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शुक्रवार, 30 मई, 2025
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अनुसंधानकर्ताओं को वडनगर में 800 ईसा पूर्व पुरानी मानव बस्ती के सबूत मिले

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कोलकाता, 16 जनवरी (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और डेकन कॉलेज के अनुसंधानकर्ताओं को गुजरात के वडनगर में 800 ईसा पूर्व (ईसा युग से पहले) पुरानी मानव बस्ती के सबूत मिले हैं।

आईआईटी खड़गपुर ने एक बयान में कहा कि वडनगर में गहन पुरातात्विक खनन के अध्ययन से यह भी पता चलता है कि इन 3,000 वर्षों के दौरान विभिन्न साम्राज्यों का उदय और पतन तथा मध्य एशियाई योद्धाओं द्वारा भारत पर बार-बार किए गए हमले बारिश या सूखे जैसी जलवायु में गंभीर परिवर्तन से प्रभावित रहे।

यह अध्ययन एल्सवियर की पत्रिका ‘क्वाटरनरी साइंस रिव्यूज’ में ‘प्रारंभिक ऐतिहासिक से मध्ययुगीन काल तक जलवायु, मानव बस्ती और प्रवास : पश्चिमी भारत, वडनगर में नए पुरातात्विक खनन से मिले सबूत’ विषय से प्रकाशित हुआ है।

इस खुदाई की अगुवाई एएसआई ने की है जबकि गुजरात सरकार के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय ने इसे वित्त पोषण दिया है।

संयोग से वडनगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पैतृक गांव भी है।

वडनगर बहु-सांस्कृतिक और बहु-धार्मिक (बौद्ध, हिंदू, जैन और इस्लामिक) बस्ती भी रहा है।

एएसआई के पुरातत्व विज्ञानी अभिजीत अंबेकर ने कहा, ‘‘गहरी खुदाई करने से सात सांस्कृतिक काल – मौया, इंडो-ग्रीक, शक-क्षत्रप, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल (इस्लामिक) से गायकवाड-ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की मौजूदगी पता चली है और शहर का आज भी विकास हो रहा है। हमारी खुदाई के दौरान सबसे पुराना बौद्ध मठ भी मिला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें विशिष्ट पुरातात्विक कलाकृतियां, मिट्टी के बर्तन, तांबा, सोना, चांदी और लोहे की वस्तुएं तथा महीन डिजाइन वाली चूड़ियां मिली हैं। हमें वडनगर में इंडो-ग्रीक शासन के दौरान यूनानी राजा अपोलोडेटस के सिक्के के सांचे भी मिले हैं।’’

अंबेकर ने कहा कि वडनगर इस लिहाज से भी अलग है कि सटीक कालक्रम के साथ प्रारंभिक इतिहास से मध्ययुगीन पुरातत्व का ऐसा निरंतर रिकॉर्ड भारत में कहीं और नहीं मिला है।

भाषा गोला नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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