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Sunday, 3 November, 2024
होमदेश'रिटायर होने के लिए 65 की उम्र बहुत जल्दी है,' CJI रमन्ना बोले- मेरी एनर्जी अभी बची है

‘रिटायर होने के लिए 65 की उम्र बहुत जल्दी है,’ CJI रमन्ना बोले- मेरी एनर्जी अभी बची है

सीजेआई ने आगे कहा, इस तरह की धारणा है कि भारत में न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं. यह गलत धारणा है और मैं इसे सही करना चाहता हूं. नियुक्ति एक लंबी परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से होती है.

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नई दिल्ली: देश के प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमन्ना ने कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए सोमवार को कहा कि भारत में न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं, यह अवधारणा गलत है और नियुक्ति लंबी परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से होती है जहां कई हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाता है.

उन्होंने कहा कि न्यायिक नियुक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले जनता के विश्वास को बनाये रखने के मकसद से होते हैं.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि चयन की प्रक्रिया आज से ज्यादा लोकतांत्रिक नहीं हो सकती.

न्यायाधीशों की नियुक्ति पर एक सवाल को संबोधित करते हुए CJI रमना ने कहा, ‘भारतीय न्यायपालिक इंडीपेंडेंट हैं और यह नॉन निगोशिएबल भी है. अदालतें फंडामेंटल राइट्स और कानून के शासन को कायम रखती हैं. लोग न्यायपालिका पर तभी भरोसा करेंगे जब वह स्वतंत्र रूप से कार्य करेगी. न्यायिक नियुक्तियों का उद्देश्य लोगों के विश्वास और विश्वास को बनाए रखना बहुत जरूरी है.’

उन्होंने एक समारोह में कहा, ‘इस तरह की धारणा है कि भारत में न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं. यह गलत धारणा है और मैं इसे सही करना चाहता हूं. नियुक्ति एक लंबी परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से होती है.’

उन्होंने कहा, ‘इसमें कई हितधारकों से विचार-विमर्श होता है. विधायिका भी एक प्रमुख हितधारक है.’

हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा, ‘जब कोई हाई कोर्ट प्रस्ताव भेजता है तो संबंधित राज्य सरकार, राज्यपाल, भारत सरकार इसका अध्ययन करते हैं जिसके बाद इसे सुप्रीम कोर्ट को भेजा जाता है.’

उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष के तीन न्यायाधीश सभी हितधारकों के सुझावों के आधार पर प्रस्ताव पर विचार करते हैं.’

सीजेआई ने आगे कहा,’यह सच है कि कभी-कभी सरकार किसी विशेष नियुक्ति के बारे में आपत्तियां उठा सकती है. अगर वे इसे वापस कॉलेजियम को भेजते हैं, तो हम अपने सामने रखी गई
मटेरियल पर गौर करेंगे. अगर हम संतुष्ट होते हैं, तो हम पुनर्विचार करते हैं या हम फिर से अपने निर्णय को दोहराते हैं. और जब हम दोबारा इसे सही ठहराते हैं तो सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचता है, उन्हें उस जज को नियुक्त करना होता है.’

‘यह एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया है और हर स्तर पर कंसलटेशन होता है. मुझे नहीं लगता कि चयन प्रक्रिया इससे ज्यादा लोकतांत्रिक हो सकती है.’


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पैंसठ की उम्र रिटायर होने की उम्र ‘बहुत जल्दी’ है

इसी बीच रिटायरमेंट की उम्र को लेकर सीजेआई ने कहा कि पैंसठ की उम्र रिटायर होने की उम्र ‘बहुत जल्दी’ है.

न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की एज को लेकर एक प्रश्न के जवाब में सीजेआई रमना ने कहा, ‘मुझे लगता है कि किसी के रिटायर होने के लिए 65 वर्ष बहुत कम उम्र है. मैंने लगभग 22 वर्षों तक हाई कोर्ट के जज, हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस,शीर्ष अदालत के न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया. हम ज्वाइनिंग के समय से ही अपने रिटायर होने की तारीख जानते हैं. कोई उम्मीद नहीं हैं.’

अपने फ्यूचर प्लान्स के बारे में उन्होंने कहा, ‘मेरी एनर्जी अभी भी बाकी है. मैं एक किसान का बेटा हूं. मेरे पास अभी भी खेती के लिए कुछ जमीन बची है. मैं आम लोगों के बीच रहने वाला आदमी हूं. मुझे लोगों के बीच रहना पसंद है. जब मैं पढ़ता था तभी से मेरा लोगों से मिलने जुलने वाला स्वभाव रहा है. मुझे लोगों से मिलना बहुत पसंद है. मुझे ऐसा लगता है कि आने वाले समय में मैं अपना समय लोगों की सहायता करने में बिता पाउंगा. और मुझे सही रास्ता मिल जाएगा.

हालांकि, उन्होंने कहा कि ‘न्यायपालिका से सेवानिवृत्ति का मतलब सार्वजनिक जीवन से रिटायरमेंट नहीं है.’

उल्लेखनीय है कि, सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2015 में एनजेएसी अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया था, जिसके तहत उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका को एक प्रमुख भूमिका दी गई थी.

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम, 2014 को दो दशक से अधिक पुरानी कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के उद्देश्य से तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा लाया गया था.


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