जयपुर, छह जून (भाषा) राजस्थान में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2.4 से गिरकर 2.0 पर आ गई है, जो प्रतिस्थापन दर 2.1 से नीचे है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आयी है।
प्रतिस्थापन दर, जन्म दर का वह स्तर होता है, जिसके तहत जनसंख्या का ‘पैटर्न’ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अपने आप बदल जाता है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों के अनुसार, प्रतिस्थापन दर में गिरावट का मुख्य कारण आधुनिक गर्भनिरोधक विधियों को अपनाया जाना है, जिनका इस्तेमाल बढ़कर 62.1 प्रतिशत हो गया है।
‘विकल्प’ परियोजना द्वारा यहां जयपुर प्रेस क्लब में आयोजित मीडिया कार्यशाला में विशेषज्ञों ने पहली गर्भ धारण में देरी और बच्चों के बीच अंतराल बनाए रखने के स्वास्थ्य लाभों पर जोर दिया।
परिवार कल्याण विभाग के निदेशक सुरेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “महिलाएं तेजी से अस्थायी गर्भनिरोधक तरीके अपना रही हैं जिससे वे संसूचित विकल्प चुन पाती हैं।”
एसएमएस अस्पताल की सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. सुमन मित्तल ने बताया कि पहले बच्चे को दो साल तक टालने और बाद के जन्मों में अंतराल रखने से मातृ स्वास्थ्य में सुधार होता है और मृत्यु दर में कमी आती है।
राजस्थान सरकार के सहयोग से ‘विकल्प’ परियोजना गर्भनिरोधक पर गोपनीय मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एक निःशुल्क हेल्पलाइन, सखी भी चलाती है।
हालांकि टीएफआर में गिरावट को भारत और राजस्थान के लिए अच्छी खबर के रूप में नहीं देखा जा रहा।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट ‘इंडिया एजिंग’ 2017 के अनुसार, प्रजनन दर में गिरावट से भारत की बुजुर्ग आबादी 2050 तक कुल आबादी का 19 प्रतिशत हो जाएगी।
भाषा पृथ्वी जितेंद्र
जितेंद्र
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.