नई दिल्ली: पुरी स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के प्रतिष्ठित खजाने ‘रत्न भंडार’ (कोषागार) को, उसके कीमती सामान को एक अस्थायी ‘स्ट्रांग रूम’ में स्थानांतरित करने के लिए गुरुवार को दोबारा खोला गया.
अधिकारियों ने बताया कि रत्न भंडार को सुबह नौ बजकर 51 मिनट पर दोबारा खोला गया. यह एक हफ्ते में दूसरी बार है जब कोषागार को खोला गया है.
भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन…भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की पूजा-अर्चना करने के बाद, रत्न भंडार से कीमती सामान को दूसरी जगह रखने के लिए ओडिशा सरकार द्वारा गठित पर्यवेक्षण समिति के सदस्यों ने सुबह करीब नौ बजे मंदिर में प्रवेश किया.
मंदिर में प्रवेश करने से पहले संवाददाताओं से बात करते हुए पर्यवेक्षण समिति के अध्यक्ष एवं उड़ीसा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने कहा, ‘‘हमने भगवान जगन्नाथ से कोषागार के आंतरिक कक्ष में रखे सभी कीमती सामान को स्थानांतरित करने के लिए आशीर्वाद मांगा.’’
इससे पहले, 46 साल बाद 14 जुलाई को रत्न भंडार खोला गया था. उस दिन कोषागार के बाहरी कक्ष से आभूषण और कीमती सामान को ‘स्ट्रांग रूम’ में स्थानाांतरित किया गया था.
न्यायमूर्ति रथ ने पुरी के राजा एवं गजपति महाराजा दिव्य सिंह देव से भी अनुरोध किया कि वे रत्न भंडार में उपस्थित रहें और वहां से कीमती सामान को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया की निगरानी करें.
पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, ‘‘केवल अधिकृत लोगों को पारंपरिक पोशाक के साथ कोषागार में प्रवेश करने की अनुमति है. यदि कीमती सामानों को स्थानांतरित करने का काम आज पूरा नहीं होता है तो मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार यह आगे जारी रहेगा. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जा रही है.’’
मंदिर प्रशासन ने गुरुवार को सुबह आठ बजे से मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया.
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘कीमती सामान को स्थानांतरित करने के दौरान केवल अधिकृत लोगों और कुछ सेवकों को ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई है.’’
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