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गुरूवार, 22 मई, 2025
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शोधकर्ताओं ने दवा प्रतिरोधी ‘सुपरबग’ को मात देने के लिए एआई उपकरण विकसित किया

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(मोहित सैनी)

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली (आईआईआईटी-दिल्ली) और फ्रांस के इन्रिया सैक्ले के शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित प्रणाली विकसित की है, जिसके तहत सुपरबग से लड़ने के लिए मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभावी संयोजन के बारे में पता चल सकता है।

सुपरबग बैक्टीरिया और फफूंद जैसे कीटाणु होते हैं जो ऐसे संक्रमण का कारण बनते हैं, जिससे उबरना मुश्किल होता है। अधिकतर सुपरबग बैक्टीरिया होते हैं, जो एंटीबायोटिक दवाओं से बचने की क्षमता विकसित कर लेते हैं।

आईआईआईटी-डी के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि प्रोफेसर अंगशुल मजूमदार और डॉ. एमिली चौजेनॉक्स के संयुक्त नेतृत्व में यह परियोजना, डीप लाइट (दिल्ली) और फ्रांसीसी इंजीनियरिंग स्कूल सेंट्रेलसुपेलेक के बीच व्यापक भारत-फ्रांस अनुसंधान सहयोग का हिस्सा है।

टीम में इंजीनियर स्तुति जैन और स्नातक शोधकर्ता कृति कुमार एवं सायंतिका चटर्जी शामिल हैं।

प्रोफेसर मजूमदार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘यह इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे एआई और अंतरराष्ट्रीय सहयोग वास्तविक दुनिया की चिकित्सा चुनौतियों को हल करने के लिए एक साथ आ सकते हैं। हमारी पद्धति से मौजूदा ज्ञान का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करना संभव हुआ है। इससे रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) से निपटने की अधिक कारगर, तेज प्रतिक्रियाएं पता चली है।”

एएमआर वह स्थिति है जब बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता।

प्रो. मजूमदार ने कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग, विशेष रूप से भारत जैसे देशों में, इस संकट का एक बड़ा कारण है।

उन्होंने कहा, ‘हम अक्सर वायरल संक्रमण के लिए भी एंटीबायोटिक्स लेते हैं, जिसके लिए उनकी जरूरत नहीं होती। समय के साथ, बैक्टीरिया विकसित होते हैं और अनुकूलन करते हैं। नतीजतन, मूत्र संक्रमण या घाव जैसे साधारण संक्रमण भी उपचार के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं।’

टीम द्वारा विकसित की गई एआई प्रणाली पारंपरिक नियम-आधारित मॉडलों से कहीं आगे है।

इस प्रणाली को जीवाणु जीनोम डेटा और एंटीबायोटिक दवाओं की रासायनिक संरचना के साथ जोड़कर इष्टतम उपचार विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं।

भाषा

जोहेब सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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