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सोमवार, 26 मई, 2025
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प्रख्यात कन्नड़ साहित्यकार डॉ चेन्नावीरा कानवी का निधन

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बेंगलुरू, 16 फरवरी (भाषा) प्रख्यात कन्नड़ साहित्यकार डॉ चेन्नावीरा कानवी का बुधवार की सुबह निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे और उन्हें वृद्धावस्था के कारण होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां थीं।

पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने धारवाड़ के एसडीएम अस्पताल में अंतिम सांस ली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सहित तमाम लोगों ने कानवी के निधन पर शोक जताया है।

कर्नाटक सरकार ने आदेश दिया है कि कानवी का अंतिम संस्कार पुलिस सम्मान के साथ किया जाएगा।

डॉ चेन्नावीरा कानवी का जन्म 29 जून 1928 को गडग जिले के होमबल गांव में हुआ था। उनके पिता सक्करप्पा एक शिक्षक थे और मां पार्वतवा एक गृहिणी थीं। चेन्नावीरा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी की और उच्च शिक्षा के लिए वह धारवाड़ में आ गए।

चेन्नावीरा ने 15 से अधिक पुस्तकें लिखी थीं, जिनमें कविताओं का संकलन, निबंधों का संग्रह और विभिन्न अन्य पुस्तकें शामिल हैं।

चेन्नावीरा को उनकी पुस्तक ‘जीवनध्वनि’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, उन्हें राज्योत्सव पुरस्कार, पम्पा पुरस्कार, नादोजा उपाधि, नृपथुंगा पुरस्कार, साहित्य बांगरा पुरस्कार और कई अन्य पुरस्कार भी मिले थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रख्यात साहित्यकार कानवी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उनकी कविताओं और लेखन ने दशकों तक कन्नड़ साहित्य को समृद्ध किया।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘श्री चेन्नावीरा कानवी की कविताओं और लेखन ने दशकों तक कन्नड़ साहित्य को समृद्ध किया। उनके निधन से मैं दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।’’

जद (एस) सुप्रीमो एच. डी. देवेगौड़ा ने कानवी के निधन पर शोक जताते हुए कहा, ‘‘प्रख्यात साहित्यकार नदोजा चेन्नावीरा कानवी के निधन की सूचना से दुखी हूं। उनके जाने से कन्नड़ साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और उनके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति दे।’’

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने डॉ चेन्नावीरा कानवी के निधन पर दुख व्यक्त किया है।

बोम्मई ने प्रख्यात साहित्यकार को याद करते हुए कहा, ‘‘चेन्नावीरा कानवी कन्नड़ साहित्य जगत के सबसे रचनात्मक लेखकों में से एक थे। मैं उनको और उनके परिवार को पिछले चार दशकों से जानता हूं। वह विनम्रता के प्रतीक थे, जो अपने मृदुभाषी और सौम्य स्वभाव से दिल जीत लेते थे।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कन्नड़ साहित्य जगत को उनके निधन से बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम चंपा, सिद्धलिंगैया और अब कानवी जैसे कई साहित्यकारों को खो रहे हैं। नए लेखकों को इन महान साहित्यकारों से प्रेरणा लेनी चाहिए और शीर्ष गौरव पाने के प्रयास करने चाहिए।’’

कर्नाटक के मंत्री एस टी सोमशेखर, सी सी पाटिल, वी सोमन्ना, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, बी एस येदियुरप्पा, एच डी कुमारस्वामी और कई जन प्रतिनिधियों ने भी कानवी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

भाषा अर्पणा नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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