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Friday, 29 March, 2024
होमदेशक्या है 36,000 करोड़ का नान घोटाला जिस पर छत्तीसगढ़ की राजनीति में मचा है हाहाकार?

क्या है 36,000 करोड़ का नान घोटाला जिस पर छत्तीसगढ़ की राजनीति में मचा है हाहाकार?

छत्तीसगढ़ में कथित रूप से 36,000 करोड़ के राशन घोटाले की नये सिरे से जांच के लिए कांग्रेस सरकार एसआईटी गठित करने जा रही है.

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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में घोटाले को लेकर हंगामा मचा हुआ है. खबरें हैं कि नवगठित कांग्रेस सरकार इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने जा रही है. स्थानीय मीडिया में प्र​काशित खबरों में कहा गया है कि मामले में गिरफ्तार एक अधिकारी की डायरी में ‘सीएम मैडम’, ‘सीएम सर’ और ‘डॉ. साहब’ जैसे नामों से कई एंट्री दर्ज हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि ये नाम पिछली सरकार के बड़े नाम हो सकते हैं. जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की रमन सिंह की सरकार थी, तब राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 36,000 करोड़ रुपये का कथित घोटाला सामने आया था. अब कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद वह इसकी जांच कराने जा रही है. हालांकि, भाजपा इसे बदले की कार्रवाई बता रही है. भाजपा का कहना है कि ‘यह घोटाला हमारी सरकार के समय ही सामने आया था, मामले की जांच हुई, मामला कोर्ट में है. कांग्रेस सत्ता में आने के ​बाद ‘बदलापुर की राजनीति’ कर रही है.

यह मामला 2015 में सामने आया था जब छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने 12 फरवरी को नागरिक आपूर्ति निगम के कुछ बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की. इस छापेमारी में करोड़ों रुपये, डायरी, कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी भी जब्त की गई थी. इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के कई अधिकारियों और कर्मचारियों को जेल भेज दिया गया था.

आरोप है कि छत्तीसगढ़ में सरकार की ओर से चावल मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल खरीदे गए और इसके लिए नेताओं और अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत दी गई. राशन वितरण के ट्रांसपोर्टेशन में भी बड़ी रकम का घोटाला हुआ.

पूर्व मुख्यमंत्री और उनके करीबियों पर आरोप

उस समय इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने 27 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था, जिसमें से 16 जूनियर अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो गई, जबकि दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी गई. ये दोनों अधिकारी थे आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा. करीब एक साल बाबद दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार ने अनुमति भी दे दी लेकिन कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी.

2015 में जब यह छापेमारी की कार्रवाई हुई थी, उस समय एक अधिकारी के पास बरामद डायरी में ‘सीएम मैडम’ का जिक्र था. तब विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री रमन सिंह खुद इस घोटाले में शामिल हैं.

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कांग्रेस का आरोप था कि डायरी में दर्ज ‘सीएम मैडम‘ से साफ है कि इसमें खुद मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी लोग शामिल हैं. इसके अलावा कांग्रेस का यह भी आरोप था कि राज्य में इस राशन घोटाले को अंजाम देने के लिए 20 लाख फर्जी राशन कार्ड बनाए गए.

एक लाख करोड़ से अधिक का मामला

इस कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस सख्ती के साथ हमलावर थी. कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने आरोप लगाया था, ‘यह एक लाख करोड़ से अधिक का मामला है और इसमें सीधे सीधे मुख्यमंत्री रमन सिंह शामिल हैं… ये सिर्फ चावल वितरण के घोटाले की बात नहीं है. राज्य में बीस लाख फर्ज़ी राशन कार्ड बनाए गए हैं. चावल के साथ गेहूं, चना, शक्कर और केरोसिन आदि सारी चीज़ों में धांधली हो रही है.’ इस मामले की जांच होनी चाहिए.’ इसे लेकर कांग्रेस ने विधानसभा का घेराव किया था और पदयात्रा आयोजित की थी.

उस समय मुख्यमंत्री के अधीन काम कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो ने ही इस घोटाले को उजागर किया था, लेकिन राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया कि राज्य में कोई घोटाला नहीं हुआ है. लेकिन तथ्यों की गंभीरता देखते हुए कई आरोपियों की लंबे समय तक जमानत नहीं हुई. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इसे राष्ट्रीय स्तर का घोटाला कहा था. दूसरे, उस एंटी करप्शन ब्यूरो के प्रमुख मुकेश गुप्ता के बयान ने भी संदेह को गहरा किया जब उन्होंने मीडिया में बयान दे दिया कि ‘इस घोटाले के तार जहां तक पहुंचे हैं, वहां जांच कर पाना उनके लिये संभव नहीं है.’

कांग्रेस इसे एक लाख करोड़ का घोटाला बताती रही है, लेकिन राज्य का मीडिया इसे 36,000 करोड़ का घोटाला लिखता रहा है. इस मामले में गिरफ्तार अधिकारी शिवशंकर भट्ट के पास से डायरी बरामद हुई थी, उसमें 107 पन्नों में विभिन्न लेनदेन का ब्यौरा दर्ज था, लेकिन एंटी करप्शन ब्यूरो ने सिर्फ उन पन्नों का जांच में इस्तेमाल किया जो मीडिया में लीक हुए थे. अब सरकार पूरी डायरी में दर्ज सभी सूचनाओं की विवेचना कराने की बात कर रही है.

सरकार बदलने के बाद फिर उछला मामला

राज्य में हाल में विधानसभा चुनाव हुए. चुनाव के परिणाम आने के ठीक पहले पाचं दिसंबर को दोनों अधिकारियों आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो ने चार्जशीट फाइल कर दी.

हाल ही में ​शिवशंकर भट्ट की डायरी के कुछ और पन्ने लीक हुए, जिन्हें एंटी करप्शन ब्यूरो ने अनुपयोगी बताया था. लेकिन इन्हीं पन्नों में ‘सीएम सर’ और ‘डॉ. साहब’ के नाम की एंट्री दर्ज हैं.

इस मामले की रिपोर्ट कर चुके पत्रिका अखबार के वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी ने ​दिप्रिंट को बताया, ‘एंटी करप्शन ब्यूरो ने अब स्वीकार किया है कि इस मामले की विवेचना ठीक ढंग से नहीं हुई. नई सरकार ने एसआईटी गठित करने का निर्णय लिया है. उम्मीद है कि आज ही कल में एसआईटी का गठन हो जाएगा. मामले में जिस तरह से कार्रवाई हो रही है और जिस तरह तथ्य सामने आ रहे हैं, भाजपा के कई बड़े लोग इसमें फंस सकते हैं.’

‘बदलापुर की राजनीति!’

कांग्रेस की सरकार में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का कहना है कि ‘डायरी में जो नये नाम सामने आए हैं उनकी जांच कराई जाएगी. इसके लिए एसआईटी का गठन किया जा रहा है.’

मामले में यह भी सामने आया है कि एंटी करप्शन ब्यूरो ने सिर्फ आठ महीने की जांच की थी, लेकिन डायरी में जो एंट्री हैं, वे 2013 की हैं. यानी इस मामले की जांच और पीछे जाएगी. कांग्रेस सरकार जिस आक्रामकता के साथ कार्रवाई कर रही है, उससे यह लग रहा है कि नये सिरे से मामले की जांच में नये तथ्य और नये नाम सामने आएंगे.

आवेश तिवारी का कहना है, ‘एक तरफ एंटी करप्शन ब्यूरो ने स्वीकार कर लिया है कि मामले की जांच में कमी रही. जिन अधिकारियों के पास से लाखों की रकम बरामद हुई थी, उन्हें बिना जांच आगे बढ़ाए ​क्लीन चिट दे दी गई. दूसरे, हमें प्राप्त हुए दस्तावेजों से पता चलता है कि यह घोटाला 18 सालों से चल रहा था, लेकिन एंटी करप्शन ब्यूरो ने मात्र आठ महीने की जांच की. इन तथ्यों के मद्देनज़र अब जांच नई दिशा में जाएगी. बहुत संभव है कि डायरी की एंट्री की जांच में रमन सिंह का नाम भी आएगा.’

सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार इस मामले में फिर से एसआईटी गठित करके नये सिरे से जांच कराने जा रही है. इस बारे में भाजपा के प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस घोटाले को भाजपा सरकार ने ही उजागर कराया था. कांग्रेस विपक्ष में थी तो तरह तरह के आरोप लगा रही थी. अब वही अनर्गल आरोप साबित करने के लिए वह फिर से जांच कराने की कवायद कर रही है. अगर उनके पास कोई तथ्य है तो उसे अदालत में पेश करना चाहिए. लेकिन वे फिर से जांच कराने जा रहे हैं ताकि रमन सिंह को मामले में फंसाया जा सके. भाजपा इस कार्रवाई को पहले ही ‘बदलापुर की राजनीति’ बता चुकी है. कांग्रेस बदले की भावना से यह कार्रवाई कर रही है.’

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