नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) पूर्व रॉ प्रमुख ए. एस. दुलत ने शुक्रवार को उन दावों का जोरदार खंडन किया, जिनमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को हटाने का निजी तौर पर समर्थन किया था।
दुलत ने इन दावों को ‘‘पूरी तरह बकवास’’ करार दिया।
यहां ‘द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई’ नामक अपनी पुस्तक के विमोचन के मौके पर उन्होंने मीडिया में फारूक अब्दुल्ला से संबंधित जारी खबरों के बाद हुए विवाद पर बात की, जिनमें कहा गया था कि अब्दुल्ला ने ‘‘निजी तौर पर’’ कहा था कि अगर उन्हें विश्वास में लिया जाता तो वह जम्मू-कश्मीर से 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने में मदद करते।
दुलत ने कहा कि ‘‘एक भी कश्मीरी ऐसा नहीं था जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का समर्थन किया हो।’’
उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने को ‘‘बड़ी भूल’’ बताए जाने का हवाला देते हुए क्षेत्र में इसके व्यापक विरोध पर जोर दिया।
देश की खुफिया एजेंसी ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (रॉ) के पूर्व प्रमुख दुलत ने फरवरी 2020 में अब्दुल्ला की नजरबंदी हटा दिए जाने के बाद उनके साथ अपनी मुलाकात का विवरण दिया।
दुलत ने कहा, ‘‘मैं उनसे बमुश्किल बात कर पाया, लेकिन उन्होंने जो कहा वह यह था कि भारत का समर्थन करने और हमेशा भारत के विचार का पक्ष लेने के बावजूद उनके परिवार को नजरबंद क्यों किया गया? अगर उन्हें ऐसा (गिरफ्तारी) करना ही था, तो उन्हें (अब्दुल्ला को) को विश्वास में क्यों नहीं लिया?’’
दुलत ने स्पष्ट किया कि अब्दुल्ला को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद नजरबंद किए जाने के बारे में सबसे ज्यादा चिंता थी।
दुलत ने इस संबंध में जारी खबर को ‘‘गलत तरीके से पेश किया गया’’ बताते हुए माना कि शुरू में उन्हें इससे चिंता हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैंने इसे टालने का फैसला किया और उम्मीद की कि पूरी किताब पढ़ने के बाद सब अपनी राय बनाएंगे।’’
दुलत ने अब्दुल्ला के इस बयान का जिक्र किया जिसमें वह अक्सर कहते रहे कि ‘‘जिंदगी जिंदगी का नाम है, मुर्दे क्या जिया करते हैं।’’
उन्होंने अब्दुल्ला की तारीफ करते हुए उन्हें देश के सबसे बड़े नेताओं में से एक बताया।
पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी ने पुस्तक का विमोचन किया। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर को इसका विमोचन करना था लेकिन उन्होंने शुक्रवार सुबह कहा कि किताब में अब्दुल्ला से जुड़े कुछ हिस्सों पर राजनीतिक विवाद खड़ा होने के बाद वह इसके विमोचन में शामिल नहीं होंगे।
अब्दुल्ला ने पिछले दिनों अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने का ‘निजी तौर पर समर्थन’ करने संबंधी दावों को खारिज करते हुए इसे दुलत की किताब की बिक्री बढ़ाने की चाल बताया था।
भाषा प्रीति वैभव
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