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Friday, 1 November, 2024
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अयोध्या में ‘असल तनातनी’ तो अब शुरू हुई, हर संत बनना चाहता है ट्रस्ट का ‘मुखिया’

मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या में पहले से ही तीन ट्रस्ट हैं. वह सरकार की तरफ से बनाए जाने वाले किसी भी नए ट्रस्ट को अनावश्यक बता रहे हैं.

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लखनऊ/अयोध्या : अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही सबको उम्मीद थी कि पूरा विवाद अब सुलझ चुका है और जल्द ही मंदिर का निर्माण होगा. वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्षकारों को दी गई जमीन पर मस्जिद बनना भी जल्द शुरू हो जाएगा लेकिन एक सप्ताह के भीतर ही तमाम दूसरी अड़चने सामने आना शुरू हो गई हैं. एक तरफ मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पेटिशन डालने का निर्णय लिया है तो वहीं अयोध्या के भीतर संतो में आपसी तनातनी शुरू हो गई है.

ट्रस्ट का मुखिया बनने की ‘लड़ाई’

अयोध्या के शीर्ष संत-धर्माचार्यों में ट्रस्ट का मुखिया बनने और शामिल होने की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है. श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के बाद निर्मोही अखाड़ा ने भी ट्रस्ट में न सिर्फ शामिल होने बल्कि अध्यक्ष या सचिव पद की मांग करके हलचल मचा दी है. रामनगरी के संत-महंत दुविधा में हैं कि दोनों प्रमुख आश्रमों में किसका पक्ष लें.

सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को विराजमान रामलला के पक्ष में फैसला देते हुए केंद्र सरकार से मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या एक्ट 1993 के तहत राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट की योजना और शर्तें तय करने को कहा था. हालांकि ट्रस्ट का स्वरूप क्या होगा? इसे लेकर न पक्षकारों के पास कोई जानकारी है, न जिला प्रशासन के पास. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तीन ट्रस्ट श्रीराम जन्मभूमि न्यास, श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास में दावेदारी गरमाई हुई है.


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पहले से ही हैं तीन ट्रस्ट

ये समझना जरूरी है कि मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या में तीन ट्रस्ट पहले से हैं. इनमें सबसे पुराना ट्रस्ट श्रीराम जन्मभूमि न्यास है जो साल 1985 में विश्व हिंदू परिषद की देख-रेख में बना था और यही कारसेवकपुरम में पिछले कई सालों से मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने का काम कर रहा है.

दूसरा रामालय ट्रस्ट है जो बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद साल 1995 में बना था. जबकि तीसरा जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जन्मेजय शरण के नेतृत्व में बना श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास है.

अब तीनों ही ट्रस्ट का कहना है कि जब पहले से ही मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट मौजूद हैं तो सरकार को किसी अन्य ट्रस्ट के गठन की क्या ज़रूरत है. ये सभी ट्रस्ट अपने नेतृत्व में मंदिर निर्माण ट्रस्ट बनाने के लिए दबाव बना रहे हैं.

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अयोध्या के संत | सुमित कुमार

‘नए ट्रस्ट की जरूरत ही क्या’

श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि हमारी अध्यक्षता में राम मंदिर बनेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कुछ लोग ट्रस्ट में आ जाएंगे. नया ट्रस्ट बनाने की कोई जरूरत नहीं है.

अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि राम मंदिर बनाने का दायित्व सरकार को उनके रामालय न्यास को देना पड़ेगा. उनका कहना है कि श्रीराम जन्मभूमि न्यास अयोध्या एक्ट 1993 से पहले का बना है, जिसकी वजह से पात्रता नहीं रखता. जबकि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जन्मेजय शरण उनके साथ हैं, और रामालय के कार्यकारिणी सदस्य भी हैं. अब रही बात निर्मोही अखाड़े के दावे की तो उनको सिर्फ ट्रस्ट में जगह देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है. ट्रस्ट का दायित्व संभालने के लिए नहीं.

निर्मोही अखाड़ा खुलकर मैदान में

राम जन्मभूमि मामले में निर्मोही अखाड़ा की ओर से मीडिया को जानकारी दी गई कि अखाड़े का प्रतिनिधिमंडल राम मंदिर निर्माण और इसकी देखरेख के लिए बनने वाले ट्रस्ट में अपनी भूमिका को लेकर पीएम मोदी से मिलना चाहता है. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद निर्मोही अखाड़ा अपनी आगे की रणनीति तय करेगा. निर्मोही अखाड़ा की ये भी मांग है कि ट्रस्ट का अध्यक्ष व सचिव समेत 7 या 11 की कार्यकारिणी में सभी पंचों को स्थान मिलना चाहिए.

अखाड़ा के प्रवक्ता प्रभात सिंह ने दि प्रिंट से बातचीत में कहा कि निर्मोही अखाड़ा एक पंचायती अखाड़ा है जिसका इतिहास सन 1528 से है. उनके मुताबिक,’ मंदिर के लिए हमने 77 बार लड़ाई लड़ी है. हमने मुस्लिमों से, अंग्रेजों से भी लड़ाई लड़ी. हिंदू होने की भावना से हम मंदिर बनने का रास्ता खुलने से तो खुश हैं लेकिन उसे बनाए जाने के तरीके से असहमत हैं. इतने साल ले हमने लड़ाई लड़ी तो रामलला की सेवा का हक भी पहले हमारा है.

वीएचपी भी मुखर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विश्व हिंदू परिषद ने स्वीकारा है लेकिन ट्रस्ट में वह भी अहम भूमिका चाहती है. वीएचपी प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं कि केंद्र सरकार उनके काम की उपेक्षा नहीं कर सकती है.

शरद शर्मा कहते हैं, ‘हम वर्षों से मंदिर निर्माण में लगे हुए हैं, हमारे संगठन ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया है. देश-विदेश के सभी हिन्दुओं का हमें समर्थन और सहयोग मिला है. 70 साल से हम लगातार प्रतीक्षा कर रहे हैं. हम चाहते हैं सरकार सर्वस्पर्शी फैसला ले. न्यास की अहम भूमिका को इनकार नहीं किया जा सकता.’

वृंदावन के संतों ने भी उठाई आवाज

इस बीच वृंदावन के संतों ने भी राम मंदिर ट्रस्ट में स्थान देने की मांग उठाई है. इसे लेकर बीते रविवार को मथुरा के कालीदह स्थित अखंड दया धाम में संत-महंतों ने धर्मसभा की. धर्मसभा में पहुंची केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि राम मंदिर निर्माण पर जो देशहित में होगा, सरकार वही करेगी. इस धर्मसभा में आठ प्रस्ताव पास किए गए जिसमें राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट में वृंदावन के दो संतों को स्थान देने की मांग की गई.


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आपस में बढ़ी तनातनी, हटाए गए परमहंसदास

अयोध्या में संत समाज के बीच बढ़ रही तनातनी के बीच राम जन्म भूमि न्यास के शीर्ष महंत नृत्य गोपालदास पर अभद्र टिप्पणी के बाद महंत परमहंसदास को तपस्वी छावनी से निष्कासित कर दिया गया. दरअसल बीते दिनों महंत परमहंसदास का महंत नृत्य गोपाल दास पर अभद्र टिप्पणी करते हुए ऑडियो वायरल हुआ था जिसके बाद महंत नृत्य गोपाल दास के समर्थकों ने जमकर बवाल किया और उनके विरुद्ध एफआइआर भी दर्ज हुई. वहीं हंगामे के बीच पुलिस ने उन्हें अज्ञात स्थान पर छोड़ दिया था. इसके बाद महंत ने महंत नृत्य गोपाल दास से अपनी जान को खतरा भी बताया था.

अयोध्या में फिलहाल सभी प्रमुख संतों में मुखिया बनने के लिए ताकत लगाना शुरू कर दी है. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक जोर अजमाइश चल रही है.

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