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बुधवार, 23 अप्रैल, 2025
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यकृत संबंधी रोगों का बढ़ना चिंता का विषय; स्वास्थ्य, समग्र तंदुरुस्ती के लिए आहार जरूरी: विशेषज्ञ

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मुंबई, 20 अप्रैल (भाषा) फैटी लिवर, हेपेटाइटिस और सिरोसिस जैसी यकृत से जुड़ी बीमारियां सभी उम्र के लोगों में बढ़ने के बीच, विशेषज्ञों ने प्रसंस्कृत और मीठे खाद्य पदार्थों के सेवन पर चिंता जताते हुए कहा है कि आहार का सीधा प्रभाव यकृत की सेहत और समग्र तंदुरुस्ती पर पड़ता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भोजन केवल भूख मिटाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह शरीर को स्वस्थ रखने में भी योगदान देता है।

ग्रीनईगल्स हॉस्पिटल में एचपीबी सर्जरी, पैंक्रियास, आंत और यकृत प्रतिरोपण विभाग के निदेशक डॉ. अनुराग श्रीमाल ने शनिवार को जारी बयान में कहा, “वर्तमान में 23 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं में फैटी लिवर के मामले सामने आ रहे हैं, जिसका मुख्य कारण निरंतर मीठे, तैलीय, डिब्बाबंद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन है।”

उन्होंने अपने बयान में कहा, “इसलिए जरूरी है कि व्यक्ति अपने खानपान को लेकर सजग हो जाएं। हम क्या खाते हैं, इसका सीधा असर हमारे यकृत पर पड़ता है।”

डॉ. श्रीमाल के अनुसार, थकान, पीलिया, सूजन और पेट दर्द जैसे लक्षण अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं, जिसकी वजह से फैटी लिवर, हेपटाइटिस और सिरोसिस जैसी स्थितियां सभी उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ रही हैं।

मुंबई स्थित अस्पताल के हेप्टोलॉजी और यकृत प्रतिरोपण चिकित्सा विभाग के निदेशक डॉ. अमित मांडोत ने कहा कि यकृत की सेहत को प्राथमिकता देना जरूरी है और लोगों को नियमित जांच और जीवनशैली में बदलाव के महत्व को समझाना चाहिए।

अस्पताल में हेपटोलॉजी और यकृत प्रतिरोपण के एसोसिएट निदेशक डॉ. चेतन कलाल ने कहा, “तेज रफ्तार जिंदगी में हम अक्सर यकृत को नजरअंदाज कर देते हैं। यह रोजाना 500 से अधिक महत्वपूर्ण कार्य करता है, जिसमें पोषकों को नियमित करने के लिए विषैले तत्वों को छानना भी शामिल है।”

उन्होंने कहा कि भोजन सिर्फ भूख मिटाने के लिए नहीं होता है, बल्कि यह शरीर को दुरूस्त, ऊर्जावान करने और सुरक्षा प्रदान करने में भी योगदान देता है।

डॉ. कलाल ने कहा, “हमारा आहार फैटी लिवर, हेपेटाइटिस और सिरोसिस जैसी बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन लोग बीमारी के लक्षण प्रकट होने तक इन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं।

उन्होंने कहा, “फाइबर से भरपूर फल और सब्जियां, साबुत अनाज खाना और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना यकृत को तंदुरस्त रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”

भाषा राखी सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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