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Sunday, 24 November, 2024
होमदेशजालोर के प्रिंसिपल के पिता ने कहा- दलित परिवार को इलाज के लिए पैसे देना पड़ा भारी

जालोर के प्रिंसिपल के पिता ने कहा- दलित परिवार को इलाज के लिए पैसे देना पड़ा भारी

छैल सिंह के परिवार का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि वह मेघवाल परिवार, जिन्होंने अपने 9 साल के बेटे को खो दिया है, को 1.5 लाख रुपये कैसे दे पाए. उनका दावा है कि उन्होंने उस लड़के के इलाज के लिए पैसे दिए थे.

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जालोर: राजस्थान के जालोर जिले के सुराणा गांव में मीडिया की चकाचौंध, पुलिस कर्मियों की मौजूदगी और राजनीतिक ध्यान से दूर सुकी कंवर फिलहाल सदमे से भरी बैठी हैं. वह जालोर के 9 वर्षीय दलित लड़के इंदर मेघवाल की मौत के आरोपी और ‘उच्च जाति’ से आने वाले एक स्कूल प्रिंसिपल 40 वर्षीय छैल सिंह की पत्नी हैं. उसकी गिरफ्तारी के बाद से ही वह बेहोशी के दौरों से गुजर रही हैं.

दिप्रिंट के साथ बातचीत के दौरान सुकी के अचानक बेहोश हो जाने पर छैल सिंह के चचेरे भाई मंगल सिंह ने कहा, ‘तनाव में उसे माता आती रहती है’.

सिंह की गिरफ्तारी को अब लगभग एक सप्ताह हो गया है.

प्रिंसिपल छैल सिंह के ऊपर इंदर को उनके खुद के इस्तेमाल के लिए रखे मटके से पानी पीने की वजह से बुरी तरह मारने का आरोप है और मृत लड़के के परिवार ने इस घटना के पीछे जातिवादी मकसद होने का आरोप लगाया है.

सिंह द्वारा इंदर को पीटे जाने की यह घटना कथित तौर पर 20 जुलाई को सुराणा के एक निजी स्कूल- सरस्वती विद्या मंदिर- में हुई थी. बाद में, उस लड़के की 13 अगस्त को अहमदाबाद में गंभीर चिकित्सा देखभाल के दौरान मौत हो गई थी.

छैल सिंह को उसी दिन हत्या के आरोपों के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था. मामले की पुलिस जांच फिलहाल जारी है.

हालांकि, स्थानीय निवासियों द्वारा दिए गए बयानों के मद्देनजर जातिवाद वाला एंगल सवालों के घेरे में आ गया है.

लड़के की मौत के कारणों के बारे में भी सवाल कुछ उठे हैं, खासकर चिकित्स्कीय रिपोर्ट में इस तरह की बात सामने आने पर कि इंदर मेघवाल का कई वर्षों से मध्य कान के संक्रमण हेतु इलाज चल रहा था, जिसकी वजह से उसकी आंख के पीछे एक दर्दनाक फोड़ा बन गया था, मस्तिष्क में रुकावट आ गई थी, और अंततः उसकी मृत्यु के पहले के कुछ दिनों में उसमें सेप्सिस (घाव का सड़ना) शुरू हो गया था.

सिंह के परिवार ने भी जातिवाद वाले एंगल से इनकार करते हुए कहा कि प्रिंसिपल ने ‘मेघवाल परिवार को इंदर के इलाज के लिए पैसे देकर गलती की’.

मेघवाल परिवार ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि छैल सिंह ने उन्हें आपसी समझौता कर ‘मामले को रफा दफा करने’ के एवज में 1.5 लाख रुपये का भुगतान किया था.

इस तरह के आरोप का खंडन करते हुए छैल सिंह के 70 वर्षीय पिता उश्क सिंह ने कहा, ‘उसने पैसे देकर गलती कर दी.’

उन्होंने कहा, ‘इस लेन-देन को अब ‘हश मनी’ (मुंह बंद रखने के लिए दी गयी रकम) कहा जा रहा है. ऐसा कुछ भी नहीं था. वह इस बात से चिंतित था कि उसने गलती से एक बच्चे को चोट पहुंचाई है.’

परिवार का कोई भी सदस्य नहीं जानता कि सिंह ने मेघवालों को इतनी बड़ी रकम कैसे दी. उश्क सिंह ने कहा, ‘उसने इसे स्कूल के फंड से दिया होगा.’

सिंह अपने तीन भाइयों के साथ मिलकर थोड़ी बहुत कृषि भूमि के भी मालिक हैं और खेती के पेशे से जुड़े हैं.

जब दिप्रिंट ने सिंह के घर का दौरा किया तो खेता राम भील, जो लगभग पांच वर्षों से छैल सिंह की जमीन पर किराये के मजदूर के रूप में काम कर रहा है, वहीं पर मौजूद था.

भील का कहना है कि उन्हें छैल सिंह के हाथों कभी किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने मेरे साथ खाना खाया है और मुझे अपने घर में आमंत्रित भी किया है. हम खेतों में एक साथ पानी पीते हैं.’

छैल सिंह के बेटे- लक्ष्मण, 14 और गोपाल, 10- जो सरस्वती विद्या मंदिर के छात्र भी हैं, ने भी दिप्रिंट को बताया कि उनके स्कूल में सभी लोग एक ही पानी की टंकी से पानी पीते हैं.

Chail Singh’s sons, Laxman (14) and Gopal (10) | Credit: Praveen Jain | ThePrint 
छैल सिंह के बेटे लक्ष्मण (14) और गोपाल (10) | फोटो: प्रवीण जैन | दिप्रिंट

छैल सिंह फिलहाल सायला थाने में बंद है. जिला प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पुलिस अभी भी इंदर की मौत के कारणों को समझने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हिस्टोपैथोलॉजिकल विश्लेषण के नतीजों का इंतजार कर रही है.


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घर में हैं बीमार मां-बाप

सिंह का परिवार सुराणा से करीब 50 किलोमीटर दूर एक जर्जर से मकान में रहता है. सामान्य रूप से इस सफर में दो घंटे से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए, लेकिन पानी से भरे गड्ढों और आवारा मवेशियों से पटी संकरी, टूटी-फूटी सड़कों पर कंटीली झाड़ियों से बचते-बचाते हुए इसमें पांच घंटे तक का समय लग सकता है.

सुराणा जाने के लिए बस पकड़ने के लिए सिंह को करीब छह से सात किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. रोज-रोज की आवाजाही की परेशानी से बचने के लिए सिंह अपने दो बेटों के साथ स्कूल परिसर में ही रहते थे.

मंगल सिंह ने कहा, ‘वह हर दो हफ्ते में एक बार घर आता था. जिस दिन उसे गिरफ्तार किया गया, उस दिन भी वह अपने बच्चों के साथ घर वापस आ रहा था. उसे बीच रस्ते में ही गिरफ्तार कर लिया गया था और हमें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.’

अपने घर के लिए कमाने वाले प्रमुख शख्स की गिरफ्तारी के साथ अब इस परिवार को पता नहीं है कि आने वाले दिनों में क्या उम्मीद की जाए. उन्होंने बताया कि छैल सिंह को लगभग 10,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच मासिक वेतन मिलता था.

Uskh Singh (70), Chail Singh’s father | Credit: Praveen Jain | ThePrint
छैल सिंह के पिता उश्क सिंह | फोटो: प्रवीण जैन | दिप्रिंट

घर के मौजूदा ढांचे के बारिश से क्षतिग्रस्त होने के बाद परिवार अपने परिसर में ही एक और पक्का आवास बनाने की प्रक्रिया में था लेकिन छैल सिंह की गिरफ्तारी के साथ निर्माण कार्य ठप हो गया है.

मंगल सिंह, जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के लिए इलाजरत होने का दावा किया, ने बताया, ‘उसकी मां, 60 वर्षीय दरिया कंवर, का फिलहाल कोलन कैंसर के संदेह का टेस्ट किया जा रहा है, जबकि उश्क सिंह का पेट के अल्सर के लिए इलाज किया जा रहा है.’

वे कहते हैं, ‘अभी तक तो हमसे मिलने कोई नहीं आया है. न तो पुलिस, न ही मीडिया.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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