नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) पेल्विस और पेट की पिछली दीवारों से लिम्फ नोड को हटाने से अंडाशय के कैंसर के मरीजों के बचने की संभावना में काफी सुधार हो सकता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है।
यह अध्ययन 11 अप्रैल को मिस्र के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ। अध्ययन में शामिल 105 मरीजों में पांच वर्ष तक जीवित रहने की समग्र संभावना 48.9 प्रतिशत पाई गई।
एम्स के डॉ. बी आर आंबेडकर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल (डॉ. बीआरए-आईआरसीएच) के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य अन्वेषक डॉ एम डी रे ने कहा, ‘‘हमने पाया कि पेल्विस और पेट की पिछली दीवारों से लिम्फ नोड को व्यवस्थित तरीके से हटाने से रोगी के जीवित रहने की संभावना में काफी सुधार हो सकता है।’’
डॉ. रे ने कहा, ‘‘यह एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि हृदय से संबंधित मुख्य वाहिकाएं लिम्फ नोड के चारों ओर होती हैं, इसलिए सर्जन को इस तकनीक के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित होने की आवश्यकता होती है।’’
उन्होंने कहा कि बढ़े हुए लिम्फ नोड अंडाशय के कैंसर का एक अभिन्न अंग है इसलिए, कीमोथेरेपी के बाद उसे हटा दिया जाना चाहिए।
भारत में, अंडाशय कैंसर के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं और हर साल लगभग एक लाख मामले सामने आते हैं। डॉ. रे ने कहा कि यह स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के बाद महिलाओं में तीसरा सबसे आम कैंसर बन गया है।
वर्ष 2012 से 2018 के बीच, आईआरसीएच में अंडाशय कैंसर से संबंधित 255 मरीजों का ऑपरेशन किया गया, जिनमें से 105 मरीजों का अंडाशय के उन्नत चरण के कैंसर के रूप में विश्लेषण किया गया।
विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि कीमोथेरेपी से प्रभावित नोड स्टरलाइज नहीं होते हैं और इस प्रकार ये नोड्स रोग के फिर से पनपने के लिए संभावित स्थान बन जाते हैं।
अध्ययन में कहा गया है, ‘‘इसलिए, कीमोथेरेपी के बाद नोड का शामिल होना, बीमारी के बढ़ने का संकेत या सूचक हो सकता है।’’ अध्ययन में नोडल कैंसर इंडेक्स (एनसीआई) का भी प्रस्ताव दिया गया है, ताकि सर्जन बेहतर वस्तुनिष्ठ तरीके से लिम्फ नोड को हटा सकें, जिससे अंडाशय के कैंसर के मरीजों में आगे बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकें।
अध्ययन में बताया गया है कि स्तन कैंसर के साथ-साथ अंडाशय के कैंसर के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं और इसे दुनिया भर में स्त्री रोग संबंधी सबसे जानलेवा कैंसर माना जाता है।
भाषा आशीष नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.