नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की उस याचिका पर शुक्रवार को सुपरटेक समूह के अध्यक्ष एवं प्रवर्तक आर के अरोड़ा से जवाब तलब किया, जिसमें चिकित्सा के आधार पर उन्हें (अरोड़ा को) मिली अंतरिम जमानत को चुनौती दी गयी है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने अरोड़ा को नोटिस जारी किया और ईडी की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।
उच्च न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया कि अरोड़ा को निचली अदालत द्वारा मंगलवार को अंतरिम जमानत दी गई थी और वह पहले ही जेल से रिहा कर दिए गए हैं। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई नौ फरवरी तक स्थगित कर दी।
अरोड़ा को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत देते हुए पूर्व अनुमति के बिना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली या देश नहीं छोड़ने का निर्देश दिया गया था और उन्हें अपना पासपोर्ट अदालत में जमा करने का भी आदेश दिया गया था।
इसने यह भी कहा था कि वह (अरोड़ा) बेहतर चिकित्सा उपचार/सर्जरी, और बेहतर नर्सिंग एवं पोषण देखभाल के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए अंतरिम जमानत की स्वतंत्रता का उपयोग नहीं करेंगे।
अरोड़ा ने यह दावा करते हुए तीन महीने की अंतरिम जमानत मांगी थी कि वह विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं। उन्होंने अदालत को बताया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम घट गया है और उन्हें ‘तत्काल चिकित्सा सहायता’ की आवश्यकता है।
ईडी ने उन्हें 27 जून, 2023 को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया था।
सुपरटेक समूह, उसके निदेशकों और प्रवर्तकों के खिलाफ धनशोधन का मामला दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई प्राथमिकियों से उपजा है।
प्रवर्तन निदेशालय दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा सुपरटेक लिमिटेड और इसकी समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात एवं जालसाजी के लिए दर्ज 26 प्राथमिकियों की जांच कर रहा है। अरोड़ा के खिलाफ कम से कम 670 घर खरीदारों से 164 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है।
भाषा सुरेश पवनेश
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