नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी के सिविल लाइंस क्षेत्र के खैबर पास में रहने वाले लोग रविवार को जब सुबह उठे तो उन्होंने देखा कि पड़ोस में बुलडोजर तैनात हैं, जो उनके घरों को गिराने के लिए तैयार थे, जिनमें न केवल उनका सामान था बल्कि उनकी यादें भी जुड़ी थीं।
तोड़फोड़ अभियान भूमि एवं विकास कार्यालय द्वारा चलाया गया।
भूपिंदर सिंह भाटिया, जो अपने घर के पास एक छोटी सी दुकान चलाते थे, निराशा से मलबे को देख रहे थे।
भाटिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं यहां 70 साल से रह रहा था। मैंने यह घर और दुकान अपनी मेहनत की कमाई से बनाई थी और आज घर को ध्वस्त होता देखकर बहुत दुख हो रहा है।’’
शाहना बेगम (55) ने कहा कि वह दशकों से इस इलाके में रह रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले महीने उन्होंने सिविल लाइंस इलाके में मेरा घर ध्वस्त कर दिया और आज उन्होंने मेरी बेटी का घर ध्वस्त कर दिया।’’
कुछ घर और दुकानें रविवार को ध्वस्त कर दी गईं, जबकि क्षेत्र के निवासियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उनमें से कई लोगों को आने वाले दिनों में तोड़फोड़ किये जाने का नोटिस मिला है।
दो बच्चों के पिता मोहित गुप्ता ने कहा कि उनके बच्चे पास के स्कूल में पढ़ रहे हैं, लेकिन वह उनके भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
अपनी दुकान की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरी एकमात्र दुकान है, गुप्ता स्टोर, जिसे 13 अगस्त को ध्वस्त कर दिया जाएगा। मैं बहुत चिंतित हूं कि मैं कैसे कमाऊंगा और अपने परिवार का भरण-पोषण करूंगा।’’
गुप्ता ने कहा कि वह तोड़फोड़ किये जाने के डर के बीच वह कुछ समय के लिए बुरारी में चले गए हैं। उन्होंने व्यथित होकर कहा, ‘‘वहां किराया इतना अधिक है कि मेरी सारी बचत इसे चुकाने में खर्च हो जाती है।’’
अपने माता-पिता का घर तोड़े जाने की खबर पाकर शनिवार रात दुबई से लौटीं निशा को अपने बुजुर्ग माता-पिता की चिंता सता रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘अब मैं अपने परिवार को कहां ले जाऊंगी? मेरे पिता की तबीयत ठीक नहीं है। उन्होंने पल भर में मेरा घर तोड़ दिया और कई उपयोगी चीजें नष्ट हो गईं।’’
तोड़फोड़ अभियान भूमि एवं विकास कार्यालय (एल एंड डीओ) द्वारा चलाया गया था। इस संबंध में 2010 में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी और अदालत ने निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ‘‘कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।’’
अधिकारियों ने इस साल की शुरुआत में एक आदेश जारी किया था जिसमें क्षेत्र से कथित अनधिकृत कब्जे और निर्माण को हटाने की चेतावनी दी गई थी। इस आदेश के बाद याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में स्पष्टीकरण के लिए एक आवेदन दायर किया था।
भाषा संतोष रंजन
रंजन
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.