नई दिल्लीः राज्य सभा के तमाम सदस्यों द्वारा अपने खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किए जाने पर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राज्य सभा सदस्य रंजन गोगोई ने कहा कि कानून अपना काम करेगा.
गोगोई ने यह भी कहा कि वे बुधवार को राज्य सभा की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकेंगे लेकिन वह सोमवार और मंगलवार को उपस्थित थे. बता दें कि दिन में सदन की कार्यवाही में भाग लेने वाले उनके बयान पर शिवसेना और आईयूएमएल सांसदों द्वारा विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दाखिल किए जाने पर उन्होंने ये बात कही.
उन्होंने कहा, ‘कानून अपना काम करेगा. आज नहीं. मैं सोमवार और मंगलवार को वहां मौजूद था और कल भी मौजूद रहूंगा.’
बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में टीएमसी, कांग्रेस, सपा और सीपीआई(एम) भी इसी मामले में राज्य सभा सदस्य रंजन गोगोई के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लेकर आए थे.
सूत्रों ने बताया कि एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में गोगोई ने कथित रूप से कहा था कि कोविड प्रतिबंधों और सामाजिक दूरी के अभाव में जब उनका मन होगा और जब उन्हें लगेगा कि यह विषय महत्वपूर्ण है और इस पर बोला जाना चाहिए तब वह राज्यसभा की कार्यवाही में भाग लेना पसंद करेंगे. गोगोई ने कथित रूप से यह भी कहा था कि वह एक मनोनीत सदस्य हैं और किसी पार्टी की व्हिप से बंधे हुए नहीं हैं.
राज्य सभा के सांसदों ने कहा था कि रंजन गोगोई द्वारा दिए गए बयान ने प्रथमतः सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाया है.
पार्लियामेंट का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हुआ है और 23 दिसंबर तक चलेगा.
इसी महीने अपनी आत्मकथा, ‘जस्टिस फॉर द जज’ के विमोचन के मौके पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि उन्हें, उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की सुनवायी करने वाली पीठ का हिस्सा नहीं होना चाहिए था.
गोगोई ने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान एक निजी टीवी चैनल से कहा था, ‘मुझे उस पीठ में न्यायाधीश नहीं होना चाहिए था (जिसने उनके खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई की थी). बार और बेंच में मेरी 45 साल की कड़ी मेहनत बर्बाद हो रही थी. मैं पीठ का हिस्सा नहीं होता, तो शायद अच्छा होता. हम सभी गलतियां करते हैं. इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है.’
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