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Monday, 25 November, 2024
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IPRD में बोले राजनाथ- दूसरों से श्रेष्ठ समझी जानी वाली विश्व व्यवस्था में भारत को विश्वास नहीं

रक्षामंत्री ने जोर देकर कहा कि एक मजबूत एवं समृद्ध भारत का निर्माण दूसरों की कीमत पर नहीं हो सकता है बल्कि भारत दूसरों देशों को उनकी पूर्ण क्षमता को हासिल करने में मदद के लिये है.

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नई दिल्ली: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को हिन्द प्रशांत क्षेत्रीय वार्ता (आईपीआरडी) कार्यक्रम में कहा कि भारत किसी ऐसी विश्व व्यवस्था में विश्वास नहीं करता जहां कुछ को दूसरों से श्रेष्ठ समझा जाता है. उन्होंने कहा कि देशों के कार्य मनुष्यों की समानता एवं सम्मान के सार तत्व से मार्गदर्शित हों जो कि प्राचीन मूल्यों का हिस्सा है.

हिन्द प्रशांत क्षेत्रीय वार्ता (आईपीआरडी) 2022 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने सुरक्षा और समृद्धि को हमेशा सम्पूर्ण मानवता के ‘सामूहिक उद्देश्य’ के रूप में देखा है.

उन्होंने कहा, ‘मेरा विश्वास है कि अगर सुरक्षा सही अर्थों में सामूहिक प्रयास बनेगी तभी हम एक ऐसी विश्व व्यवस्था तैयार करने के बारे में सोच सकते हैं जो हम सभी के लिये लाभदायक हो.’

रक्षामंत्री ने कहा कि अब हमें सामूहिक सुरक्षा के दायरे से ऊपर उठकर साझे हित और साझी सुरक्षा के स्तर पर जाने की जरूरत है.

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘भारत बहुस्तरीय गठबंधन की नीति में विश्वास करता है जिसे विभिन्न हितधारकों के माध्यम से विविध सम्पर्कों के जरिये हासिल किया जा रहा है ताकि सभी के विचारों एवं चिंताओं के बारे में चर्चा की जा सके और उनका निपटारा किया जा सके.’

सुरक्षा परिदृश्य पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को एक की कीमत पर दूसरे की जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि हमें सभी के लिये जीत की स्थिति सृजित करने का प्रयास करना चाहिए.

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत किसी ऐसी विश्व व्यवस्था में विश्वास नहीं करता है जहां कुछ को दूसरों से श्रेष्ठ समझा जाता है. उन्होंने कहा कि देशों के कार्य मनुष्यों की समानता एवं सम्मान के सार तत्व से मार्गदर्शित हों जो कि प्राचीन मूल्यों का हिस्सा है.

रक्षामंत्री ने कहा भारत मुक्त और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक के लिए खड़ा है जो क्षेत्र और व्यापक वैश्विक समुदाय के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.

रक्षामंत्री ने जोर देकर कहा कि एक मजबूत एवं समृद्ध भारत का निर्माण दूसरों की कीमत पर नहीं हो सकता है बल्कि भारत दूसरों देशों को उनकी पूर्ण क्षमता को हासिल करने में मदद के लिये है.


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