कोलकाता: गोवा विधानसभा चुनाव में अपनी निराशाजनक शुरुआत के बाद भी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. जहां प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अब महज तीन विधायकों तक सिमट कर रह गया है और विधानसभा की 40 सीटों में से 33 सीटें भाजपा की गिनती में आ गई हैं, वहीं टीएमसी ने तटीय राज्य में कांग्रेस की वजह से हुए शून्य को भरने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है.
पार्टी ने गोवा के लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने में मदद करने के लिए 7 सितंबर को एक नई 40 सदस्यीय राज्य समिति की घोषणा की है. हालांकि राज्य में पार्टी का प्रमुख चेहरा लुइजिन्हो फलेरियो का नाम इस संशोधित समिति से गायब है.
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी फलेरियो सितंबर 2021 में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे. तब उन्हें ममता बनर्जी ने पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया और दो महीने बाद तृणमूल सांसद अर्पिता घोष की जगह राज्यसभा का टिकट दिया गया.
लुइजिन्हो फलेरियो ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि उनकी कोलकाता में पार्टी नेतृत्व से कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है. उन्होंने बताया, ‘मैं तृणमूल कांग्रेस का राज्यसभा सांसद हूं, मैंने उच्च सदन में गोवा से जुड़े 40 महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं. अगर उसके बावजूद भी तृणमूल मुझसे नाखुश है, तो वे ही बता पाएंगे.’
लेकिन फलेरियो से जब यह पूछा गया कि क्या वह राज्यसभा या तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता छोड़ने जा रहे हैं, तो उन्होंने इस सवाल पर चुप्पी साध ली.
पिछले हफ्ते पणजी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, राज्य सभा के तृणमूल संसदीय नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने फलेरियो को एक ‘सम्माननीय व्यक्ति’ कहा. उनकी यह प्रतिक्रिया इस सवाल के बाद आई जब उनसे पूछा गया कि क्या फलेरियो का नाम राज्य समिति से बाहर किए जाने के बाद भी वह टीएमसी के सदस्य बने रहेंगे.
उधर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में टीएमसी पर फलेरियो का प्रभाव ‘महत्वहीन’ और ‘लगभग न के बराबर’ है.
सामिल वॉल्वोइकर मारियानो रोड्रिग्स के साथ गोवा में टीएमसी के संयुक्त संयोजक हैं. उन्होंने समिति से फलेरियो को बाहर करने के पार्टी के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम किसी को मिस नहीं कर रहे हैं’.
उन्होंने बताया. ‘पार्टी ने जो भी निर्णय लिया है, वो राज्य कार्यकर्ताओं और राज्य समिति के सदस्यों के साथ पूरी तरह से परामर्श करने के बाद ही लिया गया है. गोवा टीएमसी यहां आने वाले कई सालों तक बने रहने के लिए है.’
लेकिन पार्टी ने स्वीकार किया कि उन्होंने राज्य में गलत कदम उठाए, खासतौर पर पार्टी को अपने बलबूते आगे न बढ़ने देने को लेकर.
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गलतियों को स्वीकार करना
तृणमूल कांग्रेस और लुइजिन्हो फलेरियो के बीच फिर से दरार आनी जनवरी 2022 में शुरू हुई. अभिषेक बनर्जी की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फतोर्दा से फलेरो की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद, फलेरियो ने नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन अपना नाम वापस ले लिया और तृणमूल कांग्रेस को एक मुश्किल में डाल दिया.
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘फलेरो ने पार्टी के आदेश का पालन नहीं किया था और फतोर्दा से लड़ाई छोड़कर भाग गए. वह अपने निर्वाचन क्षेत्र नवेलिम से भी कुछ नहीं कर पा रहे थे.
चुनाव परिणाम तृणमूल कांग्रेस के लिए एक करारा झटका था. मगर गोवा में एक भी सीट हासिल न कर पाने के बावजूद पार्टी ने अपने पहले प्रदर्शन में आठ प्रतिशत वोट शेयर जरूर हासिल कर लिया. इसकी बड़ी वजह IPAC’s की जमीनी रिपोर्ट और गोवा के नेता थे, जो पार्टी के चुनावी भाग्य को सुरक्षित करने के लिए टीएमसी में शामिल हुए थे.
दिप्रिंट से बात करते हुए, सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने स्वीकार किया कि लोगों के साथ मजबूती से जुड़ने के लिए पार्टी को गोवा में व्यवस्थित रूप से आगे आना चाहिए था. ‘गलतियों में अनावश्यक तरीके से भविष्य के लिए चीजों को जमा करना, ‘दक्षिणपंथी’ वाली पार्टी के साथ गठबंधन और लोगों को शामिल करने की हड़बड़ी थी. हमें अपने बलबूते आगे बढ़ने की जरूरत है. कुछ लोगों में गलतियों को स्वीकार करने और सकारात्मक इरादे के साथ आगे बढ़ने की क्षमता होती है. हम टीएमसी में ऐसा कर सकते हैं.’
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गोवा राजनीतिक पॉटबॉयलर
भाजपा तटीय राज्य गोवा में अपनी ताकत बढ़ा रही है और उसके सामने दो विपक्षी दल हैं- कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस.
कांग्रेस, जो प्रमुख विपक्षी दल थी, उसके 11 मौजूदा विधायकों में से आठ के भाजपा से हाथ मिलाने के बाद राज्य में उसकी स्थिति न के बराबर है. गोवा में नई-नवेली पार्टी तृणमूल कांग्रेस अब कांग्रेस के दलबदलुओं की वजह से आए शून्य का इस्तेमाल भाजपा के एकमात्र विकल्प के रूप में उभरने के लिए कर रही है.
गैंगस्टर स्टेट: द राईज एंड फॉल ऑफ सीपीआईएम इन वेस्ट बंगाल के लेखक और राजनीतिक विश्लेषक सौर्य भौमिक कहते हैं, ‘गोवा में तृणमूल कांग्रेस के पास बहुत कम बचा है. भाजपा ने अब विपक्ष का सफाया कर दिया है और वैसे भी गोवा की राजनीति हमेशा सुविधा की रही है. अगर फलेरियो रुकने या जाने का फैसला करते हैं, तो टीएमसी के लिए इसकी जमीन स्तर पर प्रभाव लगभग न के बराबर होगा.’
राजनीतिक विश्लेषक और बंगबासी कॉलेज, राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर उदयन बंदोपाध्याय ने भी इसी तरह की बात कही. उन्होंने कहा, ‘लुइज़िन्हो फलेरियो पहले कांग्रेस में थे, फिर वह तृणमूल में शामिल हो गए, लेकिन वह कुछ भी करने में नाकाम रहे हैं. फलेरियो सारहीन है, टीएमसी को गोवा की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि को समझना होगा क्योंकि सिर्फ संरचनात्मक परिवर्तन से राज्य में पार्टी को मदद नहीं मिलेगी, पहले इसे पूरी तरह से समझने होगा.’
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