जम्मू, नौ सितंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर में बाढ़ और भूस्खलन के चलते जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग सहित सड़कों के करीब 12 हजार किलोमीटर लंबे हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि क्षतिग्रस्त उधमपुर-रामबन मार्ग पर मरम्मत कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है और आज शाम तक इसके बहाल हो जाने की उम्मीद है।
लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अनिल कुमार सिंह ने कहा, ‘कुल 42,000 किलोमीटर सड़कों में से करीब 12,000 किलोमीटर सड़कें हाल ही में आई बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गई हैं।’
उन्होंने सोमवार को यहां उपमुख्यमंत्री सुरेंद्र चौधरी के समक्ष बाढ़ से प्रभावित समग्र सड़क अवसंरचना की स्थिति पर प्रस्तुति देते हुए यह बात कही।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर मरम्मत एवं बहाली कार्य को लेकर एक प्रस्तुति दी और कहा कि उधमपुर-रामबन खंड पर भारी नुकसान हुआ है, जिसे ठीक कर दिया जाएगा जबकि धार-उधमपुर खंड पर मंगलवार से यातायात एकतरफा चलेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि राजमार्ग पर कुल 105 पुलों में से तीन पुल क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिन्हें अब बहाल कर दिया गया है।
कठुआ में सेरी-काठ पुल को हुए नुकसान को गंभीरता से लेते हुए उपमुख्यमंत्री ने एनएचएआई अधिकारियों से पूछा कि हाल ही में आई बाढ़ में सेरी-काठ पुल के ढहने का क्या कारण है जबकि इसका निर्माण कुछ वर्ष पहले ही हुआ था।
उन्होंने एनएचएआई को एजेंसी द्वारा निर्मित सभी पुलों का डिजाइन और संरचनात्मक ऑडिट करने का निर्देश दिया।
उपमुख्यमंत्री ने विभाग को क्षतिग्रस्त अवसंरचानाओं की यथाशीघ्र तत्काल बहाली के लिए अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के एक अधिकारी ने बताया कि राजौरी-थन्नामंडी रोड, सुरनकोट रोड, रियासी-अर्नास-माहोर, राजौरी-कंडी-बुद्धल, पौनी-सैर-राजौरी, बीरी-पेथन और झूलास तथा अखनूर-पुंछ सड़कें बहाल कर दी गई हैं जबकि बुधल-माहोर-गुल रोड पर काम अवरुद्ध है और इसे एक सप्ताह के दौरान बहाल कर दिया जाएगा।
किश्तवाड़-चस्तोई, डोडा-किश्तवाड़ और किश्तवाड़-सिंतन सड़कों की स्थिति की भी समीक्षा की गई और अभियंताओं ने बताया कि अधिकांश सड़कों की अस्थायी बहाली पूरी हो चुकी है और शेष हिस्सों पर काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।
हाल ही में आई बाढ़ के कारण पुलों और सड़क अवसंरचना को हुए भारी नुकसान को ध्यान में रखते हुए, उपमुख्यमंत्री ने एनएचएआई अधिकारियों को सभी पुलों का सुरक्षा ऑडिट करने का निर्देश दिया, जिसमें संरचनाओं के डिजाइन संरेखण को वैज्ञानिक तरीके से करना भी शामिल है, जिससे राजमार्गों के साथ पहाड़ी क्षेत्रों की पर्यावरण-नाजुक प्रकृति को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मरम्मत और बहाली और काम पूरा करने के लिए निर्धारित सभी लक्ष्यों को निश्चित समय-सीमा के भीतर प्राप्त किया जाना चाहिए तथा जहां भी निष्पादन एजेंसियां और ठेकेदार लापरवाह या उदासीन हैं, वहां मानदंडों के अनुसार सख्त कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए, जिसके तहत ब्लैकलिस्ट करना भी शामिल है।
भाषा सुमित मनीषा
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