआ था. धमाके में कथित तौर पर बम बनाने वाले एक पूर्व पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी और कुछ अन्य लोग घायल हुए थे. बताया गया कि हमले के पीछे गैंगस्टर से आतंकी बने हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा का हाथ था, जिसे कथित तौर पर पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का संरक्षण हासिल था.
रिंदा की जहां गत नवंबर में पाकिस्तान में कथित तौर पर ड्रग ओवरडोज के कारण मौत हो गई, वहीं लुधियाना कोर्ट में विस्फोट मामले में एक अन्य प्रमुख साजिशकर्ता हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी मलेशिया को इस महीने की शुरुआत में दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया.
आतंकी हमलों में चिंता बढ़ाई
जनवरी में पंजाब पुलिस ने गणतंत्र दिवस समारोह से पहले गुरदासपुर में लगभग 4 किलो आरडीएक्स के साथ एक ग्रेनेड लॉन्चर बरामद करके एक संभावित आतंकी हमले को नाकाम कर दिया था.
हालांकि, बाद में वह दो आरपीजी हमले रोकने में नाकाम रही, जिसमें एक मई में मोहाली स्थित पंजाब पुलिस खुफिया मुख्यालय पर गिरा और दूसरे का निशाना इस महीने तरनतारन जिले के सरहाली गांव का एक पुलिस स्टेशन परिसर बना.
ये पंजाब में अपनी तरह के पहले हमले थे और आतंकियों और गैंगस्टर्स के बीच बढ़ते रिश्तों का संकेत माने जा रहे हैं जिसमें हमलों को अंजाम देने के लिए ट्रिगर हैप्पी युवाओं के एक जटिल नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया. इसमें अधिकांश नाबालिग शामिल रहे हैं.
हालांकि, साल का अंत आते-आते पुलिस फिलीपींस से चल रहे एक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने और तरनतारन से गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों के पास एक और आरपीजी बरामद करने सफल रही.
गौरतलब है कि मार्च में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने से ऐन पहले रोपड़ के कलवा में एक पुलिस चौकी पर आईईडी धमाके को आतंकी हमले की घटना ही माना जा रहा है.
आईजी गिल के मुताबिक, इस साल आंतरिक सुरक्षा कर्मियों ने कुल 18 आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है और 119 आतंकियों/कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया है. उन्होंने खुलासा किया कि 13 टिफिन इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी), 24.5 किलोग्राम आरडीएक्स और अन्य विस्फोटक, 37 हथगोले, एक डिस्पोज़्ड रॉकेट लॉन्चर की दो स्लीव्स और 22 ड्रोन बरामद किए गए है. पुलिस ने इसके अलावा कुछ पिस्टल और राइफलें भी बरामद की हैं.
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हाई-प्रोफाइल हत्याओं ने फैलाई सनसनी
अप्रैल में, मान सरकार ने गैंगस्टरों से निपटने के लिए पंजाब पुलिस की एक विशेष विंग—एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) बनाई. हालांकि, हाई प्रोफाइल हत्याओं को अंजाम देने में गैंगस्टर्स पूरे साल पुलिस से एक कदम आगे ही रहे.
मई में एक गैंगवार ने सिंगिंग सेंशेसन सिद्धू मूसेवाला की जान ले ली. कनाडा के गैंगस्टर गोल्डी बराड़ को मूसेवाला हत्याकांड का मास्टरमाइंड माना जा रहा है. बराड़ को शक था कि मूसेवाला उसके प्रतिद्वंद्वी गौरव उर्फ लकी पटियाल की अगुआई वाले दविंदर बंबीहा गिरोह के सदस्यों की मदद कर रहा था. पुलिस ने हत्या में कथित तौर पर शामिल रहे दो दर्जन से अधिक बदमाशों और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया है.
अक्टूबर में कथित तौर पर गैंगस्टर्स ने तरनतारन में एक कपड़ा व्यापारी की हत्या कर दी, क्योंकि उसने 20 लाख रुपये की रंगदारी देने से मना कर दिया था.
नवंबर में एक विवादास्पद दक्षिणपंथी नेता सुधीर सूरी की अमृतसर के एक व्यस्त बाजार में हत्या कर दी गई, जहां वह एक मंदिर के बाहर धरने पर बैठे थे. जब उन्हें गोली मारी गई तो उनके आसपास कम से कम एक दर्जन सुरक्षाकर्मी मौजूद थे. कथित हत्यारे एक कपड़ा व्यवसायी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस का कहना है कि यह हत्या हेट क्राइम का नतीजा थी न कि कोई पूर्व नियोजित साजिश.
सूरी की हत्या से एक हफ्ते पहले ही, एक अन्य पुलिस सुरक्षाधारी प्रदीप सिंह की कोटकपूरा में उसकी दुकान के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. प्रदीप सिंह 2015 की बेअदबी की घटनाओं में आरोपी था. इस अपराध में शामिल आधा दर्जन से अधिक गैंगस्टर्स को दिल्ली और पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
वहीं, दिसंबर के पहले हफ्ते में नकोदर के एक व्यस्त बाजार में एक अन्य पुलिस सुरक्षा प्राप्त कपड़ा व्यवसायी भूपिंदर सिंह टिम्मी चावला और उनके गार्ड मनदीप सिंह की हत्या कर दी गई. घटना थाने से महज एक किलोमीटर की दूरी पर हुई. पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी के साथ दोहरे हत्याकांड का खुलासा करने का दावा किया है.
आईजी गिल के मुताबिक, एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स ने 6 अप्रैल 2022 को अपने गठन के बाद से 111 गैंगस्टर/आपराधिक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है और 428 गैंगस्टर या अपराधियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इन अपराधियों के पास से 400 से ज्यादा हथियार, करीब 100 वाहन और 43 किलो हेरोइन भी बरामद की है.
पटियाला में टकराव और बढ़ती कट्टरता
पंजाब में मान सरकार के सत्ता संभालने के बमुश्किल एक महीने बाद ही हिंदुओं और सिखों के बीच एक गुटीय संघर्ष हुआ. हिंदू समूह का नेतृत्व करने वाले शिवसेना नेता हरीश सिंगला ने घोषणा की थी कि वह और उनके समर्थक पटियाला में खालिस्तान विरोधी मार्च निकालेंगे. इससे खफा सिख युवकों का एक समूह सिंगला और उनके समर्थकों को मार्च निकालने से रोकने के लिए उनसे भिड़ गया.
ये झड़प पटियाला में प्रसिद्ध काली माता मंदिर के बाहर हुई और स्थिति बिगड़ती देख जिला प्रशासन को जिले में कर्फ्यू लगाने पर मजबूर होना पड़ा. साथ ही इंटरनेट सेवाओं को भी प्रतिबंधित कर दिया गया.
जनवरी में काली माता मंदिर में बेअदबी का प्रयास भी हुआ था और इसके लिए एक सिख युवक को गिरफ्तार किया गया था.
विपक्षी दलों ने राज्य में सिख युवाओं के बीच बढ़ती ‘कट्टरता’ पर चिंता जताई है. गौरतलब है कि फरवरी में अभिनेता से खालिस्तानी विचारक बने दीप सिद्धू की मौत के बाद उसकी विरासत संभालने का दावा करने वाला अमृत पाल सिंह संधू तेजी से उभरा है. गत अक्टूबर से सुर्खियों में छाए संधू ने सिख युवाओं को धर्म की राह पर ‘प्रेरित’ के लिए गांव-गांव घूमना शुरू किया है. संधू दुबई में अपने परिवार का ट्रांसपोर्ट कारोबार छोड़कर अगस्त में पंजाब लौटे थे.
संधू ने दावा किया कि उनका इरादा सिख युवाओं को धर्म की राह पर वापस लाना और उन्हें ड्रग्स से दूर करने का है. हथियारबंद लोगों से घिरे संधू खालिस्तान का समर्थन भी कर रहे हैं, और सिख युवाओं को धर्म के लिए अपने बलिदान को तैयार रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
(संपादनः शिव पाण्डेय । अनुवादः रावी द्विवेदी)
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