मुंबई, 25 जून (भाषा) पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर आपातकाल के दौरान संविधान पर ‘‘सबसे बड़ा हमला’’ करने का बुधवार को आरोप लगाया और ‘‘संविधान खतरे में’’ वाला बयान देने के कारण नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लिया।
प्रसाद ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने की 50वीं बरसी पर यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘राहुल गांधी कहते हैं कि संविधान खतरे में है। लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि आपातकाल के दौरान कांग्रेस से ज्यादा संविधान पर हमला किसने किया? यह पाखंड क्यों?’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी (राहुल गांधी) पार्टी ने 1.5 लाख लोगों और 253 पत्रकारों को जेल भेजने के लिए कभी माफी नहीं मांगी। इसके बजाय, राजीव गांधी ने बाद में कहा था कि आपातकाल उचित था।’’
प्रसाद ने आरोप लगाया कि आपातकाल (1975-77) के दौरान प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, विदेश के 52 पत्रकारों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए थे और बीबीसी के मार्क टुली सहित 29 पत्रकारों को भारत में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।
उन्होंने पूछा, ‘‘यह संविधान का कैसा सम्मान है जब विदेशी मीडिया को भी निशाना बनाया गया था।’’
प्रसाद ने कहा कि आपातकाल के दौरान न्यायपालिका में भी हस्तक्षेप किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायाधीशों का तबादला कर दिया गया और कुछ को तो स्थायी भी नहीं किया गया। नौ उच्च न्यायालयों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन जब मामला उच्चतम न्यायालय में गया तो उसने आपातकाल को बरकरार रखा।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘केवल एक न्यायाधीश एच. आर. खन्ना ने असहमति जताई। साहस दिखाने के बावजूद उन्हें प्रधान न्यायाधीश का पद नहीं दिया गया। कांग्रेस ने लोकतंत्र के साथ खड़े होने के लिए उन्हें दंडित किया।’’
प्रसाद ने कहा कि भाजपा इस दिन को ‘‘संविधान हत्या दिवस” के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि आपातकाल मंत्रिमंडल को विश्वास में लिए बिना ही लागू कर दिया गया था।
भाषा
प्रीति माधव
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