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Saturday, 16 August, 2025
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शिक्षा और आदिवासी अधिकारों के बड़े पैरोकार थे रामदास सोरेन

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(संजय कुमार डे)

रांची, 15 अगस्त (भाषा) नयी दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले झारखंड के शिक्षा मंत्री और झामुमो विधायक रामदास सोरेन को उनकी सादगी, जमीनी स्तर पर जुड़ाव और जनसेवा के प्रति अटूट समर्पण के लिए याद किया जाएगा।

सोरेन का जन्म एक जनवरी 1963 को पूर्वी सिंहभूम जिले के घोराबांधा गांव में हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे।

अपनी राजनीतिक यात्रा घोराबंदा पंचायत के ग्राम प्रधान के रूप में शुरू करन वाले रामदास सोरेन अंततः हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक बन गए।

रामदास सोरेन 1990 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की जमशेदपुर पूर्व इकाई के अध्यक्ष चुने गए। बाद में वह घाटशिला चले गए और 2005 के विधानसभा चुनाव में वहां से किस्मत आजमाने की तैयारी करने लगे। लेकिन यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई, जो झामुमो की गठबंधन सहयोगी थी। फिर, उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।

तीन बेटों और एक बेटी के पिता रामदास सोरेन ने 2009 का विधानसभा चुनाव घाटशिला से लड़ा और पहली बार झारखंड विधानसभा के सदस्य बने।

हालांकि, वह 2014 में भाजपा के लक्ष्मण टुडू से घाटशिला में हार गए, लेकिन 2019 में उन्होंने जोरदार वापसी करते हुए इस सीट पर फिर से कब्ज़ा कर लिया।

रामदास सोरेन ने 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को हराकर तीसरी बार यह सीट जीती।

चंपई सोरेन के मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद, रामदास सोरेन को 30 अगस्त को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।

हेमंत सोरेन सरकार में उन्हें स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का मंत्री बनाया गया।

भाषा राजकुमार पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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