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Saturday, 4 May, 2024
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शोध में हुआ खुलासा,कोविड महामारी के दौरान गंगा में भारी धातु से होने वाले प्रदूषण में काफी कमी दिखी

कोविड की वजह से हुए लॉकडाउन ने कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों को बड़ी नदियों के पानी में इंसानों के कारण होने वाले रसायनिक प्रभाव का अध्ययन करने का मौका मिला था.

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नई दिल्ली: कोविड- 19 महामारी के दौरान किए गए एक अध्ययन से इस बात का पता चला है कि औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट जल में कमी लाने के प्रयासों से कुछ ही समय में गंगा में भारी धातु के प्रदूषण को काफी हद तक घटाया जा सकता है.

कोविड की वजह से हुए लॉकडाउन ने कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों को बड़ी नदियों के पानी में मानव की गतिविधियों से होने वाले रसायनिक प्रभाव का अध्ययन करने का एक अवसर मिला था.

वैज्ञानिकों ने इस दौरान गंगा के पानी में प्रतिदिन होने वाले रसायनिक परिवर्तनों पर बारीकी से नजर रखी और इस बारे में जुटाए गए आंकड़ो का विश्लेषण करने के बाद यह पाया कि लॉकडाउन के दौरान औद्योगिक इकाइयों से उत्सर्जित किए जाने वाले अपशिष्ट जल में आई कमी से गंगा के पानी में भारी धातु से होने वाला प्रदूषण कम से कम 50 प्रतिशत घट गया.

लेकिन इसके विपरीत खेती और घरों से प्रवाहित होने वाले अपशिष्ट जल में मौजूद रहने वाले नाइट्रेट और फॉस्फेट जैसे प्रदूषक तत्वों की मात्रा गंगा के पानी में कमोबेश पहले जैसी ही पाई गई.

बता दें कि लॉकडाउन के दौरान नदियों की स्थिति पर लगातार शोध होते रहे और पता चला था कि लॉकडाउन के महज कुछ दिनों के भीतर ही उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश की नदियों के प्रदूषण में काफी सुधार हुआ था.

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सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज (सी-गंगा) की तरफ से भी ऐसा एक शोध किया गया था जिसमें पता चला था कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में गंगा और उसकी सहायक नदियों के कुछ प्रदूषित हिस्सों में पानी की गुणवत्ता कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान काफी सुधरी है.

आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में हुए अध्ययन में पाया गया कि हरिद्वार, कानपुर और वाराणसी जैसी जगहों पर, जहां अमूमन गंगा सबसे ज्यादा प्रदूषित रहती है, पानी की गुणवत्ता मापने के लिए उपयोग होने वाले प्रमुख मापदंडों में पिछले कुछ महीनों में सुधार हुआ है.

यह अध्ययन18 अप्रैल से 17 मई के बीच उत्तराखंड के देवप्रयाग से उत्तर प्रदेश के वाराणसी के बीच करीब 60 स्थानों पर किया गया था.

हालांकि नया अध्ययन भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा अमरीकी विदेश विभाग के एक द्विपक्षीय संगठन भारत अमरीका विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) के सहयोग से किया गया है. जिसमें पाया गया कि गंगा के पानी में भारी धातु से होने वाला प्रदूषण कम से कम 50 प्रतिशत घट गया. हालांकि, लॉकडाउन के दौरान सिर्फ गंगा नदी में ही नहीं बल्कि वातावरण में भी प्रदूषण काफी कम हो गया था.

अध्ययन रिपोर्ट ‘एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेटर्स’ जर्नल द्वारा प्रकाशित की गई है. इसमें भारी धातु जैसे प्रदूषक तत्वों के साथ गंगा के पानी में होने वाले रसायनिक परिवर्तनों को दिखाया गया है.

यह गंगा सहित दुनिया की कई बड़ी नदियों पर किए गए अनुसंधान पर आधारित है. इसमें बड़ी नदियों के पानी की गुणवत्ता पर जलवायु परिवर्तन तथा मानवीय गतिविधियों से होने वाले दुष्प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश की गई है. अध्ययन रिपोर्ट को जर्नल के मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है.


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