नई दिल्ली: रेलवे ने शुक्रवार को 44 सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण की निविदा रद्द कर चीन को एक और झटका दिाय है. ये निविदा पिछले साल आमंत्रित की गई थी. सूत्र के मुताबिक यह फैसला एकीकृत कोच फैक्टरी (आईसीएफ) के साथ भारतीय रेलवे के साथ मतभेद के बाद सामने आया है.
रेलवे के सूत्रों के अनुसार, ‘निविदा प्रक्रिया और अन्य तकनीकी कारणों से प्रशासनिक चूक’ के कारण एकीकृत कोच फैक्टरी (आईसीएफ) ने गुरुवार को निविदा को रद्द कर दिया. आईसीएफ का टेंडर रद्द करने का यह फैसला महीनों की देरी और विवादों के बाद आया है, और जो महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए एक और झटका साबित होता है.’
आईसीएफ का फैसला 44 नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को चलाने की समय सीमा को लेकर भारतीय रेलवे के साथ मतभेद के बाद आया है- जबकि रेलवे ने अभी तक यह 44 ट्रेन (जिसे रेक भी कहा जाता है) 2021-22 में पेश किए जाने की डेडलाइन को बनाए रखा है. एक आंतरिक अनुमान आईसीएफ को इस प्रक्रिया को पूरा होने में साढ़े छह साल लग सकते हैं.
पिछले महीने जब निविदा खोली गई तो 16 डिब्बे वाली इन 44 ट्रेनों के इलेक्ट्रिकल उपकरणों एवं अन्य सामान की आपूर्ति के लिए छह दावेदारों में से एक चीनी संयुक्त उद्यम (सीआरआरसी-पायनियर इलेक्ट्रिक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड) एकमात्र विदेशी के रूप में उभरकर सामने आया.
वर्ष 2015 में चीनी कंपनी सीआरआरसी योंगजी इलेक्ट्रिक कंपनी लिमिटेड और गुरुग्राम की पायनियर इलेक्ट्रिक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के बीच यह संयुक्त उद्यम बना था.
रेल मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, ’44 सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों (वंदे भारत) के निर्माण की निविदा रद्द कर दी गई है. संशोधित सार्वजनिक खरीद (‘मेक इन इंडिया’ को वरीयता) आदेश के अंतर्गत एक सप्ताह के भीतर ताजा निविदा आमंत्रित की जाएगी.’
हालांकि, रेलवे ने निविदा रद्द करने के पीछे किसी खास कारण का उल्लेख नहीं किया.
सूत्रों ने कहा कि रेलवे यह सुनिश्चित करना चाहता है कि एक पूर्ण घरेलू इकाई निविदा हासिल करे और जैसे ही यह महसूस किया गया कि चीनी संयुक्त उद्यम दौड़ में सबसे आगे है तो इसे निरस्त कर दिया गया.
चेन्नई की रेलवे कोच फैक्ट्री ने 10 जुलाई को 44 सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए निविदा आमंत्रित की थी.
इससे पहले, लद्दाख में चीन-भारत के बीच सीमा पर जारी गतिरोध के बीच भी रेलवे ने कोविड-19 निगरानी के लिए थर्मल कैमरा की आपूर्ति के लिए उस समय निविदा रद्द कर दी थी जब एक भारतीय कंपनी ने निविदा विनिर्देशों को चीनी कंपनी के पक्ष में होने का आरोप लगाया था.
सूत्रों ने कहा कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इस निविदा को समाप्त करने का आग्रह किया था.
(दिप्रिंट की सान्या ढींगरा के इनपुट्स के साथ)