नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को कहा कि वह इज़रायल पर हमास के हमले के पीछे के कारण और इसकी टाइमिंग को लेकर ‘आश्वस्त’ थे- बाकी मध्य पूर्व के साथ तेल अवीव के क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में काम किया जा रहा था- एक वजह जिसके बारे में रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक “वाजिब संदर्भ” है.
“मैं आश्वस्त हूं, जब हमास ने हमला किया तो उसमें से एक वजह यह भी थी, और मेरे पास इसका सबूत नहीं है, बस मेरी अंतरात्मा ऐसा कह रही है, इसके बढ़ने के कारण यह हुआ, जो हम इज़रायल के लिए क्षेत्रीय एकीकरण और समग्र रूप से क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में कर रहे थे.” एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाइडेन ने पत्रकारों से ये बातें कही, उन्होंने पिछले महीने महत्वाकांक्षी भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईईसी) की घोषणा का भी उल्लेख किया जो संभावित ट्रिगर के रूप में काम किया.
दिप्रिंट ने जिन विशेषज्ञों से बात की, उन्होंने कहा कि अगर संदर्भ को देखा जाए तो बाइडेन की सोच वैध है.
यूरोप और यूरेशिया सेंटर, मनोहर पार्रिकर इंस्टीट्यूट में डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में एसोसिएट फेलो स्वास्ति राव ने कहा, “भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे जैसी परियोजना की संभावना अब्राहम समझौते के जरिए इज़रायल और मध्य पूर्व के बीच संबंधों के सामान्य बनाने पर निर्भर करती है.”
ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में अध्ययन और विदेश नीति के उपाध्यक्ष हर्ष वी. पंत ने कहा कि हमास के 7 अक्टूबर के हमले से पहले क्षेत्र में चल रहे विकास ने कुछ प्लेयर्स को हाशिए पर धकेल दिया होगा.
“मुझे लगता है कि निश्चित रूप से, सऊदी अरब और इज़रायल के बीच मेल-मिलाप से हमास और ईरान दोनों असहज होंगे. क्षेत्र में ये प्रगति हमास और ईरान दोनों को हाशिये पर धकेल देंगे.” हालांकि, पंत ने चेतावनी देते हुए कहा कि सऊदी अरब और इज़राइल द्वारा संबंधों को सामान्य बनाने की जा रही कोशिश और अमेरिका की मध्यस्थता वाली कोई भी चर्चा उतनी एडवांस नहीं हो सकती, जितनी कि सार्वजनिक रूप से बताई गई है.
सऊदी अरब के रियाद में रसाना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ईरानी स्टडीज के एक रिसर्च स्कॉलर नदीम अहमद मूनाकल ने बताया कि “हमला, हालांकि सऊदी-इज़रायल के बीच संबंध के सामान्यीकरण करने की बातचीत के आसपास हुआ और कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक डेवलपमेंट्स के बीच भी हुआ.”
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “इस दौरान, फिलिस्तीनी मुद्दे पर सामूहिक जोर अपेक्षाकृत कम हो गया था… हालांकि, इस हमले के मद्देनजर, ध्यान फिर से फिलिस्तीन पर केंद्रित हो गया है.”
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 7 अक्टूबर हमास और इज़रायल के बीच संघर्ष में इज़रायल में 1,400 लोगों और हमास नियंत्रित गाज़ा में 7,000 लोगों की जान चली गई है.
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सऊदी अरब-इज़रायल मेल-मिलाप का महत्व
मूनाकल ने बताया कि सऊदी अरब और इज़रायल के बीच समझौते को सामान्य करने और क्षेत्रीय एकीकरण ने बाइडेन की विदेश नीति के लक्ष्यों को पूरा किया होगा और इसे उनके 2024 के पुन: चुनाव अभियान के दौरान एक “बड़ी जीत” के रूप में पेश किया जाएगा.
राव ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति को देखकर बाइडने की अटकलों को समझा जा सकता है. उन्होंने कहा, “इज़रायल और अरब देशों के बीच (संबंधों को) सामान्य बनाने के दो स्तंभ हैं – एक मिस्र, जॉर्डन जैसे देश और (दूसरे) अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता, जो पूरा हो चुका है. दूसरा स्तंभ सऊदी अरब के साथ संबंध है, जो पूरा होने के करीब है.”
राव ने कहा, “यदि ऐसा हुआ तो कुछ भूमिका निभाने वाले लोगों को नुकसान होगा – खासकर हमास के समर्थकों को. इज़रायल पर हमास के हमले और तेल अवीव के जवाबी हमले के बाद, सऊदी अरब और इज़रायल के बीच जो सामान्य संबंध बनाने की बात चल रही थी, उसके लिए अभी इंतज़ार करना होगा.”
पंत ने बताया कि तेल अवीव और रियाद दोनों ने सुलह प्रक्रिया को जिस गंभीरता के साथ अपनाया, उसका सबूत आईएमईईसी पर उनकी प्रतिक्रियाएं थीं.
पंत ने कहा, “इज़रायल IMEEC के हस्ताक्षरकर्ताओं को बधाई देने वाले पहले देशों में से एक था, जबकि सऊदी अरब इस परियोजना में निवेश करने की इच्छा को लेकर गंभीर रहा है. यह सबूत है कि स्थिति सामान्य होने की संभावना वास्तविक थी.”
फ़िलिस्तीन मुद्दे को एड्रेस किए बिना संबंध को सामान्य बनाना ‘संभव नहीं’
हालांकि, मूनाकल का मानना है कि रियाद और तेल अवीव के बीच संबंधों को सामान्य बनाना का काम, फिलिस्तीन पर समझौते के बिना नहीं किया जा सकता था.
मूनाकल ने कहा, “सऊदी अरब को कोई भी समझौता अस्वीकार्य लगेगा यदि वह फिलिस्तीनियों की दबावपूर्ण और स्थायी चिंताओं को एड्रेस करने में विफल रहता है, एक रुख जो अरब शांति पहल के अनुरूप है. (सऊदी) क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने हाल के हमलों का जवाब देते समय भी इस सुसंगत रुख को बनाए रखा.”
पंत ने सहमति जताते हुए कहा कि रियाद को “निश्चित रूप से फिलिस्तीन पर कुछ रियायतों की आवश्यकता होगी.”
उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि तेल अवीव उन्हें पेशकश करने के लिए तैयार है.
भविष्य अब इस बात पर निर्भर करता है कि किस तरह घटनाएं घटती हैं – खासतौर से हमास-इज़रायल संघर्ष के दौरान. पंत ने कहा, “युद्ध जितना लंबा होगा, क्षेत्र के देशों के लिए इज़रायल के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कोई भी परिवर्तनकारी कदम उठाना उतना ही कठिन होगा.”
(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)
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