मुंबई, तीन अक्टूबर (भाषा) शिवसेना नेता रामदास कदम शुक्रवार को अपने इस दावे पर अडिग रहे कि पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे का पार्थिव शरीर 2012 में निधन की घोषणा से दो दिन पहले उनके मुंबई स्थित आवास पर रखा गया था।
पूर्व मंत्री कदम ने यह भी दावा किया कि बाल ठाकरे के निधन के बाद उनके अंगुलियों के निशान लिए गए थे और कहा कि उनका व शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का ‘नार्को टेस्ट’ होना चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
अलग-अलग बयान देते हुए, शिवसेना नेता एवं ‘महायुति’ सरकार में मंत्री संजय शिरसाट ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी और कहा कि रामदास कदम द्वारा लगाए गए आरोपों में दम है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एवं राज्य सरकार में मंत्री नितेश राणे ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे ने बाल ठाकरे के अंतिम दिनों में उनसे मिलने नहीं दिया था।
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने कदम का समर्थन किया और उद्धव ठाकरे से आग्रह किया कि वह शिवसेना नेता के सवालों का जवाब दें।
उद्धव ठाकरे के प्रमुख सहयोगी एवं शिवसेना (उबाठा) नेता संजय राउत ने कदम पर पलटवार करते हुए उनकी टिप्पणी को दिवंगत नेता के साथ ‘‘विश्वासघात’’ करार दिया।
मुंबई में बृहस्पतिवार को शिवसेना की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए कदम ने कहा था, ‘‘शिवसेना प्रमुख (बाल ठाकरे) का निधन कब हुआ? उनका पार्थिव शरीर दो दिन तक मातोश्री (उपनगरीय बांद्रा स्थित उनके आवास) में क्यों रखा गया? मैं मातोश्री में आठ दिन तक (जब बाल ठाकरे गंभीर रूप से बीमार थे) एक बेंच पर सोया था।’’
पूर्व मंत्री कदम ने यह बात शिवसेना (उबाठा) प्रमुख एवं बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कही।
संजय राउत ने कदम की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘ऐसे बयान देना बालासाहेब ठाकरे के साथ विश्वासघात है।’’
कदम ने शुक्रवार को दावा किया कि उद्धव ठाकरे ने अपने दिवंगत पिता के पार्थिव शरीर के साथ ‘‘अमानवीय व्यवहार’’ किया था। बाल ठाकरे का निधन 17 नवंबर 2012 को हुआ था।
शिवसेना नेता ने कहा, ‘‘मैंने उद्धव जी से उनके चरणों के निशान लेने को कहा था। लेकिन उद्धव जी ने कहा कि उन्होंने उनकी हथेलियों के निशान लिए हैं। इन निशानों का आपने क्या किया? मेरा और उद्धव जी का (इसकी पुष्टि के लिए) नार्को टेस्ट हो जाए।’’
कदम ने दावा किया कि मातोश्री के उस कमरे में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी, जहां शिवसेना संस्थापक के पार्थिव शरीर को दो दिन तक रखा गया था।
शिवसेना (उबाठा) की आलोचना की अनदेखी करते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि वह अपने बयानों पर अडिग हैं।
राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल शिवसेना का नेतृत्व उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कर रहे हैं, जो उद्धव ठाकरे के कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं।
मध्य महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में नितेश राणे ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा के लोकसभा सदस्य नारायण राणे ने बीमार बाल ठाकरे से मिलने की इच्छा व्यक्त की थी।
नारायण राणे अविभाजित शिवसेना में भी रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘उद्धव ठाकरे ने नारायण राणे को बाल ठाकरे के अंतिम दिनों में उनसे मिलने नहीं दिया। कदम ही बेहतर बता सकते हैं कि उन दो-तीन दिनों में वहां (मातोश्री में) क्या हो रहा था। हमें बस इतना पता है कि स्विट्जरलैंड से कोई आने वाला था और कुछ कागजों पर हस्ताक्षर के बाद (निधन) की घोषणा होनी थी।’’
नितेश राणे ने कहा कि उद्धव ठाकरे को स्पष्ट करना चाहिए कि झूठ कौन बोल रहा है –- रामदास कदम या वह खुद।
उन्होंने कहा, ‘‘जितनी देर तक वह चुप रहेंगे, उतना ही वह हमारी बातों को सही ठहराते जाएंगे।’’
छत्रपति संभाजीनगर में एक समाचार चैनल से बात करते हुए सामाजिक न्याय मंत्री शिरसाट ने कहा कि कदम द्वारा लगाए गए आरोप झूठे नहीं हैं।
शिरसाट ने कहा, ‘‘लेकिन हम इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते क्योंकि इससे बाल ठाकरे की आत्मा को ठेस पहुंचेगी।’’
उन्होंने दावा किया कि बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार की तैयारियां उनके निधन की औपचारिक घोषणा से दो दिन पहले से ही की जा रही थीं।
सामाजिक न्याय मंत्री ने कहा, ‘‘मैं मातोश्री में था। पूर्व सांसद विनायक राउत (तब अविभाजित शिवसेना में) ने दो दिन पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। (मुंबई) पुलिस आयुक्त ने पूछा कि क्या हुआ है। इसके बाद, तत्कालीन शिवसेना नेता दिवाकर रावते ने राउत द्वारा की गई (अंतिम संस्कार की) व्यवस्था हटा दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां नाम ले रहा हूं।’’
शिरसाट ने कहा, ‘‘कदम द्वारा लगाए गए आरोप झूठे नहीं है। सच्चाई सभी जानते हैं। हम इस मुद्दे पर और चर्चा नहीं चाहते। कदम ने कहा, इसलिए मैं बोल रहा हूं। हम इससे ज्यादा नहीं बोलेंगे क्योंकि हम बाल ठाकरे की आत्मा को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते।’’
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खारी सुभाष
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