मुंबई, सात अक्टूबर (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मराठा समुदाय के उन सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया जो अपनी ओबीसी पृष्ठभूमि को साबित कर सकते हैं।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के लोगों ने पांच याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें दावा किया गया था कि मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने से आखिरकार उन्हें ओबीसी श्रेणी में शामिल कर लिया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अनखड़ की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की संक्षिप्त सुनवाई की, जिनमें से एक ने अंतरिम राहत के रूप में सरकार के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया।
पीठ ने कहा कि वह कोई अंतरिम राहत देने के पक्ष में नहीं है और कहा कि इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगे जाने के बाद ही फैसला किया जा सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस समय याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विस्तार से चर्चा नहीं कर रहे हैं और इसलिए कोई भी अंतरिम राहत नहीं दे रहे हैं।’’
पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया और याचिकाओं का जवाब देते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पीड़ित व्यक्ति नहीं हैं क्योंकि सरकारी प्रस्ताव (मराठा समुदाय के पात्र व्यक्तियों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने से संबंधित) उन पर लागू नहीं होता है।
उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है।
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर आजाद मैदान में पांच दिन तक प्रदर्शन किया था, जिसके बाद दो सितंबर को सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी किया गया था। प्रस्ताव में मराठा समुदाय के उन पात्र सदस्यों को कुनबी प्रमाण पत्र प्रदान करने का प्रावधान है, जो अपनी ओबीसी पृष्ठभूमि साबित कर सकते हैं।
हैदराबाद राजपत्र को लागू करने संबंधी सरकारी प्रस्ताव मराठा समुदाय के पात्र सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने की अनुमति देगा, जिससे वे ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण का दावा कर सकेंगे।
ये याचिकाएं कुनबी सेना, महाराष्ट्र माली समाज महासंघ, अहीर सुवर्णकार समाज संस्था, सदानद मांडलिक और महाराष्ट्र नाभिक महामंडल ने दायर की थीं।
याचिकाओं में दावा किया गया था कि सरकार का निर्णय मनमाना, असंवैधानिक और कानून की दृष्टि से अनुचित है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
कुनबी सेना ने कहा कि सरकारी प्रस्ताव तीन जातियों – कुनबी, कुनबी मराठा और मराठा कुनबी को जाति प्रमाण पत्र जारी करने के आधार और मानदंडों में बदलाव करते हैं।
याचिका में कहा गया है कि ये प्रस्ताव ‘‘अस्पष्ट’’ हैं और इससे ‘‘सिर्फ अराजकता’’ पैदा होगी।
भाषा सुरभि नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
