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Thursday, 25 April, 2024
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क्या ये लोग आतंकी हैं? कश्मीर डिटेंशन सेंटर के बाहर नज़रबंद नेताओं के परिवारों ने पूछा

नुजहर अकेली नहीं हैं. उनके अलावा भी कई लोग ऐसे हैं जो अपने रिश्तेदारों की खबर जानना चाहते हैं लेकिन उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है.

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श्रीनगर: नुजहर इश्फाक ने पिछले एक हफ्ते से अपने पति और पिता को नहीं देखा है. नुजहर के पति गंदरबल से नेशनल कांफ्रेंस के विधायक रह चुके हैं वहीं पिता हज़रतबल से विधायक रह चुके हैं.

सोमवार को ईद के मौके पर 38 वर्षीय नुजहर ने पति को ईद की बधाइयां देने के लिए श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस सेंटर के बाहर अपने 2 बेटों के साथ लगभग 2 घंटे इंतजार किया.

नुजहर का कहना है कि उनके पति शेख इश्फाक जब्बार और पिता मोहम्मद सईद अखून को 5 दिन पहले नज़रबंद कर लिया गया था.

नुजहर अकेली नहीं हैं. उनके अलावा भी कई लोग ऐसे हैं जो अपने रिश्तेदारों की खबर जानना चाहते हैं लेकिन उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 हटाने के फैसले के बाद से 500 राजनीतिक लोगों और नेताओं को कैद किया जा चुका है.

कैद किए हुए नेताओं के परिवार वालों का कहना है कि सभी लोगों को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस सेंटर में रखा गया है. लेकिन जब दिप्रिंट की टीम वहां पहुंची तो प्रशासन ने इस बाबत बात करने से मना कर दिया और यह दावा किया कि सेंटर के अंदर कोई भी नहीं है.

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हालांकि नुजहर और दोनों बच्चों को जब्बार से एक बार सेंटर के अंदर मिलने की इज़ाजत दी गई थी. लेकिन उन्हें बात करने की अनुमति नहीं थी.

पहले घर में नज़रबंद किया गया

इश्फाक का कहना है कि 7 अगस्त को शाम 7:30 बजे पुलिस उसके घर आई और जब्बार को अपने साथ ले गई. साथ में उसके पिता को भी ले गए.

इश्फाक ने यह भी कहा कि संसद में अमित शाह के अनुच्छेद-370 को हटाने का जब एलान किया गया तब दोनों लोगों को घर में नज़रबंद किया गया था.

अमित शाह के एलान के कुछ देर बाद ही जब्बार और अखून से एसएसजी सुरक्षा वापस ले ली गई और घर के बाहर पुलिस को तैनात कर दिया गया. नाम न बताने की शर्त पर अखून के परिवार के एक शख्स ने कहा कि 7 अगस्त को दोनों लोगों को पुलिस ले गई. पुलिस ने सिर्फ कपड़ें साथ ले जाने की अनुमति दी थी.

पीडीपी के नेता मोहम्मद युसुफ भट्ट, कांग्रेस नेता साहिल फारुख और पीडीपी नेता गुलाम अहमद सलोरा को भी नज़रबंद किया गया है.

इश्फाक पूछती हैं कि स्थानीय नेताओं को क्यों बंद किया गया है. हमने हमेशा भारत का समर्थन किया है। तो फिर उन्होंने हमारे साथ ऐसा क्यों किया. मेरे पति और पिता कोई लड़ाके नहीं है. यह हमारे साथ धोखा किया गया है.

इश्फाक इस बात से डर रही है कि दोनों लोगों को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत बंद किया गया है. इस कानून के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार किसी को भी 2 साल के लिए बंद कर सकती है. हमें बताया गया है कि दोनों को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत बंद किया गया है और राज्य में नई सराकर बनने के बाद ही वो छूट पाएंगे. इश्फाक कहती हैं कि हम बिल्कुल बेसहारा हो गए हैं.

विधानसभा चुनाव कराने की बात एक ढोंग है

एक और शख्स सेंटर के बाहर अपने मित्र से मिलने का इंतजार कर रहा है. नाम न बताने की शर्त पर वो कहता है कि जब तक चुनाव नहीं हो जाते तब तक सरकार इन लोगों को नज़रबंद करके रखना चाहती है. अगर ये सरकार का अच्छा कदम है तो सरकार ने कर्फ्यू क्यों लगा रखा है. लोगों को बाहर निकलकर ईद मनाने की इजाजत देनी चाहिए.

बात करने की इजाजत नहीं मिली, कुछ मिनटों के लिए सिर्फ देख पाए

जब अंत में इश्फाक और उसके दोनों बच्चों को जब्बार से मिलने की अनुमति दी गई तो वह सेंटर के अंदर गई. लेकिन बाहर आते वक्त वो निराश थी.

इश्फाक ने कहा जब्बार को कुछ दूरी से देखने की इज़ाजत दी गई. उसके बाद हमें जाने को कह दिया गया.

ईद की खुशी न मना पाने से नाराज जब्बार के बेटे ने कहा, ‘2-3 दिन पहले से ही ईद की तैयारियां शुरू हो जाती थी. हम शॉपिंग के लिए जाते थे. इस साल हमने कुछ भी नहीं खरीदा. कोई नए कपड़े नहीं लिए.’

बीच में ही बच्चों की आंटी ने रोकते हुए कहा, ‘क्या सबकुछ सामान्य है. यहां आतंक नहीं होगा तो क्या उठेगा. तूफान उठना चाहिए. ऐसे में अगर लड़के बंदूक नहीं उठाएंगे तो कौन उठाएगा ?’

(ये खबर अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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