नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार अत्यंत सीमित है और इसका इस्तेमाल ऐसे मामले में किया जाना चाहिए, जहां ठोस अनियमितताएं हों।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि हालांकि पार्टी अपीलीय स्तर पर अतिरिक्त सबूत पेश कर सकती है, यह कानून के दायरे में होना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘संबंधित कानून की धारा 21बी के तहत राष्ट्रीय उपभोक्त आयोग का पुनरीक्षण अधिकार क्षेत्र बहुत ही सीमित है।’’
शीर्ष अदालत एक व्यक्ति द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने भारतीय स्टेट बैंक में अपने बैंक खाते के संबंध में पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर में उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम के समक्ष उपभोक्ता मामला दायर किया था। उपभोक्ता फोरम ने अपीलकर्ता के साथ-साथ प्रतिवादी द्वारा दायर सभी दस्तावेजों पर विचार के बाद शिकायत की अनुमति दी।
राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, पश्चिम बंगाल ने आंशिक रूप से अपील की अनुमति दी। उक्त आदेश से व्यथित बैंक ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, जिसने बैंक द्वारा दायर संशोधन अर्जी की अनुमति दे दी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि एनसीडीआरसी ने बैंक से रिपोर्ट मंगवाकर और पूरी तरह से इस तरह की रिपोर्ट पर भरोसा करते हुए अपने पुनरीक्षण अधिकार क्षेत्र को पार किया है।
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