इंदौर (मप्र): आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज को ब्लैकमेल कर उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जिला अदालत ने 28 वर्षीय महिला समेत तीन सेवादारों को शुक्रवार को छह-छह साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने आध्यात्मिक गुरु की आत्महत्या के हाई-प्रोफाइल मामले में उनके तीन सेवादारों-पलक पौराणिक (28), विनायक दुधाड़े (45) और शरद देशमुख (37) को भारतीय दंड विधान की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई.
अदालत ने 56 पन्नों के फैसले में कहा कि पुलिस की जांच और अभियोजन के गवाहों के बयानों से साबित हुआ है कि पौराणिक, दुधाड़े और देशमुख ने षड्यंत्र किया था और वे भय्यू महाराज पर पौराणिक से विवाह का बार-बार दबाव बनाकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे तथा उन्हें धमकाकर उनसे धन की मांग भी कर रहे थे.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा, ‘पौराणिक, भय्यू महाराज की सेवादार मात्र थी अर्थात उनके संबंध क्रमशः नौकर और मालिक के थे. फिर भी पौराणिक का भय्यू महाराज की अलमारी में उनके कपड़ों के साथ अपने कपड़े रखना, उनका कमरा साझा करना, गाड़ी में उनके बगल में बैठना, उन्हें (अन्य महिला के साथ) विवाह करने से रोकना तथा स्वयं उनसे शादी की इच्छा रखना दर्शाता है कि पौराणिक, भय्यू महाराज की इच्छा को कहीं न कहीं अधिशासित करते हुए उन पर दबाव बनाने की स्थिति में थी.’
अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा, ‘एक नौकर अपने मालिक की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में तभी होता है, जब वह मालिक की किसी कमजोरी से वाकिफ हो.’
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, भय्यू महाराज पर पौराणिक आपत्तिजनक चैट और अन्य निजी वस्तुओं के बूते शादी के लिए दबाव बना रही थी, जबकि 50 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु अपनी पहली पत्नी माधवी की दिल के दौरे के कारण मौत के बाद डॉ. आयुषी शर्मा के साथ दूसरा विवाह कर चुके थे.
उल्लेखनीय है कि कि भय्यू महाराज ने इंदौर के बायपास रोड स्थित अपने बंगले में 12 जून 2018 को अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. उनका वास्तविक नाम उदय सिंह देशमुख था, लेकिन उनके अनुयायी उन्हें भय्यू महाराज कहकर बुलाते थे.
पुलिस ने भय्यू महाराज के घर से एक छोटी डायरी के पन्ने पर लिखा सुसाइड नोट बरामद किया था. इसमें आध्यात्मिक गुरु ने लिखा था कि ‘वह भारी तनाव से तंग आकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर रहे हैं.’
गौरतलब है कि भय्यू महाराज ने इस सुसाइड नोट में यह भी लिखा था कि उनकी मृत्यु के बाद उनके वित्तीय अधिकारों के साथ ही उनकी संपत्ति, बैंक खाते और संबंधित मामलों में दस्तखत का हक विनायक दुधाड़े को सौंप दिया जाए.
भय्यू महाराज के सबसे नजदीकी सेवादारों में शामिल रहा दुधाड़े, उन तीन मुजरिमों में शामिल है जिन्हें आध्यात्मिक गुरु को खुदकुशी के लिए उकसाने के जुर्म में सजा सुनाई गई है.
बहरहाल, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने भय्यू महाराज के सुसाइड नोट के आधार पर बचाव पक्ष को कोई भी लाभ प्रदान करने से साफ इनकार कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि जांच से यह भी साबित हो चुका है कि भय्यू महाराज को आरोपियों द्वारा जो औषधियां दी जाती थीं, उनमें नींद की दवा शामिल थी.
अदालत ने कहा कि आरोपियों के दबाव और नींद की गोलियों के प्रभाव में पहले से चल रहे भय्यू महाराज से अपेक्षा नहीं की जा सकती कि उनके द्वारा ‘स्वस्थ चित्त की अवस्था में’ सुसाइड नोट लिखा गया हो.
मामले में अदालत के सामने गवाही देते हुए एक मनोचिकित्सक ने बयान दर्ज कराया था कि भय्यू महाराज नींद की गोलियों के साथ ही मनोचिकित्सा संबंधी दवाएं ले रहे थे.
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.