इंफाल, 26 अगस्त (भाषा) मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आरोप लगाया है कि पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा के ‘‘सुनियोजित होने’’ का दावा करने वाली दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी संगठन पीयूसीएल की रिपोर्ट से केवल विभाजन गहरा होगा, अविश्वास को बढ़ावा मिलेगा और गलतफहमी बढ़ेगी।
इंफाल घाटी स्थित मेइती समुदाय और आसपास की पहाड़ियों में रहने वाले कुकी समुदाय के लोगों के बीच मई 2023 में जातीय हिंसा भड़कने के समय सिंह मणिपुर के मुख्यमंत्री थे। इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के राज्यसभा सदस्य लीशेम्बा सन्जाओबा ने कहा कि पीयूसीएल के दावे के खिलाफ ‘‘3,000 से अधिक प्राथमिकी’’ दर्ज की जाएंगी।
उनकी प्रतिक्रिया इंफाल स्थित मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल फ्रीडम’ (एचआरआईएफ) द्वारा ‘पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’ (पीयूसीएल) के आरोपों को लेकर उसके खिलाफ कानूनी कदम उठाने की चेतावनी दिए जाने के बाद आई है।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता में लिखी गई पीयूसीएल की 694 पृष्ठों की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ‘‘ यह हिंसा स्वतःस्फूर्त नहीं, बल्कि सुनियोजित थी।’’
एचआरआईएफ ने पीयूसीएल के संपादक को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि ‘मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष पर स्वतंत्र जन न्यायाधिकरण’ शीर्षक वाली उसकी रिपोर्ट ‘‘स्पष्ट रूप से न केवल एकतरफा है बल्कि असत्यापित तथ्यों, गलत सूचनाओं और कुकी समुदाय के पक्ष में स्पष्ट पूर्वाग्रह से भरी हुई है जबकि मेइती समुदाय के विमर्श, तथ्यों और उनकी पीड़ा को जानबूझकर नहीं दिखाया गया एवं उन्हें तोड़-मरोड़ दिया गया है।’’
एचआरआईएफ ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में ‘‘बिना किसी विश्वसनीय साक्ष्य के असत्यापित और भड़काऊ आरोप लगाए गए हैं’’ और ‘‘इसकी भाषा एवं चयनात्मक रिपोर्टिंग से तनाव बढ़ने, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ने और राज्य में नाजुक शांति प्रक्रिया के बिगड़ने की आशंका है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘एचआरआईएफ को इस पहल के लिए बधाई। मेरा मानना है कि सही सोच वाले कई संगठन पीयूसीएल जैसे पक्षपाती और विभाजनकारी संगठन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि उसने अपनी घृणित रिपोर्ट के जरिए मणिपुर को विभाजित करने की कोशिश की है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब मणिपुर को सुधार, सुलह और एकता की जरूरत है, तब ऐसे प्रकाशन विभाजन को केवल गहरा करने और अविश्वास को बढ़ाने का काम करते हैं तथा यह गलतफहमी को भी बढ़ावा दे सकता है।’’
भाषा सिम्मी मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.