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बुधवार, 11 जून, 2025
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अल्पसंख्यक कॉलेज में आरक्षण: महाराष्ट्र सरकार से अदालत का सवाल- क्या आप शुद्धिपत्र जारी करेंगे

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मुंबई, 11 जून (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार के उस प्रस्ताव (जीआर) के औचित्य पर बुधवार को सवाल उठाया, जिसमें अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को जूनियर कॉलेज के प्रथम वर्ष (एफवाईजेसी) अर्थात ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करते समय संवैधानिक और सामाजिक आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया गया है।

न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की पीठ ने सरकारी वकील नेहा भिड़े से इस बारे में निर्देश लेने को कहा कि क्या सरकार छह मई को जारी जीआर में संबंधित खंड को वापस लेने या शुद्धिपत्र जारी करने के लिए तैयार है।

पीठ ने भिड़े से कहा, ‘‘आप (सरकार) अल्पसंख्यक संस्थानों को जीआर के दायरे में क्यों लेकर आए? अल्पसंख्यक संस्थानों को इससे बाहर करें। हर बार आपको अदालत के आदेश की जरूरत नहीं होती। इसे वापस लेना या शुद्धिपत्र जारी करना मुश्किल नहीं है।’’

पीठ ने वकील से निर्देश मांगने को कहा।

उसने कहा कि यह सरकार की अनजाने में की गई गलती हो सकती है और इसके लिए शुद्धिपत्र जारी किया जा सकता है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई बृहस्पतिवार के लिए निर्धारित की।

अल्पसंख्यक न्यासों द्वारा संचालित जूनियर कॉलेज के प्रथम वर्ष अर्थात ग्यारहवीं कक्षा में दाखिले के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के कार्यान्वयन का निर्देश देने वाले जीआर को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि ऐसे सहायता प्राप्त या गैर-सहायता प्राप्त संस्थान सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के दायरे से संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तहत बाहर हैं।

याचिकाओं में दावा किया गया है कि अनुच्छेद 30(1) के तहत अल्पसंख्यक संस्थान शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन कर सकते हैं।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि 2019 में भी इसी तरह का जीआर जारी किया गया था, लेकिन अदालत में चुनौती दिए जाने के बाद इसे वापस ले लिया गया था।

भाषा सिम्मी सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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