नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) केंद्रीय बजट 2025-26 में ग्राम न्यायालयों के लिए धन आवंटन में भारी कमी देखने को मिली है।
बजट दस्तावेज के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्रालय की ग्राम न्यायालय योजना को आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 2 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वहीं, 2024-25 के संशोधित अनुमान के अनुसार, इस योजना को 10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश किया।
न्यायाधिकारियों की कमी और वित्तीय संकट के कारण ग्राम न्यायालयों को अपने गठन के उद्देश्य को पूरा करने में कठिनाई हो रही है।
कानून मंत्रालय ने पिछले साल मानसून सत्र में संसद को बताया था कि अब तक 15 राज्यों द्वारा 481 ग्राम न्यायालयों को अधिसूचित किया गया है, जिनमें से 10 राज्यों में 309 चालू हो चुके हैं।
वर्ष 1986 में विधि आयोग ने लोगों को उनके घर पर ही किफायती और त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के लिए ग्राम न्यायालयों की स्थापना का सुझाव दिया था।
कई वर्षों के बाद, दो अक्टूबर 2009 से ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 लागू हुआ।
कानून में जमीनी स्तर पर ग्राम न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सामाजिक, आर्थिक या अन्य असमर्थताओं के कारण कोई भी व्यक्ति न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न हो।
‘‘कुछ अध्ययनों’’ का हवाला देते हुए कानून मंत्रालय ने संसद में कहा था कि इन ग्राम न्यायालयों की स्थापना में धीमी प्रगति के मुख्य कारणों में कई राज्यों में न्यायाधिकारियों के पद नहीं भरा जाना, सरकारी अभियोजकों, नोटरी की अनुपलब्धता और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की कमी शामिल है।
दिशानिर्देशों के अनुसार, केंद्र सरकार गैर-आवर्ती व्यय को पूरा करने के लिए एकमुश्त उपाय के रूप में प्रत्येक ग्राम न्यायालय को 18 लाख रुपये प्रदान करती है और पहले तीन वर्षों के दौरान प्रति वर्ष प्रति न्यायालय के इस तरह के व्यय का 50 प्रतिशत वहन करती है, जिसकी ऊपरी सीमा 3.2 लाख रुपये है।
पिछले साल दिसंबर में, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि ग्राम न्यायालयों की स्थापना को लेकर पूरे देश के लिए एक ही फॉर्मूला नहीं हो सकता है क्योंकि स्थिति राज्य दर राज्य निर्भर करेगी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी।
याचिका में केंद्र और सभी राज्यों को उच्चतम न्यायालय की निगरानी में ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
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