गुवाहाटी/शिलांग/ईटानगर/अगरतला/इंफाल/कोहिमा, 26 जनवरी (भाषा) लंबे समय से उग्रवाद से त्रस्त पूर्वोत्तर में स्थायी शांति की उम्मीद के बीच सभी राज्यों की राजधानियों में बुधवार को गणतंत्र दिवस समारोह रंगारंग परेड और समारोहों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
अधिकतर राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों ने राज्यों के बीच सीमा विवादों को हल करने के लिए बातचीत को सफल बनाने की बात कही और उग्रवादी समूहों के साथ शांति वार्ता में प्रगति पर प्रकाश डाला।
पिछले कुछ समय में मणिपुर, मेघालय और अन्य जगहों पर कई बम विस्फोट और उग्रवादी हमले के बाद गणतंत्र दिवस शांतिपूर्ण रहा। असम के उल्फा (आई) सहित कई आतंकवादी संगठनों ने अपने पारंपरिक ‘बंद’ के आह्वान को भी त्याग दिया। इसे शांति की दिशा में काम करने के संकेत के रूप में देखा गया।
असम के राज्यपाल जगदीश मुखी ने गुवाहाटी में तिरंगा फहराया और कहा कि असम-मेघालय सीमा विवाद को हल करने का काम लगभग पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि ‘‘समितियों ने पहले चरण के दौरान गतिरोध वाले छह क्षेत्रों के लिए अपनी रिपोर्ट दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सौंप दी है।’’
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने शिलांग में गणतंत्र दिवस के अपने संबोधन में सीमा विवाद को पूरी तरह से हल करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि मतभेदों के शेष छह क्षेत्रों का भी समाधान किया जाए।’’ संगमा ने कहा कि उनकी सरकार ने अगले 10 वर्षों में राज्य को देश के शीर्ष 10 राज्यों में शामिल करने की नींव रखी है।
मुखी ने यह भी कहा कि असम और मिजोरम की सशस्त्र पुलिस के बीच सीमा संघर्ष के बाद से ‘‘दोनों राज्यों(असम और मिजोरम) ने 5 अगस्त 2021 को आइजोल में एक संयुक्त प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद राज्यों के बीच यातायात सामान्य करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। मुखी ने बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) में बक्सा से तामूलपुर जिले के गठन की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि असम में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने का 98 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा हो चुका है।
इंफाल में, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्य के लोगों से शांतिपूर्ण, समृद्ध और विकसित मणिपुर के लिए साथ मिलकर काम करने को कहा। मणिपुर राइफल्स के परेड ग्राउंड में गणतंत्र दिवस समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि राज्य के निवासियों का कर्तव्य है कि वे मणिपुर को मजबूत बनाएं।
मणिपुर में अगले महीने के अंत में चुनाव होने वाले हैं और मणिपुर तथा नगालैंड दोनों को प्रभावित करने वाले दोनों नगा समूहों के साथ शांति वार्ता को क्षेत्र में बेहतर सुरक्षा स्थिति के कारणों के रूप में देखा जा रहा है। सरकार द्वारा अंतिम शांति समझौते के लिए क्षेत्र के अन्य उग्रवादी समूहों तक पहुंचने का भी प्रयास किया जा रहा है।
अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर डॉ. बी.डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) ने राज्य के लोगों से ‘बंद की संस्कृति’ को छोड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे आम लोगों, गरीबों, दैनिक वेतन भोगियों, गृहिणियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि असम के साथ दशकों पुराना अंतरराज्यीय सीमा विवाद सुलझने के करीब है। मिश्रा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के मार्गदर्शन में, दोनों राज्य ईमानदारी से स्थायी समाधान के लिए काम कर रहे हैं।’’ मिश्रा ने कहा, ‘‘24 जनवरी को (अरुणाचल प्रदेश के) मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने गुवाहाटी में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा से मुलाकात की और सीमा समाधान वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ रही है।’’
अगरतला में, त्रिपुरा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने राज्य की जनता का आह्वान किया कि तमाम झंझावातों को झेलकर देश के विकास के लिए कार्य करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि दें। राज्यपाल ने कहा, ‘‘मैं त्रिपुरा को आदर्श प्रदेश बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किये गये कार्यों की सराहना करता हूं। यह सरकार तीन ‘न’ को प्राथमिकता देती है, जो हैं- नीयत, नीति और नियम।’’
कोहिमा में, नागरिक सचिवालय में गणतंत्र दिवस समारोह में, मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफ्सपा) को समाप्त करने के लिए राज्य की मांग पर ‘‘सकारात्मक निर्णय’’ के लिए आशा व्यक्त की। सुरक्षा बलों द्वारा मोन जिले में गोलीबारी में लोगों की मौत के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम परिवार के सदस्यों के दर्द को कम करने के लिए हर उपाय कर रहे हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है या जिन्हें चोटें आई हैं।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नगालैंड से आफ्सपा हटाने का मामला केंद्र के समक्ष उठाया है।
रियो ने कहा कि नगा समूहों के साथ शांति वार्ता जारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विधायक एक साथ आए हैं और बातचीत करने वाले पक्षों को यह बताने के लिए विपक्ष रहित सरकार बनाई है कि राज्य को एक सम्मानजनक, समावेशी और स्वीकार्य समाधान की उम्मीद है।
भाषा आशीष उमा
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