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शुक्रवार, 27 जून, 2025
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रथ यात्रा: ‘जय जगन्नाथ’ के उद्घोष के साथ पुरी में हजारों लोगों ने खींचा रथ

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पुरी, 27 जून (भाषा) ओडिशा के पुरी में शुक्रवार को रथ यात्रा उत्सव का मुख्य भाग शुरू होने के साथ ही हजारों लोगों ने भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के रथों से जुड़ी रस्सियों को श्री गुंदेचा मंदिर की ओर खींचा।

श्री गुंडिचा मंदिर, 12वीं सदी के भगवान जगन्नाथ मंदिर से करीब 2.6 किलोमीटर दूर है।

राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के रथों को खींचने वालों में शामिल थे।

‘जय जगन्नाथ’ और ‘हरि बोल’ के उद्घोष तथा झांझ-मंजीरे, तुरही और शंख की ध्वनि के बीच सबसे पहले शाम चार बजकर आठ मिनट पर भगवान बलभद्र का ‘तालध्वज’ रथ आगे बढ़ा। इसके बाद देवी सुभद्रा का ‘दर्पदलन’ रथ और अंत में भगवान जगन्नाथ का ‘नंदीघोष’ रथ रवाना हुआ।

जब यात्रा शहर के ग्रैंड रोड से होकर गुजर रही थी और भक्त रथ खींच रहे थे, तब पुजारियों ने उन (रथ) पर सवार देवताओं को घेर लिया।

हजारों लोगों ने रथ खींचे, जबकि लाखों अन्य लोग भी उत्सव में हिस्सा लेने के लिए पुरी के इस प्रसिद्ध मंदिर शहर पहुंचे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि वार्षिक रथ उत्सव में शामिल होने के लिए शहर में लगभग दस लाख भक्तों के एकत्र होने का अनुमान है।

पुरी के राजा गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब द्वारा तीनों रथ पर ‘छेरापहंरा’ (रथों की सफाई) की रस्म पूरी करने के बाद रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई।

भक्तों द्वारा खींचे जाने से पहले तीनों रथ पर अलग-अलग रंगों के लकड़ी के घोड़े लगाए गए।

इससे पहले, शुक्रवार को यहां दो घंटे से अधिक समय तक चली औपचारिक ‘पहांडी’ रस्म के बाद भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ अपने-अपने रथों पर सवार हुए।

‘पहांडी’ शब्द संस्कृत शब्द ‘पदमुंडनम’ से आया है, जिसका अर्थ है पैर फैलाकर धीमी गति से कदम उठाना।

इस रस्म के तहत तीनों देवी-देवताओं की लकड़ी की प्रतिमाओं को 12वीं सदी के मंदिर से रथों तक लेकर जाया जाता है।

घंटे, शंख और झांझ बजाते हुए चक्रराज सुदर्शन को सबसे पहले मुख्य मंदिर से बाहर लाया गया और देवी सुभद्रा के ‘दर्पदलन’ रथ पर विराजमान किया गया।

तीनों देवी-देवताओं के रथ पर विराजमान होने के बाद गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती अपने कुछ शिष्यों के साथ उनके (देवी-देवताओं) दर्शन करने पहुंचे। 81 वर्षीय शंकराचार्य व्हीलचेयर पर सवार होकर रथों के पास पहुंचे। शंकराचार्य का दर्शन भी रथ यात्रा अनुष्ठानों का हिस्सा है।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह शेखावत, पुरी के सांसद संबित पात्रा, ओडिशा सरकार के कुछ मंत्री और कई अन्य लोग पुरी में पहांडी रस्म के साक्षी बने।

रथ यात्रा के लिए शहर में करीब 10,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है।

ओडिशा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वाईबी खुरानिया ने कहा, ‘‘हमने रथयात्रा के सुचारु संचालन के लिए हरसंभव इंतजाम किए हैं।’’ उन्होंने पत्रकारों को बताया कि कृत्रिम मेधा (एआई) से लैस 275 से अधिक सीसीटीवी कैमरे भीड़ पर नजर रख रहे हैं।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) संजय कुमार ने बताया कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद मिली कुछ सूचनाओं को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा बढ़ाई गई है। उन्होंने बताया कि ओडिशा पुलिस के अलावा, त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) की तीन टीम सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की आठ टुकड़ियां तैनात की गई हैं।

कुमार ने कहा, ‘‘ओडिशा पुलिस के साथ कई केंद्रीय सरकारी एजेंसियां ​​सहयोग कर रही हैं, जिनमें एनएसजी स्नाइपर, तट रक्षक ड्रोन और ड्रोन रोधी प्रणालियां शामिल हैं। श्वान दल और ओडिशा की दंगा रोधी इकाइयां भी यहां तैनात की गई हैं।’’

भाषा जितेंद्र पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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