नई दिल्ली: 6 सितंबर 2024 की शाम, पूर्व भारतीय सेना के मेजर विक्रांत जेटली और उनकी पत्नी चारुल दुबई के मॉल ऑफ़ द एमिरेट्स की व्यस्त बेसमेंट पार्किंग में खरीदारी के बैग लेकर अपनी कार की तरफ जा रहे थे. तभी काले कपड़ों में दो लोग, जिनके चेहरे ढके हुए थे, उनके पास आए. उन्होंने चारुल से एक तरफ हटने को कहा, विक्रांत को पकड़ा और उन्हें पास खड़ी काली एसयूवी की तरफ ले गए. गाड़ी तुरंत निकल गई, और यही वह आखिरी बार था जब विक्रांत को सार्वजनिक तौर पर देखा गया.
तब से, जेटली का मामला लगभग पूरी तरह रहस्य में है—यूएई में होने वाली उन ‘ब्लैक बॉक्स’ हिरासतों जैसा, जहां लोगों को बिना सार्वजनिक जानकारी दिए हिरासत में लिया जाता है.
उनकी बहन, अभिनेत्री सेलिना जेटली, उनके रहस्यमयी तरीके से पकड़े जाने पर खुलकर बोल रही हैं और सरकारी मदद की अपील कर रही हैं. सेलिना, जो रिटायर्ड अधिकारी की एकमात्र जीवित रिश्तेदार हैं, दिल्ली हाई कोर्ट भी गई हैं ताकि उनके हालचाल, कानूनी सहायता और कूटनीतिक कदमों की जानकारी मिल सके.
विक्रांत (43) पर क्या आरोप हैं, यह आधिकारिक रूप से सार्वजनिक नहीं किया गया है, और यूएई अधिकारी भी कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. भारतीय एजेंसियों में भी केवल कुछ शीर्ष अधिकारी ही जानते होंगे कि उन पर किस तरह के अपराध का शक है. जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक विक्रांत इस समय अबू धाबी की अल वथबा जेल में हैं.
मामले से जुड़े स्रोत इसे “बहुत मुश्किल स्थिति” बताते हैं.
“संकेत यही हैं कि वह किसी संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा मामले में फंसे हैं,” एक सोर्स ने कहा. उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीद है कि यूएई बिना किसी बाहरी दबाव के अपनी जांच पूरी करेगा.
एक अन्य सोर्स ने बताया, “इस तरह की गिरफ्तारियां आमतौर पर बड़े राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के पैटर्न का हिस्सा होती हैं.”
मामले की जानकारी रखने वालों ने यह भी कहा कि फिलहाल यूएई इस मामले में भारत से सक्रिय रूप से बातचीत नहीं कर रहा है, क्योंकि उनकी खुफिया एजेंसी के पास पर्याप्त सबूत हैं और जांच जारी है.
सोर्स का कहना है कि जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो, तो इस तरह की गोपनीयता सामान्य होती है. उस क्षेत्र में यह कोई अनोखी बात नहीं है. ऐसा ही तरीका तब अपनाया गया था जब कतर में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों पर इटली से मिलने वाली हाई-टेक पनडुब्बियों से जुड़े एक गुप्त कार्यक्रम की जासूसी का आरोप लगा था. उनके मामले की जानकारी भी तभी सामने आई जब औपचारिक कानूनी प्रक्रिया शुरू हुई.
दिप्रिंट ने यूएई में भारतीय दूतावास, भारत में यूएई दूतावास और ब्रिटेन के फ़ॉरेन, कॉमनवेल्थ एंड डेवलपमेंट ऑफिस से विक्रांत जेटली मामले पर जानकारी मांगी है. जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
एक बहन की गुहार
सेलिना ने अपने भाई से आखिरी बार पिछले साल राखी के दिन, यानी 19 अगस्त को बात की थी. चारुल ने उन्हें विक्रांत की हिरासत की जानकारी 28 सितंबर को दी, यानी उसे उठाए जाने के तीन हफ्ते बाद.
इसके बाद, सेलिना के अनुसार, उनके भाई को आखिरकार काउंसुलर एक्सेस मिलने के बावजूद भारतीय अधिकारियों की तरफ से सिर्फ अस्पष्ट जवाब मिलते रहे. अब दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को इस मामले पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
भारत में सेलिना के वकील राघव कक्कड़ ने कहा, “जस्टिस सचिन दत्ता (दिल्ली हाई कोर्ट) ने हमें बहुत अच्छा आदेश दिया है, और इसके आधार पर हमें भरोसा है कि दोनों सरकारें आपस में तालमेल करके हमारे सैनिक की रिहाई सुनिश्चित कर सकती हैं. मेरी लॉ फर्म दोनों देशों में काम करती है, इसलिए मैं भारत और यूएई के बढ़ते संबंधों से पूरी तरह वाकिफ हूं, जिन्हें यह कूटनीतिक कदम और मजबूत करेगा.”
7 नवंबर की प्रेस ब्रीफिंग में जब इस मामले पर सवाल किया गया, तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमारा दूतावास इस मामले में लगातार काम कर रहा है. हमने उनसे काउंसुलर मुलाकातें की हैं, चार बार. हम उनके परिवार, उनकी पत्नी से भी लगातार संपर्क में हैं. जैसा कि स्वाभाविक है, जब भी कोई भारतीय नागरिक मदद चाहता है, हम हर संभव सहायता देते हैं.”
सेलिना जेटली, जो इस समय तलाक और घरेलू हिंसा के मामले से भी गुजर रही हैं, ने दिप्रिंट से कहा, “मैंने अपने भाई को ढूंढने की कोशिश में सब कुछ खो दिया है… अब मैं सिर्फ हमारी सरकार पर भरोसा कर सकती हूं कि वह इस पूर्व पैरा एसएफ (स्पेशल फोर्सेज) चौथी जनरेशन के सैनिक की मदद करेगी, जिसने अपनी पूरी जवानी देश की सेवा में लगा दी.”
विक्रांत और चारुल जेटली ‘मैटिटी ग्रुप’ के सह-संस्थापक हैं, जो “कंसल्टिंग, स्ट्रैटेजी एक्ज़िक्यूशन, ह्यूमन कैपिटल डेवलपमेंट, आईसीटी सॉल्यूशंस और बिजनेस इंटेलिजेंस” जैसी सेवाएं प्रदान करता है.
सेलिना की याचिका के अनुसार, विक्रांत 2016 में यूएई चले गए थे, उसी साल मैटिटी की स्थापना हुई थी. इसमें कहा गया है कि बाद में चारुल ने इस बिजनेस से “खुद को अलग” कर लिया और फिलहाल भारत में हैं.
याचिका में यह भी कहा गया है कि सेलिना और चारुल की आखिरी बातचीत जुलाई 2025 में हुई थी, “जिस दौरान उन्होंने (चारुल) याचिकाकर्ता (सेलिना) को आगे किसी भी तरह की भागीदारी से दूर रहने की सलाह दी और खुद भी इस मामले में न्यूनतम संपर्क रखने का संकेत दिया.”
याचिका कहती है, “तब से वह (चारुल) पूरी तरह संपर्क से बाहर हैं.”
यूएई की साइबर कार्रवाई
विक्रांत जेटली यूएई में हिरासत में रखे गए उन भारतीय प्रवासियों में अकेले नहीं हैं, जिनका बैकग्राउंड किसी विशेष सैन्य यूनिट से है. कई अन्य प्रवासी भी, जिनमें सैन्य खुफिया, साइबर सुरक्षा और साइबर इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ शामिल हैं, हिरासत में लिए गए हैं.
ब्रिटिश मूल के साइबर इंटेलिजेंस विशेषज्ञ एंड्रयू ग्रूनस्टीन, जो “कठिन परिस्थितियों में सरकारी और सैन्य ग्राहकों के लिए सिग्नल्स इंटेलिजेंस और साइबर इंटेलिजेंस समाधान” प्रदान करते हैं, भी कथित रूप से जनवरी से यूएई की हिरासत में हैं.
यह गिरफ्तारियां—कुछ युवा आईटी प्रोफेशनल्स और अन्य देशों के ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) विशेषज्ञों सहित—लगभग 2023 के अंत से शुरू हुई थीं. प्रभावित लोग ज्यादातर उन कंपनियों के सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर (SOC) में काम करते थे जो साइबर अपराधों से जुड़ी होती हैं.
मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पूर्व भारतीय सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल ब्रायन मिरांडा भी हिरासत में हैं. अपने लिंक्डइन प्रोफाइल में मिरांडा खुद को साइबर इंटेलिजेंस विशेषज्ञ बताते हैं जिनके पास साइबर सुरक्षा, साइबर फॉरेंसिक्स, “साइबर थ्रेट हंटिंग, इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर” और अन्य क्षेत्रों में अनुभव है.
मिरांडा ने कई कंपनियां सह-स्थापित की हैं—जैसे डिजिटल इंसाइट्स, फ्रोनिसिस कॉर्पोरेट इंटेलिजेंस सर्विसेज, प्लस971—जो साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में काम करती हैं. सार्वजनिक रिकॉर्ड बताते हैं कि फ्रोनिसिस और प्लस971 अब काम नहीं कर रही हैं. मिरांडा और उनकी कंपनी प्लस971 से जुड़े कम से कम तीन आईटी प्रोफेशनल भी यूएई में हिरासत में हैं.
एक सूत्र ने कहा, “शक है कि मिरांडा और जेतली साथ काम कर रहे थे.” 2020 में चारुल की एक लिंक्डइन पोस्ट में विक्रांत और मिरांडा दोनों को टैग किया गया था.
मामले की जानकारी रखने वाले एक अन्य स्रोत का कहना है कि विक्रांत भी साइबर सुरक्षा और इंटेलिजेंस के क्षेत्र में काम करते थे और यूएई के साइबर इंटेलिजेंस सेक्टर में सक्रिय थे. वह इस क्षेत्र के अन्य लोगों के साथ नियमित रूप से सहयोग करते थे.
एक और सूत्र ने कहा, “मिरांडा ही शायद जेतली को इस मामले में जोड़ने वाली कड़ी थे.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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