नई दिल्ली: सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य अब्दुल रज्जाक खान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए अयोध्या फैसले पर कोई पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि बोर्ड की बैठक में ये फैसला बहुमत से लिया गया है.
लखनऊ में हुई इस बैठक में शामिल 8 सदस्यों में से 6 लोगों ने तय किया कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देंगे.
Abdul Razzaq Khan,Sunni Waqf Board: Majority decision in our meeting is that review petition in Ayodhya case should not be filed. pic.twitter.com/pwexHmprHb
— ANI UP (@ANINewsUP) November 26, 2019
बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने बताया कि बैठक में बोर्ड के आठ में से सात सदस्यों ने हिस्सा लिया. उनमें से छह ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती न देने के प्रस्ताव का समर्थन किया.
उन्होंने बताया कि बैठक में एक सदस्य इमरान माबूद खां किन्हीं कारणों से शामिल नहीं हो सके.
फारूकी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सरकार को दिये गये आदेश के मुताबिक अयोध्या में कहीं और मस्जिद बनाने के लिये जमीन लेने के मामले पर निर्णय लेने के लिये बोर्ड के सदस्यों ने कुछ और समय मांगा.
उन्होंने बताया कि बोर्ड के सदस्यों की राय थी कि वह जमीन लेने से जुड़े तमाम शरई पहलुओं पर विचार करना चाहते हैं, लिहाजा उन्हें कुछ और समय दिया जाए.
बता दें कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने लंबे समय से चले आ रहे अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन राम लला को दी थी और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया था.
फैसले के बाद मुस्लिम समुदाय के कई पक्षकारों ने सवाल उठाए थे और कहा था कि इसे चुनौती देने के लिए विचार किया जाएगा.
फैसला आने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने कहा था कि बोर्ड 26 नवंबर को अपनी प्रस्तावित बैठक में आगे के बारे में विचार करेगा.
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हैदराबाद से एआईएम नेता औवेसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया था और कहा था कि हमें खैरात में 5 एकड़ जमीन नहीं चाहिए. औवेसी के अलावा संविधान विशेषज्ञों और लेफ्ट पार्टियों ने भी कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए थे और कहा था कि अदालत ने कानून की जगह धर्म को तरजीह दी है.
मुस्लिम धर्मगुरुओं की तरफ से ये भी मांग की जा रही थी कि कोर्ट ने जो पांच एकड़ जमीन देने की बात कही है वो केंद्र द्वारा अधिग्रहीत भूमि में से ही दी जाए.
(देबायन रॉय के इनपुट के साथ)