जोधपुरः राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा है कि घरेलू हिंसा की पीड़ित विदेशी नागरिक अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है, अगर उसके साथ हिंसा भारत में रहने के दौरान हुई है तो.
न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर ने कैथरीन निएडु के पति रॉबर्टो निएडु की याचिका खारिज कर दी. रॉबर्टो ने उनके विदेशी नागरिक होने के आधार पर याचिका के सुनवाई योग्य होने पर सवाल खड़े करते हुए उसके खिलाफ कैथरीन की शिकायत को खारिज किए जाने का अनुरोध किया था.
कैथरीन ने 2019 में जोधपुर में रहने के दौरान रॉबर्टो के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करायी थी. रॉबर्टो ने सबसे पहले मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत को चुनौती दी और उसके बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत (महिला अत्याचार मामले) में चुनौती दी.
दोनों अदालतों ने याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद रॉबर्टो ने कैथरीन के भारतीय नागरिक न होने का हवाला देते हुए शिकायत के सुनवाई योग्य न होने के आधार पर दोनों फैसलों को चुनौती दी. मामले पर बहस करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी भारतीय नागरिक नहीं हैं.
इस दलील का विरोध करते हुए प्रतिवादी के वकील ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून 2005 की धारा दो (ए) के अनुसार ‘पीड़ित व्यक्ति’ की परिभाषा दी गयी और खुद परिभाषा के अनुसार, विदेशी नागरिक समेत कोई भी महिला जो घरेलू हिंसा का शिकार हुई है, वह निचली अदालत में अर्जी दायर कर सकती है.
दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति माथुर ने कहा कि प्रतिवादी पिछले करीब 25 वर्षों से जोधपुर में रह रही है और याचिकाकर्ता से शादी करने के बाद शिकायत में दर्ज घटना जोधपुर की है और घरेलू हिंसा कानून 2005 की धारा दो (ए) और 12 के तहत निकली परिभाषाओं के मद्देनजर प्रतिवादी कैथरीन की शिकायत सुनवाई योग्य है और रॉबर्टो की याचिका खारिज की जाती है.
अदालत ने यह भी कहा कि ‘यहां तक कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 न केवल इस देश के प्रत्येक नागरिक को बल्कि उस व्यक्ति को भी सुरक्षा देता है जो देश का नागरिक न हो.’
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