नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मध्यस्थता का रास्ता निकाला है. इसके ‘स्थायी समाधान’ के लिए कोर्ट की निगरानी में मध्यस्था होगी. सबसे बड़ी बात ये है कि कोर्ट ने कहा है कि मीडिया इस मध्यस्थता को रिपोर्ट नहीं करेगी यानी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा इस पर किसी तरह की रिपोर्टिंग पर बैन लगा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘कोर्ट की निगरानी में होने वाली मध्यस्थता गोपनीय रखी जाएगी.’
इसके लिए तीन सदस्यों का पैनल बनाया गया है जिसे आठ हफ्तों में मध्यस्था पूरी करनी होगी. वहीं, किसी समस्या की स्थिति में इस पैनल को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देनी होगी. ‘स्थायी समाधान’ के लिए बनाई गई मध्यस्थता समिति के प्रमुख जस्टिस कलीफुल्ला होंगे, ये मध्यस्थता ऑन कैमरा होगी. मध्यस्थता उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद(अयोध्या) में होगी. जस्टिस कलीफुल्ला के अलावा मध्यस्थता टीम में आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर और वकील श्रीराम पंचु शामिल होंगे. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक चार हफ्ते के भीतर मध्यस्थता प्रक्रिया को शुरू करनी होगी और आठ हफ्ते के भीतर इसे पूरा कर इसकी रिपोर्ट सर्वोच्च अदालत को सौंपनी होगी.
ज़रूरत पड़ने पर मध्यस्थता पैनल में और लोगों को शामिल किया जा सकता है. उत्तर प्रदेश सरकार को मध्यस्थता में शामिल लोगों को फैजाबाद में सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करानी पड़ेगी. मध्यस्थता में शामिल लोगों को ज़रूरत पड़ने पर आगे की कानूनी सहायता भी मुहैया कराई जाएगी.
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को मामला मध्यस्थता को भेजे जाने के मुद्दे पर सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए पक्षकारों में मध्यस्थता पैनल में शामिल किए जाने वालों का नाम देने के लिए कहा था.