(आनन्द राय)
लखनऊ, 21 जुलाई (भाषा) भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी अजय शंकर पांडेय ने पंचायत चुनावों में निर्वाचित ग्राम प्रधानों और हारे हुए उम्मीदवारों को एक मंच पर लाकर ‘सद्भावना से विकास’ की ओर कदम बढ़ाने की अनूठी पहल की है।
करीब 37 वर्ष के अपने प्रशासनिक सेवा के अनुभवों के साथ पांडेय ने प्रयागराज जिले में ‘सद्भावना ग्राम योजना’ शुरु की और अब उन्हें समर्थन मिलने लगा है।
अजय शंकर पांडेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा ” गांवों के विकास के लिए अमन-शांति और आपसी सामंजस्य जरूरी है। पंचायत चुनावों के दौरान गांवों में ग्राम प्रधानों और हारे हुए उम्मीदवारों के बीच गुटबाजी से विकास प्रभावित होता है। हमने गांवों में सभी पक्षों को एक मंच पर लाकर विकास को रफ्तार देने के लिए ‘सद्भावना ग्राम योजना’ शुरु की है।”
योजना पर होने वाले व्यय के स्रोत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा “यह स्वैच्छिक योजना है। चूंकि सभी प्रधान खंड विकास मुख्यालय आते रहते हैं, इसलिए वहां आयोजित होने वाली गोष्ठी-सेमिनारों में भी वे लोग अपने खर्च पर ही शामिल होते हैं।”
पिछले साल सेवानिवृत्त हुए पांडेय ने बताया कि पांच जून, 2023 को प्रयागराज जिले से यह योजना शुरू की गई। अब तक वहां के आठ विकास खंडों उरुवा, मेजा, मांडा, कौंधियारा, करछना, शंकरगढ़, जसरा और चाका की ग्राम सभाओं के प्रधानों और हारे हुए उम्मीदवारों को एक मंच पर लाया जा चुका है। प्रयागराज जिले में कुल 22 विकासखंड हैं।
पांडेय ने कहा ”मेरा लक्ष्य उत्तर प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में इस योजना को लागू करना है ताकि गुटबाजी दूर कर विकास की गंगा बहाई जा सके।”
राज्य के 75 जिलों में 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। सद्भावना ग्राम योजना का स्वरूप पूछे जाने पर पांडेय ने बताया ”इसके लिए कई चरणों में संवाद होता है। मसलन पहले निर्वाचित प्रधानों के साथ बैठक और फिर हारे हुए उम्मीदवारों के साथ अलग अलग बैठक की जाती है। इसके बाद दोनों पक्षों को गांवों के विकास का वास्ता देकर एक साथ लाया जाता है। संयुक्त बैठकों में समरसता का माहौल बनाने के बाद ग्राम सभाओं की बैठकों में ”सद्भावना ग्राम योजना” अंगीकार करने का प्रस्ताव पारित किया जाता है।”
जसरा विकासखंड के ग्राम प्रधान बृजेश कुमार बिंद ने पांडेय के अभियान की सराहना करते हुए कहा ”सद्भावना ग्राम योजना के चलते मेरे प्रतिद्वंद्वी से मेरी सकारात्मक बातचीत शुरू हुई। गांव का माहौल बेहतर बना है तो जाहिर है कि समस्याओं के समाधान में भी आसानी होगी।”
प्रयागराज के मूल निवासी अजय शंकर पांडेय ने बताया कि सद्भावना ग्राम योजना में प्रधान को ‘कुशल प्रधान’ और हारे उम्मीदवारों को ‘विकास सलाहकार’ के नाम से संबोधित किया जाता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर झंडारोहण में उप विजेता उम्मीदवारों को विशेष अतिथि बनाकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की योजना है।
प्रयागराज से ही इस योजना की शुरुआत करने के बारे में पांडेय ने बताया ”प्रयागराज में ही गंगा-यमुना का संगम हुआ है, इसलिए हारे और जीते दोनों का संगम कराने के लिए हमने यहीं से शुरुआत की।”
उरुवा विकासखंड के करीब पांच हजार की आबादी वाले ग्राम मदरा मुकुंदपुर के सत्यनारायण यादव ग्राम प्रधान के चुनाव में हार गये थे। यादव ने बताया ”इस योजना के बारे में सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई। मैं चाहता हूं कि हमारे गांव का विकास हो इसलिए हमें प्रधान जी के साथ बैठने और समस्याओं का समाधान खोजने में कोई आपत्ति नहीं है।”
अखिल भारतीय प्रधान संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विपिन मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर बताया ”योजना में किसी पर बाध्यता नहीं है। ग्राम प्रधान का ज्यादातर वक्त अपने विरोधी पक्ष के अवरोध दूर करने में बीत जाता है। सद्भावना की यह बहुत सराहनीय पहल है।”
अजय शंकर पांडेय ने बताया कि कई जिलों में यह योजना शुरू करने की मांग की जा रही है।
कौंधियारा विकासखंड की ग्रामसभा पंवर के ग्राम प्रधान गेंदालाल कुशवाहा ने कहा ”ईर्ष्या से गांव का विकास रुकता है। ईर्ष्या करने वाले ज्यादातर प्रतिद्वंद्वी होते हैं और प्रतिद्वंद्वी को सम्मान देने से मुश्किल दूर हो जाती है। करीब आठ हजार आबादी वाले मेरे गांव में कुल 15 उम्मीदवार मेरे खिलाफ चुनाव लड़े लेकिन इस अभियान ने मतभेद दूर कर दिए और हम सब लोग गांव के विकास के लिए एकजुट हैं। ’’
भाषा आनन्द सुरभि मनीषा
मनीषा
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