नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक, नई दिल्ली में पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक बलों को श्रद्धांजलि दी. इस दिन, 1959 में, लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में भारी शस्त्रों से लैस चीनी सैनिकों द्वारा किए गए हमले में 10 वीर पुलिसकर्मी शहीद हुए थे.
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी और पुलिस और अर्धसैनिक बलों की सेवा के लिए आभार जताया. उन्होंने सशस्त्र बलों और पुलिस बलों को राष्ट्रीय सुरक्षा के स्तंभ बताया, कहा कि जहां सशस्त्र बल देश और उसकी भौगोलिक अखंडता की रक्षा करते हैं, वहीं पुलिस समाज और सामाजिक अखंडता की सुरक्षा करती है.
उन्होंने कहा, “सशस्त्र बल और पुलिस अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर काम करते हैं, लेकिन उनका मिशन समान है — राष्ट्र की सुरक्षा. 2047 तक विकसित भारत की ओर देखते हुए, देश की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा का संतुलन बनाना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.”
वर्तमान चुनौतियों पर बात करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमाओं पर अस्थिरता है और समाज में नए प्रकार के अपराध, आतंकवाद और वैचारिक युद्ध उभर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अपराध अधिक संगठित, अदृश्य और जटिल हो गया है और इसका उद्देश्य समाज में अराजकता फैलाना, विश्वास को कमज़ोर करना और देश की स्थिरता को चुनौती देना है.
रक्षा मंत्री ने पुलिस की सराहना करते हुए कहा कि वे अपने आधिकारिक दायित्व का पालन करते हुए अपराध रोकने का काम कर रही हैं, साथ ही समाज में विश्वास बनाए रखने का नैतिक कर्तव्य निभा रही हैं.
उन्होंने कहा, “आज अगर लोग शांति से सो रहे हैं, तो यह हमारी सतर्क सशस्त्र सेनाओं और चौकस पुलिस में विश्वास की वजह से है. यही विश्वास हमारे देश की स्थिरता की नींव है.”
नक्सलवाद की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि लंबे समय से यह आंतरिक सुरक्षा की बड़ी चुनौती रहा है, लेकिन पुलिस, CRPF, BSF और स्थानीय प्रशासन के संयुक्त और संगठित प्रयासों से इस समस्या को बढ़ने नहीं दिया गया और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लोग राहत की सांस ले सके. उन्होंने कहा कि यह समस्या मार्च अगले वर्ष तक समाप्त हो जाएगी.
उन्होंने कहा, “इस साल कई शीर्ष नक्सली समाप्त किए गए. जो पहले राज्य के खिलाफ हथियार उठाते थे, अब वो समर्पण कर रहे हैं और विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या में भारी कमी आई है. जो क्षेत्र कभी नक्सली अड्डे थे, वो अब शैक्षिक केंद्र बन रहे हैं. जो क्षेत्र कभी रेड कॉरिडोर के रूप में जाने जाते थे, अब वो विकास कॉरिडोर में बदल गए हैं. हमारी पुलिस और सुरक्षा बलों ने इस सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.”
रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा कि पुलिस बल इस प्रयास में सक्रिय हैं.
उन्होंने कहा, “लंबे समय तक, हम, एक राष्ट्र के रूप में, पुलिस के योगदान को पूरी तरह से पहचान नहीं पाए. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक स्थापित किया. इसके अलावा, पुलिस को अत्याधुनिक हथियार और बेहतर सुविधाएं प्रदान की गई हैं. उनके पास अब निगरानी सिस्टम, ड्रोन, फोरेंसिक लैब और डिजिटल पुलिसिंग जैसी आधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं. राज्यों को पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त संसाधन भी दिए जा रहे हैं.”
राजनाथ सिंह ने कहा कि संसाधनों का इष्टतम उपयोग केवल सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय और एकीकरण से ही संभव है.
उन्होंने कहा कि समाज और पुलिस परस्पर निर्भर हैं और दोनों के बीच संतुलित संबंध बनाए रखना आवश्यक है, ताकि सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत एवं चौकस हो सके.
उन्होंने कहा, “जब नागरिक भागीदार बनकर कानून का सम्मान करेंगे, तभी पुलिस प्रभावी ढंग से कार्य कर सकती है. जब समाज और पुलिस के बीच संबंध आपसी समझ और जिम्मेदारी पर आधारित होंगे, तभी दोनों समृद्ध होंगे.”
कार्यक्रम के हिस्से के रूप में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (CAPFs) और दिल्ली पुलिस की संयुक्त परेड आयोजित की गई. इस अवसर पर गृह राज्य मंत्री बांदी संजय कुमार, गृह सचिव गोविंद मोहन, आईबी निदेशक तपन डेका, डीजी बीएसएफ दलजीत सिंह चौधरी, अन्य सीएपीएफ प्रमुख, सेवानिवृत्त डीजी और पुलिस अफसर उपस्थित थे.
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