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Monday, 20 January, 2025
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कोलकाता कोर्ट ने ट्रेनी डॉक्टर के रेप-हत्या मामले में संजय रॉय को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई

अदालत ने पिछले शनिवार को कोलकाता पुलिस के पूर्व नागरिक स्वयंसेवक को दोषी पाया. सोमवार को न्यायाधीश ने रॉय को सूचित किया कि वह सज़ा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं. रॉय का कहना है कि वे निर्दोष है.

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कोलकाता: कोलकाता की एक कोर्ट अदालत ने पिछले साल अगस्त में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31-वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में एकमात्र आरोपी संजय रॉय को सोमवार को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई, साथ ही कहा कि यह “दुर्लभतम में से दुर्लभतम मामला नहीं है”.

पिछले शनिवार को — मुकदमे के समाप्त होने के 63 दिन बाद — सियालदह कोर्ट के जज अनिरबन दास ने रॉय को अपराध का दोषी करार दिया था.

सोमवार को सज़ा सुनाते हुए जज ने कहा, “संजय रॉय आप पर बीएनएस एक्ट की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत आरोप लगाया गया है. सीबीआई ने मृत्युदंड की मांग की थी. आपके वकील ने मृत्युदंड के खिलाफ दलील दी है.”

जज अनिरबन दास ने सज़ा सुनाते हुए कहा, “यह दुर्लभतम में से दुर्लभतम मामला नहीं है.” उन्होंने रॉय को यह भी बताया कि वह सज़ा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर सकता है.

संजय रॉय को जेल ले जाने से पहले कोर्ट के बाहर की जा रही तैयारियां | फोटो: श्रेयसी डे/दिप्रिंट
संजय रॉय को जेल ले जाने से पहले कोर्ट के बाहर की जा रही तैयारियां | फोटो: श्रेयसी डे/दिप्रिंट

सज़ा सुनाए जाने से पहले कोर्ट रूम 210 में काफी उत्साह था, क्योंकि भीड़ अंदर जाने के लिए धक्का-मुक्की कर रही थी.

ठीक 12:34 बजे जज अनिरबन दास अंदर आए और अपनी सीट पर बैठे. उन्होंने रॉय को उसके दोषी करार दिए जाने और उसके जघन्य अपराध के लिए मिलने वाली कड़ी सज़ा की याद दिलाई. जज ने शनिवार के फैसले पर फिर से विचार किया और रॉय से पूछा कि क्या उसे आखिरी बार कुछ कहना है.

ग्रे और ऑरेंज कलर की हुडी पहने हुए रॉय शांत खड़ा रहा और उसने फिर से खुद को निर्दोष बताया. जज ने कहा कि रॉय 63 दिनों की सुनवाई के दौरान खुद को निर्दोष साबित करता रहा. हालांकि, जब उसे सज़ा के बारे में बोलने का मौका दिया गया, तो रॉय ने चुप रहना ही बेहतर समझा.

बचाव पक्ष की वकील सेजुती चक्रवर्ती ने दलील दी कि मौत की सज़ा को “दुर्लभतम” मामलों के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए. उन्होंने अपने रुख के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया. जवाब में, सीबीआई के वकील पार्थ सारथी दत्ता ने तर्क दिया कि आरजी कर बलात्कार और हत्या एक “दुर्लभतम” मामला है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्याय में सामाजिक विश्वास को बनाए रखने के लिए अभियुक्त को मृत्युदंड देना ज़रूरी है.

सुनवाई के दौरान, न्यायाधीश ने रॉय से यह भी पूछा कि क्या वह अपनी गिरफ्तारी के बाद से परिवार के किसी भी सदस्य के संपर्क में था. उसने जवाब दिया कि वह अपनी मां के संपर्क में है, लेकिन उसके परिवार से कोई भी व्यक्ति उसकी हिरासत के बाद से उससे मिलने नहीं आया है.

इसके बाद अदालत ने कार्यवाही दोपहर 2:45 तक के लिए स्थगित कर दी.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा प्रस्तुत फोरेंसिक सबूतों के आधार पर, न्यायाधीश ने शनिवार को कोलकाता पुलिस के पूर्व नागरिक स्वयंसेवक के खिलाफ आरोप पढ़े — भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (किसी महिला की मृत्यु का कारण बनना) और 103 (1) (हत्या).

इन अपराधों के लिए न्यूनतम सज़ा उम्रकैद और अधिकतम सज़ा मृत्यु है. शनिवार को जज ने उसे दोषी करार देते हुए कहा, “तुम (संजय रॉय) अस्पताल में घुसे, हमला किया, बलात्कार किया और पीड़िता की हत्या कर दी.”

रॉय ने जोर देकर कहा कि वह निर्दोष है, उसका दावा है कि उसे अपराध के लिए फंसाया जा रहा है. उसने खचाखच भरे कोर्ट रूम में चिल्लाते हुए कहा, “मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं…अगर मैंने अपराध किया होता, तो यह टूटकर बिखर जाती”.

शनिवार को सुनवाई जो 12 मिनट में समाप्त हो गई, अदालत में दूसरी पंक्ति से पीड़िता के माता-पिता ने फैसला सुना. हाथ जोड़कर पिता ने जज से कहा, “आपने न्यायपालिका में हमारा विश्वास जगाया है.”

अदालत के बाहर मीडिया को पहली प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “हमने न्याय की ओर पहला कदम बढ़ा दिया है. संजय रॉय को दोषी ठहराया गया है; हम चाहते हैं कि उसे अधिक से अधिक सज़ा मिले.”

सीबीआई की चार्जशीट

पिछले साल 7 अक्टूबर को कोर्ट में पेश की गई 45 पन्नों की सीबीआई चार्जशीट में सीबीआई ने उन घटनाओं का क्रम बताया है, जिसके चलते यह जघन्य अपराध हुआ. जांच एजेंसी ने करीब 128 गवाहों से पूछताछ की और जांच से जुड़े 90 दस्तावेज भी संलग्न किए.

सीबीआई ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज के जरिए संजय रॉय की मौजूदगी आर.जी. कर के चेस्ट मेडिसिन डिपार्टमेंट में — अपराध स्थल — की पुष्टि हुई है. उसके कॉल डेटा और मोबाइल लोकेशन से पता चला कि वह 8 और 9 अगस्त की रात को अपराध के समय मौजूद था.

पोस्टमॉर्टम के दौरान पीड़िता के शरीर से उसका डीएनए मिला. सीबीआई ने कहा कि इसके अलावा, कोलकाता पुलिस द्वारा जब्त किए गए संजय रॉय की जींस और जूतों पर पीड़िता का खून मिला था.

यहां तक ​​कि अपराध स्थल से एकत्र किए गए बाल भी रॉय के खून से मेल खाते थे. कोलकाता पुलिस ने अपराध के 24 घंटे के भीतर 10 अगस्त को रॉय को गिरफ्तार कर लिया था.

पुलिस ने अपराध स्थल से एकत्र किए गए टूटे हुए, वायर्ड ब्लूटूथ हेडफोन पर भरोसा किया, जिसे रॉय के फोन से जोड़ा गया था. एसएसकेएम अस्पताल में उनकी मेडिकल जांच में पाया गया कि रॉय पर पाए गए घाव प्रतिरोध के निशानों के अनुरूप थे और ताज़ा थे.

ट्रेनी डॉक्टर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया कि मौत का कारण गला घोंटने के प्रभाव के रूप में दम घुटने के कारण हुआ. पीड़िता को जबरदस्ती यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा.

उनके शरीर में संजय रॉय की लार थी, जिसकी पुष्टि डीएनए प्रोफाइलिंग से हुई. सीबीआई के आरोपपत्र में आगे कहा गया कि पीड़िता की जांच पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुरूप थी.

सीबीआई ने अपने निष्कर्षों की पुष्टि के लिए एम्स-दिल्ली और एम्स कल्याणी से विशेषज्ञ की राय भी मांगी थी.

उस रात क्या हुआ था

8 अगस्त को पीड़िता सुबह 8:10 बजे अपने घर से आर.जी. कर अस्पताल में काम पर जाने के लिए निकली थीं. रात करीब 10:15 बजे उन्होंने पांच अन्य जूनियर डॉक्टरों और इंटर्न के लिए जोमैटो से डिनर का ऑर्डर दिया. आधी रात के आसपास उन्होंने सेमिनार रूम में डिनर किया और पेरिस ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के भाला फेंक प्रदर्शन को देखते हुए अपने काम पर वापस चले गए.

केवल पीड़िता ही गद्दे पर आराम करने के लिए सेमिनार रूम में रुकी थीं. 9 अगस्त की सुबह करीब 9:35 बजे एक जूनियर डॉक्टर ने उन्हें अर्धनग्न अवस्था में बेहोश पाया. वे राउंड के लिए नहीं आने के बाद उन्हें देखने गया था.

अपराध से पहले, पुलिस कल्याण बोर्ड से जुड़े स्वयंसेवक रॉय ने एक अन्य नागरिक स्वयंसेवक के साथ चेतला में एक रेड-लाइट एरिया का दौरा किया था, जिसका चचेरा भाई आर.जी. कर अस्पताल में भर्ती था.

दोनों दो बार अस्पताल में आए और बाहर गए और 9 अगस्त को सुबह करीब 4:03 बजे रॉय नशे की हालत में अकेले चेस्ट मेडिसिन विभाग में पहुंचा. जूनियर डॉक्टर अभी भी वहां सो रहे थे.

रॉय ने जघन्य अपराध किया और सुबह 4:32 बजे सेमिनार रूम से निकलकर अपने बैरक में वापस चला गया.

सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में यह भी कहा कि वह मामले को दबाने और सबूत नष्ट करने में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष और पुलिस अधिकारी अभिजीत मंडल की भूमिका की भी जांच कर रही है. दोनों को सितंबर में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन पिछले महीने सीबीआई द्वारा आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहने के बाद उन्हें ज़मानत दे दी गई थी.

हालांकि, घोष अभी भी जेल में है क्योंकि अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ियों के लिए उन पर भी जांच चल रही है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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