गुरुग्राम: बलात्कार और हत्या के मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को फिर से 21 दिन की छुट्टी पर रिहा कर दिया गया है. 2017 में पहली बार दोषी ठहराए जाने के बाद से डेरा प्रमुख को पैरोल या छुट्टी दिए जाने का यह 13वां मामला है.
यह रिहाई डेरा के सिरसा स्थित मुख्यालय में 77वें स्थापना दिवस समारोह से पहले हुई है. राम रहीम बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह करीब 6:30 बजे सुनारिया जेल से निकले और सीधे सिरसा डेरा पहुंचे, जहां उनके 21 दिन बिताने की उम्मीद है. करीब दो महीने
पहले 28 जनवरी को वह 30 दिन की पैरोल पर बाहर आए थे. उन्होंने 10 दिन सिरसा डेरा में और बाकी 20 दिन उत्तर प्रदेश में डेरा के बरनावा आश्रम में बिताए थे. उस रिहाई की राजनीतिक विश्लेषकों और पीड़ितों के परिवारों ने तीखी आलोचना की थी, जिन्होंने हरियाणा सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे.
राजनीतिक दल आम तौर पर डेरा अनुयायियों के वोट खोने के डर से उनकी रिहाई पर टिप्पणी करने से बचते हैं. डेरा प्रमुख के हरियाणा और पंजाब में काफी समर्थक हैं.
उनकी ज्यादातर अस्थायी रिहाई चुनावों के साथ हुई है, चाहे वह पंचायत, राज्य या राष्ट्रीय चुनाव हों. वास्तव में, डेरा मुख्यालय ने पिछले साल अक्टूबर में अपने अनुयायियों से हरियाणा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का समर्थन करने का आह्वान किया था.
रिलीज में एक पैटर्न
2017 में दोषी ठहराए जाने के बाद से राम रहीम का जेल में आना-जाना एक चौंकाने वाली तस्वीर पेश करता है. उन्हें पहली बार पैरोल 24 अक्टूबर, 2020 को मिला था, जब उन्हें अपनी बीमार मां से मिलने के लिए एक दिन की छुट्टी दी गई थी. इसके बाद 21 मई, 2021 को फिर से अपनी मां से मिलने के लिए 12 घंटे की पैरोल मिली.
2022 में, मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने पहले के कानूनों में एक संशोधन लाया, जिसमें कुछ शर्तों में ढील दी गई, विशेष रूप से कैदियों को छुट्टी के लिए कारण बताने की आवश्यकता को हटा दिया गया—एक ऐसा बदलाव जिसके बारे में आलोचकों का तर्क है कि इसने राम रहीम की लगातार रिहाई में मदद की है.
2022 में इसकी आवृत्ति बढ़ गई, 7 फरवरी को परिवार से मिलने के लिए 21 दिन की छुट्टी, जून में 30 दिन की पैरोल जिसमें उन्हें बागपत आश्रम में रहना पड़ा और अक्टूबर में 40 दिन की पैरोल जिसके दौरान उन्होंने बागपत से संगीत वीडियो जारी किए. 2023 में, उन्होंने शाह सतनाम सिंह की जयंती में भाग लेने के लिए 21 जनवरी को 40 दिन की पैरोल, 20 जुलाई को 30 दिन की पैरोल और 21 नवंबर को 21 दिन की छुट्टी लेकर फिर से बागपत चले गए.

वर्ष 2024 में उन्हें 19 जनवरी से 50 दिन की पैरोल, 13 अगस्त को बागपत में 21 दिन की छुट्टी और हरियाणा चुनावों से पहले 2 अक्टूबर को 20 दिन की पैरोल मिली, जिसके दौरान वे बरनावा में रहे.
जनवरी में अपनी पैरोल और इस साल अप्रैल में नवीनतम छुट्टी के साथ, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख 300 से अधिक दिनों तक जेल से बाहर रहे हैं.
राम रहीम की लगातार रिहाई का विरोध करते हुए, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने बार-बार हरियाणा सरकार के फैसलों को अदालत में चुनौती दी है, लेकिन उन्हें असफलता ही हाथ लगी है. जनवरी 2023 में, एसजीपीसी ने हरियाणा सरकार द्वारा डेरा प्रमुख को बार-बार पैरोल और छुट्टी दिए जाने के खिलाफ सबसे पहले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
जब अगस्त 2024 में हाई कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी, तो एसजीपीसी ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में भेज दिया. हालांकि, इस साल 25 फरवरी को शीर्ष अदालत ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया.
हरियाणा का पैरोल और फरलो कानून
हरियाणा जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा के कानूनी ढांचे के तहत, हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (अस्थायी रिहाई) अधिनियम, 2022 द्वारा शासित, पैरोल और फरलो अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं.
पैरोल एक सशर्त रिहाई है, जो आम तौर पर किसी पारिवारिक आपात स्थिति-मृत्यु, बीमारी या शादी-जैसे विशिष्ट कारणों के लिए दी जाती है और यह कैदी का अधिकार नहीं है. एक कैदी को अधिकारियों को रिपोर्ट करना होता है, जिसकी अवधि (सालाना 70 दिन तक) सजा में नहीं गिनी जाती.
दूसरी ओर, फरलो एक कानूनी अधिकार है, जिसे पुनर्वास में सहायता के लिए जेल जीवन की एकरसता से ब्रेक के रूप में डिज़ाइन किया गया है. इसके लिए किसी विशेष कारण की आवश्यकता नहीं होती है और हरियाणा में इसकी सीमा 21 दिन प्रति वर्ष है, जिसमें जेल से बाहर बिताया गया समय सजा के हिस्से के रूप में गिना जाता है.
पैरोल के लिए मंजूरी संभागीय आयुक्त से मिलती है, जबकि फरलो को जेल विभाग द्वारा मंजूरी दी जाती है.
अगस्त 2017 में सीबीआई कोर्ट ने उन्हें अपने सिरसा आश्रम में दो महिला शिष्यों के साथ बलात्कार करने के लिए 20 साल की सजा सुनाई थी, जबकि जनवरी 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के लिए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के लिए उन्हें अक्टूबर 2021 में एक और आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. मई 2024 में, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें रंजीत सिंह हत्या मामले में बरी कर दिया, यह निर्णय अब सुप्रीम कोर्ट में अपील के अधीन है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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