नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के सांसद के चुनाव से जुड़े मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा है कि सूचित विकल्प के आधार पर वोट देने का अधिकार लोकतंत्र के सार का एक महत्वपूर्ण घटक है।
उच्च न्यायालय ने सांसद द्वारा उनके चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने के अनुरोध वाली अर्जी को ठुकरा दिया था।
कांग्रेस उम्मीदवार के. मदन मोहन राव ने जहीराबाद लोकसभा क्षेत्र से भीम राव बसवंत राव पाटिल के चुनाव को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए दावा किया था कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ लंबित मामलों और दोषसिद्धि का खुलासा नहीं किया था, जिससे मतदाताओं को सही सूचना नहीं मिली।
पाटिल ने दलील दी थी कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के तहत ‘‘तथाकथित’’ आपराधिक मामलों का खुलासा करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि उन्हें एक वर्ष से अधिक के कारावास की सजा नहीं दी गई थी।
न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने पाटिल की अपील को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि संबंधित निर्णय में कोई त्रुटि नहीं थी।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला दिया और कहा कि प्रावधान के तहत प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और जिसकी आयु 21 वर्ष से कम नहीं है, ऐसे किसी भी चुनाव में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार है।
पीठ ने कहा, ‘‘सूचित विकल्प के आधार पर वोट देने का अधिकार लोकतंत्र के सार का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह अधिकार बहुमूल्य है और यह स्वतंत्रता के लिए, स्वराज के लिए एक लंबी और कठिन लड़ाई का परिणाम था, जहां नागरिक को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अपरिहार्य अधिकार है।’’
पीठ ने कहा कि लोकतंत्र को संविधान की आवश्यक विशेषताओं में से एक का हिस्सा माना गया है। पीठ ने कहा, ‘‘फिर भी, कुछ हद तक विरोधाभासी रूप से वोट देने के अधिकार को अभी तक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता नहीं दी गई है; इसे महज वैधानिक अधिकार कहा गया है।’’
अदालत के फैसलों के माध्यम से उम्मीदवार की पूरी पृष्ठभूमि के बारे में जानना मतदाता का अधिकार है और यह हमारे संवैधानिक न्यायशास्त्र के समृद्ध भंडार में एक अतिरिक्त आयाम है।
पीठ ने कहा, ‘‘इसे ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की राय है कि यदि अपीलकर्ता की दलीलों को स्वीकार कर लिया जाए, तो इस स्वीकारोक्ति के आधार पर पूर्ण सुनवाई से इनकार कर दिया जाएगा कि तथ्यों को दबाया नहीं गया था।’’
पाटिल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राव को 6,229 वोटों के अंतर से हराया था। राव ने अपनी चुनाव याचिका में आरोप लगाया कि झारखंड के गढ़वा जिले में पाटिल और उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली एक व्यावसायिक फर्म के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और बीआरएस नेता ने अपने नामांकन पत्र में इस जानकारी को छुपाया था।
भाषा आशीष गोला
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