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Monday, 23 December, 2024
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‘कनाडा सबूत पेश करे तो सहयोग को तैयार’ – भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया से किया संपर्क

जानकारी के मुताबिक भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया को यह भी बताया है कि भारतीय गैंगस्टरों को वहां सुरक्षित पनाहगाह मिलने पर सहयोग के लिए कनाडा से किए गए अनुरोध का कोई नतीजा नहीं निकला है.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक भारत ने कनाडा के साथ राजनयिक विवाद को लेकर अपने करीबी साझेदारों – अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया – से संपर्क किया है और उन्हें स्पष्ट कर दिया है कि वह सहयोग करने को तैयार है, बशर्ते ओटावा अपने दावों के समर्थन में सबूत पेश करे.

सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यह भी कड़े शब्दों में बताया गया है कि जब भारत में आपराधिक मामलों वाले लोगों को कनाडा में सुरक्षित पनाह मिलने की नई दिल्ली की आशंकाओं की बात आती है तो कनाडा ने कभी भी भारत के साथ सहयोग नहीं किया है.

यह पता चला है कि साझेदारों तक पहुंचने का निर्णय लिया गया था, जो संयोग से फाइव आईज का भी हिस्सा हैं – एक खुफिया गठबंधन जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड शामिल हैं.

एक सूत्र ने कहा, “हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत सहयोग के लिए तैयार है. लेकिन हम (ऐसा) तभी कर सकते हैं जब कोई सबूत पेश किया जाए.” सूत्र ने कहा कि जस्टिन ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स में अपने भाषण में सरे में एक सिख अलगाववादी की हत्या में “भारत सरकार के एजेंटों” की संलिप्तता का आरोप लगाया और एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया, तब कनाडाई प्रधानमंत्री अपने दावों के पक्ष में कोई भी सबूत पेश करने में विफल रहे.

सूत्र ने कहा, “यह भी कड़े शब्दों में बताया गया कि कनाडा ने कभी भी भारत के साथ सहयोग नहीं किया है, यहां तक कि उन भारतीय गैंगस्टरों के मामले में भी नहीं जिन्होंने वहां सुरक्षित आश्रय पाया है. जब दोषी आतंकवादियों और खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों की बात आती है, तो सहयोग के बारे में भूल जाइए, यहां तक कि सादे गैंगस्टरों और नार्को-तस्करों की भी नहीं.”

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के लिए यह कम्युनिकेशन ऐसे समय में आया है जब कनाडा पहले ही उनसे संपर्क कर उनका समर्थन मांग चुका है.

सूत्रों ने बताया कि किसी भी सहयोग के लिए, कनाडाई अधिकारियों को संदिग्धों के नाम बताने होंगे और हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में एक भारतीय की संलिप्तता का सबूत देना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा ने निष्कासन के समय किसी अन्य देश के खुफिया कर्मियों का नाम नहीं लेने की यूनिवर्सिल कोड को तोड़ दिया है, जिसका पालन सभी देश करते हैं.

गुरुवार को अपनी साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कनाडा द्वारा अपने दावों के समर्थन में कोई ‘विशिष्ट सबूत’ पेश नहीं करने के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, “हम हमें प्रदान की गई किसी भी विशिष्ट जानकारी को देखने के इच्छुक हैं, लेकिन अभी तक हमें कनाडा से कोई विशेष जानकारी नहीं मिली है. हमारी ओर से, कनाडाई धरती पर स्थित व्यक्तियों द्वारा आपराधिक गतिविधियों के बारे में विशिष्ट सबूत कनाडा के साथ साझा किए गए हैं लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं की गई है,”

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था, अगस्त 2021 और सितंबर 2023 के बीच, एनआईए ने कनाडा स्थित आतंकवादियों/गैंगस्टरों/आपराधिक नेटवर्क के आयोजकों की संलिप्तता के संबंध में एमओयू के जरिए कनाडाई अधिकारियों के साथ आठ बार जानकारी साझा की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

सूत्रों ने कहा कि आज तक, भारत द्वारा भेजे गए 26 प्रत्यर्पण अनुरोध कनाडाई अधिकारियों के पास लंबित हैं, जिनमें से कुछ अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित नहीं हैं. एक दूसरे सूत्र ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि कनाडाई प्रणाली भारत द्वारा किए गए सभी वैध अनुरोधों के लिए जानबूझकर धीमी गति से आगे बढ़ती है.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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