लखनऊ, 28 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने मांग की कि राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से पहले जाति और धर्म के आधार पर तैनात अधिकारियों को हटाया जाए।
सपा ने कहा कि प्रदेश के 403 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के 1,62,486 मतदान केंद्रों पर 15.44 करोड़ मतदाताओं के एसआईआर की प्रक्रिया शुरू करने से पहले बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी), एडीएम (चुनाव) और इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) की नियुक्ति बिना किसी जाति या धर्म के भेदभाव के की जानी चाहिए।
पार्टी ने कहा कि ऐसा करने से भारत निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगेगा।
सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए आरोप लगाया कि प्रदेश में एसआईआर कराने के लिए नियुक्त किए गए बीएलओ, ईआरओ और एडीएम (चुनाव) को जाति और धर्म के आधार पर भाजपा सरकार की मानसिकता के अनुरूप नियुक्त किया गया है।
उन्होंने दावा किया कि इन नियुक्तियों में स्पष्ट भेदभाव हुआ है।
ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि उपचुनावों के दौरान कानपुर के सीसामऊ और आंबेडकरनगर के कटेहरी विधानसभा क्षेत्रों में जाति और धर्म के आधार पर बीएलओ बदले गए, जिसकी शिकायत किए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सपा ने कहा कि इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग मूकदर्शक बना रहा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह ज्ञापन के.के. श्रीवास्तव, डॉ. हरिश्चंद्र और राधेश्याम सिंह ने सौंपा और त्वरित कार्रवाई की मांग की।
भाषा आनन्द खारी
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