नयी दिल्ली: राज्यसभा ने हरियाणा के कुंडली और तमिलनाडु के तंजावुर स्थित खाद्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दो संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के प्रावधान वाले विधेयक को सोमवार को मंजूरी प्रदान कर दी.
विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कृषि एवं कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार की नीतियां उत्पादन केंद्रित रहने की वजह से देश में उत्पादन बेहतर हुआ. ‘लेकिन फसल का प्रबंधन आज भी संकट का विषय बना हुआ है. चाहे वह भंडारण हो या कोल्ड स्टोरेज हो. इस दिशा में अभी बहुत काम करना है.’
उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण का क्षेत्र कई समाधान दे सकता है, खाद्य पदार्थों की बर्बादी रोक सकता है, रोजगार दे सकता है और हमारे उत्पादों को विश्व स्तर पर स्थापित कर सकता है. यही वजह है कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय बनाया गया और इससे समाधान भी मिला है.’
मंत्री ने किसान संपदा योजना का जिक्र किया और इसके तहत हुए काम को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे 444 लाख रोजगार सृजित हुए और लाखों किसानों को इससे फायदा हुआ.
उन्होंने कहा ‘भारत कृषि के क्षेत्र में महारत हासिल किए हुए है. इसमें किसानों का अहम योगदान है. खाद्य प्रसंस्करण से इसमें बहुत मदद मिलेगी. इसके लिए मानव श्रम की जरूरत होगी और यह कुशल मानव श्रम उत्कृष्ट संस्थानों से मिलेगा.’
उन्होंने विधेयक को इस दिशा में एक अहम कदम बताते हुए कहा ‘पिछली बार भी इस विधेयक पर सबने अच्छे विचार जाहिर किए. स्थायी समिति की सिफारिशों को भी इसमें शामिल किया गया है.
उनके जवाब के बाद सदन ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
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