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Friday, 19 September, 2025
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रेलवे बोर्ड ने सीएलआई के सेवानिवृत्ति लाभ वृद्धि पर रोक संबंधी परामर्श मंडलों को भेजे

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नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय द्वारा मुख्य लोको निरीक्षकों (सीएलआई) को सेवानिवृत्ति लाभ गणना के लिए 55 प्रतिशत वेतन तत्व का लाभ देने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर लगाई गई रोक के संबंध में रेलवे बोर्ड ने अपने सभी मंडलों को परामर्श जारी किया है।

बोर्ड ने 16 सितंबर को लिखे एक पत्र में कहा कि यह पहला मामला है जिसमें उच्चतम न्यायालय ने ऐसा आदेश पारित किया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 18 मार्च, 2025 को अपना फैसला सुनाया था।

यह मुद्दा लोको पायलट और सहायक लोको पायलट जैसे ‘रनिंग क्रू’ को प्रशिक्षण और निगरानी प्रदान करने वाले सीएलआई की मांगों से जुड़ा है, जो ‘रनिंग क्रू’ के बराबर वेतन तत्वों के लाभ चाहते हैं।

बोर्ड के पत्र में कहा गया है, ‘रेलवे मंडलों को निर्देश दिया जाता है कि वे केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)/उच्च न्यायालयों में विचाराधीन सीएलआई को 55 प्रतिशत वेतन तत्व वृद्धि का लाभ प्रदान करने से जुड़े दावों का विरोध करते समय उच्चतम न्यायालय के आदेश का सक्रिय रूप से संदर्भ लें।’

इसमें यह भी जोड़ा गया है कि रेल मंत्रालय के पक्ष का जोरदार तरीके से बचाव किया जाना चाहिए, और उद्धृत किए गए न्यायिक निर्णयों का उल्लेख न केवल प्रत्युत्तर हलफनामों में, बल्कि मौखिक तर्कों के दौरान भी किया जाना चाहिए।

रेलवे के मानदंडों के अनुसार, रनिंग क्रू को उनके वेतन के एक भाग के रूप में 55 प्रतिशत वेतन मिलता है तथा कठिन एवं कठोर कार्य स्थितियों के लिए उन्हें कई भत्ते भी मिलते हैं।

वरिष्ठ लोको पायलटों को पर्यवेक्षकीय भूमिका निभाने के लिए सीएलआई के रूप में पदोन्नत किया जाता है।

रेलवे बोर्ड ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस तथ्य पर ध्यान दिया है कि रनिंग स्टाफ और स्टैटिक (स्थिर) स्टाफ के बीच स्पष्ट अंतर मौजूद है और केवल वे कर्मचारी जो सीधे तौर पर ट्रेनों की आवाजाही में शामिल हैं (लोकोमोटिव पायलट/ड्राइवर और गार्ड) ही रनिंग भत्ते के हकदार हैं।

बोर्ड के पत्र में उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘भत्तों या वेतन संबंधी लाभों के लिए रनिंग स्टाफ को स्टैटिक स्टाफ के बराबर रखना अनुचित है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।’

भाषा सुमित वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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